Maharshi Dadhichi Jayanti 2023: आखिर क्यों महर्षि दधीचि जयंती से ही शुरू होता है श्रीमद भागवत सप्ताह - हड्डियों का दान
Maharshi Dadhichi Jayanti 2023: महर्षि दधीचि जयंती के दिन से ही श्रीमद भागवत सप्ताह की शुरुआत होती है. महर्षि दधीचि ने मानव कल्याण के लिए अपने हड्डियों का दान कर दिया था. उनकी हड्डी से वज्र नाम का हथियार तैयार किया गया था. उसी हथियार से वृत्रासुर का वध किया गया.
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team
Published : Sep 22, 2023, 6:40 PM IST
|Updated : Sep 22, 2023, 9:34 PM IST
रायपुर: महर्षि दधीचि की जयंती इस बार 23 सितंबर शनिवार को मनाई जाएगी. इस दिन मूल नक्षत्र, गद योग, बव के साथ बालवकरण, धनु राशि की चंद्रमा जैसे कई शुभ संयोग बन रहे हैं. इस दिन ज्येष्ठा गौरी विसर्जन के साथ सूर्य तुला राशि में प्रवेश कर रहे हैं. ऐसे में ये दिन बेहद शुभ है. इस दिन से श्रीमद भागवत सप्ताह की भी शुरुआत होती है.
महर्षि दधीचि ने किया था अपने हड्डियों का दान: महर्षि दधीचि ऋषि अथर्व और माता शांति के बेटे थे. महर्षि दधीचि का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था. कहा जाता है कि वृत्रासुर नाम के राक्षस ने इंद्रलोक पर अधिकार जमा लिया था. उसने सभी देवताओं को देवलोक से बाहर निकाल दिया था. सभी देवताओं ने ब्रह्मा जी से इस समस्या का निदान मांगा. इस पर ब्रह्मा जी ने कहा कि, "पृथ्वी लोक पर दधीचि नाम के महर्षि रहते हैं. यदि वे अपने हड्डियों का दान कर दें तो उन हड्डियों से वज्र बनाया जा सकेगा. उसी वज्र की शक्ति से ही वृत्रासुर नामक राक्षस का वध किया जा सकेगा. इसके अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं है. इसके बाद देवराज इंद्र को महर्षि दधीचि के पास जाकर उनकी अस्थियों के लिए प्रार्थना करनी पड़ी. देवताओं के कल्याण और असुरों के वध के लिए पूर्व में इंद्र द्वारा महर्षि दधीचि के अपमान और अत्याचार को भुलाकर महर्षि ने अपनी समस्त हड्डियां देवताओं को दान कर दी.
महर्षि दधीचि जयंती के दिन मूल नक्षत्र, गद योग, बव के साथ बालवकरण संयोग बन रहे हैं. इस दिन ज्येष्ठा गौरी विसर्जन के साथ सूर्य का तुला में प्रवेश भी है. यही कारण है कि ये दिन बेहद शुभ है. 23 सितंबर दधीचि जयंती के शुभ दिन से ही श्रीमद भागवत सप्ताह की भी शुरुआत होती है. 29 सितंबर को श्रीमद भागवत सप्ताह का समापन है.- विनीत शर्मा, पंडित
वृत्रासुर के वध की कहानी : इस तरह महर्षि दधीचि के हड्डियों से एक हथियार बनाया गया, जिसका नाम वज्र रखा गया. वृत्रासुर एक शक्तिशाली राक्षस था. उसने देवताओं के नगरों पर कई बार आक्रमण करके परेशान कर रखा था. उसके बाद अंत में इंद्र ने मोर्चा संभाला. इंद्र ने वज्र से वृत्रासुर को मार डाला. महर्षि दधीचि के इस वीरतापूर्ण कार्य के कारण चारों दिशाओं में उनकी जय जयकार होने लगी. अपने दुश्मनों के लिए भी उदारता पूर्वक मानवता के कल्याण के लिए अपने स्वयं के शरीर से महर्षि दधीचि ने हड्डियां देकर मानवता की रक्षा की.
महर्षि दधीचि जयंति से शुरू होती है श्रीमद भागवत सप्ताह: महर्षि दधीचि जयंति से ही श्रीमद भागवत सप्ताह की शुरुआत होती है. अष्टमी तिथि से लेकर पूर्णमासी तक भागवत सप्ताह मनाया जाता है. 23 सितंबर से 29 सितंबर तक श्रीमद भागवत कथा चलेगा. यह अपने आप में विशिष्ट सप्ताह माना जाता है. ये पूरा सप्ताह श्रीमद् भागवत कथा सुनने के लिए बेहद खास माना जाता है.