कटघोरा: चर्चित और विवादित कार्यशैली की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहने वाले कटघोरा वनमंडल का हैरान कर देने वाला कारनामा सामने आया है. वनमंडल पर खुद के अफसरों को बचाने के लिए अपने ही मंत्रालय को गलत और अधूरी जानकारी भेजने का आरोप है. इस जानकारी में जरूरी तथ्यों को न सिर्फ छिपाया गया बल्कि जिस निर्माण कार्य पर गंभीर सवाल उठ रहे थे, उसे ही अफसरों ने गायब कर दिया. जब ETV भारत ने वनमंडल के जिम्मेदार अफसरों से जानकारी चाही तो कोई भी इस पर चर्चा करने को तैयार नहीं हुआ. ऐसे में वनमंडल पर सवाल उठ रहे हैं. ETV भारत ने इसकी जानकारी सबसे पहले आप तक पहुंचाई थी.
क्या है मामला ?
छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने वन मंत्रालय से एक महत्वपूर्ण सवाल पूछा था. प्रश्न नंबर 354 में धरमलाल कौशिक ने शासन के वनमंत्री मोहम्म अकबर से बिलासपुर संभाग अंतर्गत कटघोरा वनमंडल के जटगा वनपरिक्षेत्र में हुए सभी स्टॉप डेम से जुड़ी जानकारी चाही थी. उन्होंने जटगा परिक्षेत्र में हुए स्टॉप डेम निर्माण की संख्या, उनकी लागत, मौजूदा स्थिति और मद की जानकारी मांगी थी. इन्हीं सवालों के जवाब में वनमंडल ने कई महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपा दिया. उन्होंने न सिर्फ स्टॉप डेम की संख्या कम बताई, बल्कि जिस स्टॉप डेम की वजह से विपक्ष का ध्यान इस ओर गया था, उस स्टॉप डेम को ही विभाग ने अपने जवाब से गायब कर दिया.
क्या है सही आंकड़ा ?
- 2019-2020 में कटघोरा वनमंडल के जटगा वनपरिक्षेत्र अंतर्गत कैम्पा मद से कुल 14 स्टॉप डेम स्वीकृत किये गए थे.
- 2020-21 में चार और स्टॉपडेम को वन मंत्रालय ने स्वीकृति प्रदान की थी.
- सभी 18 डेम की लागत राशि करीब 8 करोड़ रुपये आंकी गई थी.
- ज्यादातर डेम का निर्माण अभी भी अधूरा है, जबकि एक स्टॉप डेम जो की आर.ए. 194 सोढ़ीनाला क्रमांक 06 में 2019 में ही पूरा हो चुका था.
- यह डेम पहली ही बारिश में ही बह गया. इसके बाद विभाग ने उक्त निर्माण कार्य को फिर से मरम्मत कराया. मरम्मत के बाद भी डेम पूरी तरह धराशायी हो गया.
- भष्ट्राचार की बात सामने आने पर शिकायत अलग-अलग माध्यम से की जाती रही. लेकिन सुनवाई नहीं हुई.
- डैम के निर्माण में लगे मजदूरों और मटेरियल सप्लायर्स की भी राशि अब तक अटकी हुई है. वे लगातार मजदूरी और शेष राशि की मांग कर रहे हैं.
क्या कह रहे मजदूर ?
इस पूरी गड़बड़ी में पीड़ित सप्लायर्स का कहना है कि स्टॉप डेम की जानकारी अगर छिपा दी गई, तो इसका मतलब है कि यह निर्माण कराया ही नहीं गया है. यदि ऐसा हुआ तो उन्हें उनका बकाया पैसा कभी भी नहीं मिल पाएगा. मजदूरों का कहना है कि मौके पर अब भी स्टॉप डेम का मलबा मौजूद है. गांव वालो में इसे लेकर बहुत नाराजगी है. हालांकि निर्माण के दौरान वहां पदस्थ रहे परिक्षेत्राधिकारी, उप परिक्षेत्राधिकारी और बीटगार्ड का अब तबादला हो चुका है. वे इस निर्माण से पल्ला झाड़ रहे हैं.
सरपंच ने बताया सोढ़ीनाला स्टॉप डैम का सच
हालांकि ग्राम सरपंच के पति, वन प्रबंधन समिति के प्रमुख और पूर्व सरपंच ने भी सोढ़ीनाला स्टॉपडेम निर्माण की पुष्टि की है. उन्होंने बताया की यह पूरा निर्माण जटगा के पूर्व वन परिक्षेत्राधिकारी मोहर सिंह मरकाम और उप क्षेत्राधिकारी बजरंग डड़सेना, बीटगार्ड प्रद्युमन सिंह तंवर ने कराया था. सरपंच का कहना है कि इनमें वह किसान भी शामिल है, जिनकी खेतिहर जमीन इस स्टॉपडेम की जद में आकर बह चुका है. वो किसान भी पिछले दो सालों से अपने जमीन के एवज में मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
स्टॉप डैम रिकॉर्ड से गायब
कटघोरा वनमंडल में हो रहे भृष्टाचार को सबसे पहले ETV भारत ने उजागर करते हुए सबसे लोगों तक पहुंचाया था. इसके बाद भ्रष्टाचार के मामले सामने आते गए. अब जड़गा रेज में स्टॉप डेम को ही रिकॉर्ड से गायब कर दिया गया है.
- अब सवाल यह उठता है की आखिर वनमंडल ने वनमंत्रालय को बह चुके स्टॉप डेम की जानकारीं क्यों नहीं दी ?
- दूसरा बड़ा सवाल यह भी है कि जिस काम का मटेरियल सप्लाई वर्क ऑर्डर जारी हुआ था जिसका पत्र क्रमांक/2019-403 दिनांक 11/04/2019 था उसे सूची में शामिल क्यों नहीं किया गया?
सच का दावा | ये दी गई जानकारी |
डेम निर्माण की कुल संख्या 18 | विधानसभा में 17 डेम की दी गई जानकारी |
बह चुके डेम की लागत 48 लाख | विधानसभा में कहीं कोई जिक्र नहीं |
विभाग पर आरोप है कि 194 सोढ़ीनाला क्रमांक 06 के स्टॉप डेम की जानकारी छुपाने का आरोप है. बह चुके डेम की लागत 48 लाख रुपये थी. जो दो बार निर्मित हो कर पूरी तरह बह चुका है. उसका जिक्र विधानसभा में कही नहीं किया गया.
अधिकारियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई
छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक ने कहा कि यदि इस तरह की झूठी जानकारी विभाग द्वारा दी गई है, तो इसकी पूरी जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि उक्त कार्य में लिप्त अधिकारियों पर कड़ी से कड़ी होनी चाहिए. लोकतंत्र के मंदिर में झूठी जानकारी देना पूरी तरह गलत है और ऐसे भ्रष्टाचार अधिकारियों को नहीं छोड़ा जाएगा.