चेन्नई: तमिलनाडु के चेन्नई के अंबत्तूर के पास अयापक्कम पंचायत की महिलाओं के एक समूह ने अपने घरों के सामने कोलम (रंगोली) बनाकर केंद्र सरकार की त्रिभाषी नीति का विरोध किया. इस दौरान अयापक्कम पंचायत हाउसिंग बोर्ड के 100 से ज्यादा घरों के सामने दो किलोमीटर लंबी सड़क पर रंगोली बनाई गई.
अंग्रेजी और तमिल में बनाई गई रंगोली में लिखा था, 'हिंदी न थोपें', 'तमिलों को धोखा न दें', 'फिर से भाषा युद्ध न करें'. इलाके की महिलाओं ने कहा कि ये रंगोली केंद्र सरकार द्वारा तमिलनाडु पर कथित तौर पर हिंदी थोपने के विरोध का प्रतीक है.
'तमिल और अंग्रेजी में सहज'
महिलाओं ने कहा कि वे तमिल और अंग्रेजी में सहज हैं. स्थानीय लोगों ने कहा, "केंद्र सरकार के दफ़्तरों में कम्युनिकेशन के लिए तमिल का इस्तेमाल किया जाना चाहिए." उन्होंने आगे आरोप लगाया कि केंद्र सरकार तमिलनाडु से जीएसटी वसूल रही है, लेकिन राज्य को उसका हिस्सा नहीं दे रही है. तमिलनाडु भारत में शिक्षा सहित हर चीज में अग्रणी है.
#WATCH | Tamil Nadu: In Ayapakkam Housing Board area of Villivakkam Panchayat Union in Tiruvallur District, locals registered their protest against the Central Government by drawing kolams (rangoli) in front of their houses, stating 'Welcome Tamil language' and 'Stop Hindi… pic.twitter.com/T9rsxqzhmD
— ANI (@ANI) February 19, 2025
'हिंदी को जबरन थोपा नहीं जाए'
स्थानीय लोगों ने कहा कि जो लोग हिंदी सीखना चाहते हैं, उन्हें हिंदी सीखनी चाहिए. उन्होंने कहा, "तमिलनाडु में बैंकों और रेलवे स्टेशनों सहित सभी जगहों पर हिंदी बोलने वाले बहुत से लोग काम करते हैं. इसलिए, यहां हिंदी को जबरन थोपा नहीं जाना चाहिए. उत्तर भारत में महिलाएं स्वतंत्र नहीं हैं, लेकिन तमिलनाडु में वे स्वतंत्र हैं.
हाल ही में इंडिया ब्लॉक पार्टियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और उस पर राज्य के अधिकारों का बार-बार अतिक्रमण करने का आरोप लगाया. पार्टियों ने बजट आवंटन से इनकार करने और शिक्षा निधि जारी न करने जैसे मुद्दों को भी उजागर किया. वहीं, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने थ्री लैंग्वेज पॉलिसी लागू न करने के चलते केंद्र पर ब्लैकमेलिंग और धमकी देने का आरोप लगाया.
क्या है त्रिभाषा नीति?
बता दें कि त्रिभाषा फॉर्मूला भारत में भाषाई शिक्षा से जुड़ी एक पॉलिसी है. यह नेशनल ऐजुकेशन पॉलिसी 2020 का एक प्रमुख घटक है. इसके तहत सभी भारतीय छात्रों को कम से कम तीन भाषाएं सीखने होंगी. इसमें दो मूल भारतीय भाषाएं शामिल हैं, जिनमें से एक क्षेत्रीय भाषा होनी चाहिए और तीसरी अनिवार्य भाषा अंग्रेजी होगी.
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