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बलौदाबाजार: रोजगार के अभाव में पलायन कर रहे 350 मजदूरों को प्रशासन ने रोका

तीन बस और एक पिकअप वाहन में सवार होकर 350 मजदूर उत्तर प्रदेश ईंट भट्ठा में काम करने ले लिए पलायन कर रहे थे. कसडोल एसडीएम टेकचंद अग्रवाल ने टीम के साथ मिलकर उन्हें रोका है.

administration stopped 350 workers
रोजगार के अभाव में पलायन
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Published : Nov 19, 2020, 3:34 AM IST

बलौदाबाजार: कोरोना काल अभी पूरी तरह से खत्म भी नहीं हुआ है और मजदूरों के पलायन के मामले सामने आने लगे हैं. जान जोखिम में डालकर घर वापस आए प्रवासी मजदूरों का पलायन एक बार फिर शुरू हो गया है. मंगलवार की देर रात कसडोल एसडीएम टेकचंद अग्रवाल ने अधिकारियों के साथ मिलकर करीब 350 मजदूरों के पलायन को रोका है.

दरअसल उन्हें सूचना मिली थी कि तीन बस और एक पिकअप वाहन में सवार होकर 350 मजदूर उत्तर प्रदेश ईंट भट्ठा में काम करने ले लिए पलायन कर रहे हैं. इन सभी मजदूरों को किसी लेबर सरदार ने अधिक मजदुरी का प्रलोभन दिया है. कसडोल एसडीएम ने टीम गठित किया. जिसमें कसडोल तहसीलदार,लेबर इंस्पेक्टर,आर आई, पटवारी शामिल थे. टीम ने मजदुरों से भरी बस और पिकअप वाहन को नवागांव के पास पकड़ा.

पढ़ें: 21 दिसंबर से शुरू होगा छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र, अधिसूचना जारी

बता दें कि मजदुरों से भरी बस में लगभग 350 बच्चे, बूढ़े और जवान लोगों को ले जाया जा रहा था. कोरोना संक्रमण काल मे छत्तीसगढ़ सरकार ने सजगता दिखाते हुए सभी मजदूरों को वापस लाया था. ताकि उनको महामारी से बचाया जा सके. लेकिन कृषि कार्य समाप्त होते ही दोबारा पलायन के मामले सामने आ रहे हैं. मानव तस्कर एक बार फिर ज्यादा पैसों का लालच देकर ग्रामीणों को बहला फुसलाकर ले जा रहे हैं.

रोजगार की कमी बड़ा कारण

मजदुरों के दूसरे राज्य पलायन करने का मुख्य कारण रोजगार की कमी है. ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. सरकार ने रोजगार पैदा करने की बात कही थी. मजदूरों को स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं मिल पाने से मजदूर दुधमुंहे बच्चों के साथ दूसरे राज्य जाने को मजबूर हैं.

पढ़ें: खैरागढ़: लगातार फैल रहा कोरोना संक्रमण, चार स्वास्थ्यकर्मी समेत 29 नए संक्रमितों की पहचान

कसडोल तहसीलदार शंकर लाल सिंन्हा ने बताया कि बस चालक विभागीय अधिकारी को देखते ही भागने की कोशिश कर रहा था. काफी दूर तक भागने की नाकाम कोशिश भी किया. लेकिन भाग नहीं पाया. बस चालक राकेश ने कहा मजदूर कमाने खाने अपनी इच्छा से जा रहे थे. सरकार उनको काम देगी तो क्यों बाहर जाएंगे.

तहसीलदार ने बताया सभी मजदूरों को कसडोल के हाई स्कूल ग्राउंड में अभी सुरक्षित रखा गया हैं. उनके खाने-पीने की व्यवस्था की जा रही है. जिसके बाद मजदूरों को उनके घर वापस भेजा जाएगा. सथ ही मजदूरों को ले जा रहे माफियओं के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

बलौदाबाजार: कोरोना काल अभी पूरी तरह से खत्म भी नहीं हुआ है और मजदूरों के पलायन के मामले सामने आने लगे हैं. जान जोखिम में डालकर घर वापस आए प्रवासी मजदूरों का पलायन एक बार फिर शुरू हो गया है. मंगलवार की देर रात कसडोल एसडीएम टेकचंद अग्रवाल ने अधिकारियों के साथ मिलकर करीब 350 मजदूरों के पलायन को रोका है.

दरअसल उन्हें सूचना मिली थी कि तीन बस और एक पिकअप वाहन में सवार होकर 350 मजदूर उत्तर प्रदेश ईंट भट्ठा में काम करने ले लिए पलायन कर रहे हैं. इन सभी मजदूरों को किसी लेबर सरदार ने अधिक मजदुरी का प्रलोभन दिया है. कसडोल एसडीएम ने टीम गठित किया. जिसमें कसडोल तहसीलदार,लेबर इंस्पेक्टर,आर आई, पटवारी शामिल थे. टीम ने मजदुरों से भरी बस और पिकअप वाहन को नवागांव के पास पकड़ा.

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बता दें कि मजदुरों से भरी बस में लगभग 350 बच्चे, बूढ़े और जवान लोगों को ले जाया जा रहा था. कोरोना संक्रमण काल मे छत्तीसगढ़ सरकार ने सजगता दिखाते हुए सभी मजदूरों को वापस लाया था. ताकि उनको महामारी से बचाया जा सके. लेकिन कृषि कार्य समाप्त होते ही दोबारा पलायन के मामले सामने आ रहे हैं. मानव तस्कर एक बार फिर ज्यादा पैसों का लालच देकर ग्रामीणों को बहला फुसलाकर ले जा रहे हैं.

रोजगार की कमी बड़ा कारण

मजदुरों के दूसरे राज्य पलायन करने का मुख्य कारण रोजगार की कमी है. ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. सरकार ने रोजगार पैदा करने की बात कही थी. मजदूरों को स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं मिल पाने से मजदूर दुधमुंहे बच्चों के साथ दूसरे राज्य जाने को मजबूर हैं.

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कसडोल तहसीलदार शंकर लाल सिंन्हा ने बताया कि बस चालक विभागीय अधिकारी को देखते ही भागने की कोशिश कर रहा था. काफी दूर तक भागने की नाकाम कोशिश भी किया. लेकिन भाग नहीं पाया. बस चालक राकेश ने कहा मजदूर कमाने खाने अपनी इच्छा से जा रहे थे. सरकार उनको काम देगी तो क्यों बाहर जाएंगे.

तहसीलदार ने बताया सभी मजदूरों को कसडोल के हाई स्कूल ग्राउंड में अभी सुरक्षित रखा गया हैं. उनके खाने-पीने की व्यवस्था की जा रही है. जिसके बाद मजदूरों को उनके घर वापस भेजा जाएगा. सथ ही मजदूरों को ले जा रहे माफियओं के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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