ETV Bharat / international

अहौ दारियाई, महसा अमीनी और अलीनेजाद... ये हैं हिजाब के खिलाफ आवाज उठाने वाली ईरानी बेटियां - AHOO DARYAEI

यूनिवर्सिटी कैंपस में कपड़े उतार कर विरोध प्रदर्शन करने वाली ईरानी लड़की अहौ दरियाई अचानक लापता हो गई है.

ईरानी लड़की अहू दरियाई
ईरानी लड़की अहौ दरियाई ने किया प्रदर्शन (X@FaIranism)
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 5, 2024, 1:33 PM IST

तेहरान: ईरान की एक छात्रा ने हाल ही में यूनिवर्सिटी कैंपस में अपने कपड़े उतार दिए थे, जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था. सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो जमकर वायरल हुआ. वहीं, अटकलें लगाई जा रही हैं कि लड़की ने देश के सख्त इस्लामी ड्रेस कोड के खिलाफ विरोध में अपने कपड़े उतारे. वहीं, कुछ रिपोट्स में यह भी कहा गया कि लड़की के साथ मोरैलिटी पुलिस (गश्त ए इरशाद) ने गलत बर्ताव किया था, जिसके विरोध में उसने यह कदम उठाया.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अहौ दरयाई नाम की इस महिला को तेहरान के प्रतिष्ठित इस्लामिक आजाद विश्वविद्यालय के अंदर बासिज अर्धसैनिक बल के सदस्यों द्वारा उत्पीड़न का सामना करना पड़ा. अधिकारियों ने उसका सिर का दुपट्टा और कपड़े फाड़ दिए, जिसके कारण उसे केवल अंडरवियर में विश्वविद्यालय के बाहर विरोध करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

इस घटना ने एक बार फिर ईरान में महिलाओं के लिए विवादास्पद ड्रेस कोड और मेराल पुलिस के व्यवहार को प्रकाश में ला दिया है. अहौ की गिरफ़्तारी के बाद से उसके ठिकाने के बारे में कोई खबर नहीं है, जिससे महत्वपूर्ण चिंताएं पैदा हुई हैं.

अहौ दरियाई के समर्थन में पोस्ट
अहौ दरियाई के समर्थन में पोस्ट (X)

घटना के बाद से ही दरयाई लापता हैं. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उन्होंने उसे कई लोगों के साथ कार में बैठते हुए देखा था. एबीसी न्यूज के अनुसार, ईरानी अखबार फरहिख्तेगन के टेलीग्राम चैनल का हवाला देते हुए कहा कि उसे शुरू में पुलिस स्टेशन ले जाया गया था.

मानसिक दबाव में थी दरयाई
मामले में आजाद विश्वविद्यालय के प्रवक्ता आमिर महजॉब ने एक्स पर कहा कि पुलिस स्टेशन पर... यह पाया गया कि वह गंभीर मानसिक दबाव में थी और उसे मानसिक डिसओर्जर था. महजॉब ने आगे दावा किया कि दो बच्चों की मां दरयाई मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पीड़ित थी.

उन्होंने कहा कि अगर हम दरयाई के बारे में सामने आ रही जानकारी पर गौर करें तो पता चलता है कि वह अपने पति से अलग हो गई है. महजॉब ने दावा किया कि विश्वविद्यालय की सिक्योरिटी टीम ने छात्रा से जुड़ी अनुचित घटना के बाद कार्रवाई की है.

इस बीच यूरोन्यूज ने अन्य समाचार सोर्स के माध्यम से खुलासा किया है कि दरयाई को खुफिया एजेंटों ने हिरासत में लिया है और एक अज्ञात स्थान पर ले जाया गया है. एबीसी न्यूज के अनुसार ईरान में प्रदर्शनकारियों को अक्सर अधिकारियों द्वारा मनोरोग सुविधाओं में भेजा जाता है और उन्हें अनस्टेबल करार दिया जाता है.

अहौ  दरियाई के समर्थन में पोस्ट
अहौ दरियाई के समर्थन में पोस्ट (X)

महिलाओं के लिए ड्रेस कोड
गौरतलब है कि ईरान के अनिवार्य ड्रेस कोड के तहत महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर सिर पर स्कार्फ और ढीले-ढाले कपड़े पहनना अनिवार्य है, जो लोग इसका पालन करने में विफल रहते हैं, उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं. इस घटना ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि ईरानी अधिकारियों को विश्वविद्यालय की छात्रा को तुरंत और बिना शर्त रिहा करना चाहिए, जिसे अनिवार्य हिजाब कानूनों के अपमानजनक प्रवर्तन के विरोध में कपड़े उतारने के बाद हिंसक रूप से गिरफ्तार किया गया था.

संगठन ने गिरफ्तारी के दौरान उसके खिलाफ हमले और यौन हिंसा के आरोपों की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की भी मांग की. उल्लेखनीय रूप से ईरान की रूढ़िवादी फार्स न्यूज एजेंसी ने एक रिपोर्ट में इस घटना की पुष्टि की, जिसमें उन्होंने छात्रा की छवि को धुंधला कर दिया.

इसने दावा किया कि उसने कक्षा में अनुचित कपड़े पहने थे और ड्रेस कोड का पालन करने के बारे में सुरक्षा गार्डों द्वारा चेतावनी दिए जाने के बाद उसने कपड़े उतार दिए.गवाहों ने यह भी बताया कि सुरक्षा गार्डों ने दरियाई से शांति से बात की और इस दावे से इनकार किया कि उनकी हरकतें आक्रामक थीं.

इस घटना ने ईरान में विद्रोह की एक नई लहर को प्रज्वलित कर दिया है. चाहे फेसबुक हो, एक्स हो या इंस्टाग्राम लोग मुखर रूप से सरकार की आलोचना कर रहे हैं. ईरानी महिलाएं दोहरा रही हैं कि यह ऐसा समय है, जब उन्हें एक-दूसरे को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए.

पहले भी होते रहे हैं प्रदर्शन
ईरान में हिजाब को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं है. लगभग एक दशक से भी ज्यादा समय से यहां इसे लेकर प्रदर्शन होते रहे हैं. खास बात यह है कि प्रदर्शनों में महिलाओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया है. अहौ दारियाई और महसा अमीनी से पहले मसीह अलीनेजाद, निका शाकर्रामी और हदीस ने भी हिजाब विरोधी आंदोलन को आगे बढ़ाया.

2022 में महसा अमिनी की मौत
इससे पहले 2022 में कुर्द ईरानी महिला महसा अमिनी ने हिजाब नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया था और उसके कुछ देर बाद पुलिस हिरासत में उसकी मौत हो गई थी. उसकी मौत के बाद पूरे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे.

अमिनी की मौत ने ईरानी महिलाओं को झकझोर दिया, जिससे उन्हें प्रतिबंधों के खिलाफ कई मौकों पर अपने सिर के स्कार्फ हटाने और उन्हें जलाने के लिए प्रेरित किया. इस पर ईरानी सरकार ने कठोर प्रतिक्रिया दी और लगभग 551 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई, जबकि हजारों लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया.

2014 में हुआ आंदोलन
वैसे तो ईरान में हिजाब अनिवार्य होते ही छिटपुट विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गए थे, लेकिन इस आंदोलन को असली हवा 2014 में उस समय मिली.ईरानी पत्रकार मसीह अलीनेजाद ने लंदन की गलियों में टहलते हुए अपनी एक फोटो फेसबुक पर पोस्ट कर दी. अलीनेजाद की फोटो पर सैकड़ों ईरानी महिलाओं के कमेंट आए. इससे प्रभावित होकर उन्होंने एक और फोटो पोस्ट किया. इन तस्वीरों में वह हिजाब नहीं पहने हुई थीं. इसके बाद ईरान की महिलाओं ने भी बिना हिजाब के उन्हें अपनी फोटो भेजना शुरू कर दिया और इस तरह एक आंदोलन शुरू हुआ.

2014 में हिजाब के खिलाफ विरोध के लिए माय स्टील्थी फ्रीडम नामक एक फेसबुक पेज बनाया गया. इस पेज के जरिए एकत्रित हुईं महिलाओं ने सोशल मीडिया पर कई अभियान चलाए. इनमें माय फॉरबेडन वॉइस, मैन इन हिजाब, माय कैमरा माय वेपन जैसी कई पहल शुरू कीं. इसके अलावा मई 2017 में वेडनेसडे अभियान चलाया. इस अभियान में शामिल महिलाओं ने हिजाब के खिलाफ सफेद कपड़े पहनकर विरोध किया. इसके अलावा ईरान की सड़कों पर भी लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए.

1979 से बदले हालात
बता दें कि 45 साल पहले ईरान ऐसा नहीं था. यहां लोग पश्चिमी सभ्यता को फॉलो करते और महिलाओं के पहनावे को लेकर कोई रोकटोक नहीं थी. हालांकि,1979 में आई इस्लामिक क्रांति के बाद माहौल बदल गया और महिलाओं के लिए हिजाब अनिवार्य हो गया.

यह भी पढ़ें- दुबई की महिला ने बताई लग्जरी लाइफ की क्या है कीमत! कहा- पति ने उनके लिए...

तेहरान: ईरान की एक छात्रा ने हाल ही में यूनिवर्सिटी कैंपस में अपने कपड़े उतार दिए थे, जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था. सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो जमकर वायरल हुआ. वहीं, अटकलें लगाई जा रही हैं कि लड़की ने देश के सख्त इस्लामी ड्रेस कोड के खिलाफ विरोध में अपने कपड़े उतारे. वहीं, कुछ रिपोट्स में यह भी कहा गया कि लड़की के साथ मोरैलिटी पुलिस (गश्त ए इरशाद) ने गलत बर्ताव किया था, जिसके विरोध में उसने यह कदम उठाया.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अहौ दरयाई नाम की इस महिला को तेहरान के प्रतिष्ठित इस्लामिक आजाद विश्वविद्यालय के अंदर बासिज अर्धसैनिक बल के सदस्यों द्वारा उत्पीड़न का सामना करना पड़ा. अधिकारियों ने उसका सिर का दुपट्टा और कपड़े फाड़ दिए, जिसके कारण उसे केवल अंडरवियर में विश्वविद्यालय के बाहर विरोध करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

इस घटना ने एक बार फिर ईरान में महिलाओं के लिए विवादास्पद ड्रेस कोड और मेराल पुलिस के व्यवहार को प्रकाश में ला दिया है. अहौ की गिरफ़्तारी के बाद से उसके ठिकाने के बारे में कोई खबर नहीं है, जिससे महत्वपूर्ण चिंताएं पैदा हुई हैं.

अहौ दरियाई के समर्थन में पोस्ट
अहौ दरियाई के समर्थन में पोस्ट (X)

घटना के बाद से ही दरयाई लापता हैं. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उन्होंने उसे कई लोगों के साथ कार में बैठते हुए देखा था. एबीसी न्यूज के अनुसार, ईरानी अखबार फरहिख्तेगन के टेलीग्राम चैनल का हवाला देते हुए कहा कि उसे शुरू में पुलिस स्टेशन ले जाया गया था.

मानसिक दबाव में थी दरयाई
मामले में आजाद विश्वविद्यालय के प्रवक्ता आमिर महजॉब ने एक्स पर कहा कि पुलिस स्टेशन पर... यह पाया गया कि वह गंभीर मानसिक दबाव में थी और उसे मानसिक डिसओर्जर था. महजॉब ने आगे दावा किया कि दो बच्चों की मां दरयाई मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पीड़ित थी.

उन्होंने कहा कि अगर हम दरयाई के बारे में सामने आ रही जानकारी पर गौर करें तो पता चलता है कि वह अपने पति से अलग हो गई है. महजॉब ने दावा किया कि विश्वविद्यालय की सिक्योरिटी टीम ने छात्रा से जुड़ी अनुचित घटना के बाद कार्रवाई की है.

इस बीच यूरोन्यूज ने अन्य समाचार सोर्स के माध्यम से खुलासा किया है कि दरयाई को खुफिया एजेंटों ने हिरासत में लिया है और एक अज्ञात स्थान पर ले जाया गया है. एबीसी न्यूज के अनुसार ईरान में प्रदर्शनकारियों को अक्सर अधिकारियों द्वारा मनोरोग सुविधाओं में भेजा जाता है और उन्हें अनस्टेबल करार दिया जाता है.

अहौ  दरियाई के समर्थन में पोस्ट
अहौ दरियाई के समर्थन में पोस्ट (X)

महिलाओं के लिए ड्रेस कोड
गौरतलब है कि ईरान के अनिवार्य ड्रेस कोड के तहत महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर सिर पर स्कार्फ और ढीले-ढाले कपड़े पहनना अनिवार्य है, जो लोग इसका पालन करने में विफल रहते हैं, उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं. इस घटना ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि ईरानी अधिकारियों को विश्वविद्यालय की छात्रा को तुरंत और बिना शर्त रिहा करना चाहिए, जिसे अनिवार्य हिजाब कानूनों के अपमानजनक प्रवर्तन के विरोध में कपड़े उतारने के बाद हिंसक रूप से गिरफ्तार किया गया था.

संगठन ने गिरफ्तारी के दौरान उसके खिलाफ हमले और यौन हिंसा के आरोपों की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की भी मांग की. उल्लेखनीय रूप से ईरान की रूढ़िवादी फार्स न्यूज एजेंसी ने एक रिपोर्ट में इस घटना की पुष्टि की, जिसमें उन्होंने छात्रा की छवि को धुंधला कर दिया.

इसने दावा किया कि उसने कक्षा में अनुचित कपड़े पहने थे और ड्रेस कोड का पालन करने के बारे में सुरक्षा गार्डों द्वारा चेतावनी दिए जाने के बाद उसने कपड़े उतार दिए.गवाहों ने यह भी बताया कि सुरक्षा गार्डों ने दरियाई से शांति से बात की और इस दावे से इनकार किया कि उनकी हरकतें आक्रामक थीं.

इस घटना ने ईरान में विद्रोह की एक नई लहर को प्रज्वलित कर दिया है. चाहे फेसबुक हो, एक्स हो या इंस्टाग्राम लोग मुखर रूप से सरकार की आलोचना कर रहे हैं. ईरानी महिलाएं दोहरा रही हैं कि यह ऐसा समय है, जब उन्हें एक-दूसरे को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए.

पहले भी होते रहे हैं प्रदर्शन
ईरान में हिजाब को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं है. लगभग एक दशक से भी ज्यादा समय से यहां इसे लेकर प्रदर्शन होते रहे हैं. खास बात यह है कि प्रदर्शनों में महिलाओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया है. अहौ दारियाई और महसा अमीनी से पहले मसीह अलीनेजाद, निका शाकर्रामी और हदीस ने भी हिजाब विरोधी आंदोलन को आगे बढ़ाया.

2022 में महसा अमिनी की मौत
इससे पहले 2022 में कुर्द ईरानी महिला महसा अमिनी ने हिजाब नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया था और उसके कुछ देर बाद पुलिस हिरासत में उसकी मौत हो गई थी. उसकी मौत के बाद पूरे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे.

अमिनी की मौत ने ईरानी महिलाओं को झकझोर दिया, जिससे उन्हें प्रतिबंधों के खिलाफ कई मौकों पर अपने सिर के स्कार्फ हटाने और उन्हें जलाने के लिए प्रेरित किया. इस पर ईरानी सरकार ने कठोर प्रतिक्रिया दी और लगभग 551 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई, जबकि हजारों लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया.

2014 में हुआ आंदोलन
वैसे तो ईरान में हिजाब अनिवार्य होते ही छिटपुट विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गए थे, लेकिन इस आंदोलन को असली हवा 2014 में उस समय मिली.ईरानी पत्रकार मसीह अलीनेजाद ने लंदन की गलियों में टहलते हुए अपनी एक फोटो फेसबुक पर पोस्ट कर दी. अलीनेजाद की फोटो पर सैकड़ों ईरानी महिलाओं के कमेंट आए. इससे प्रभावित होकर उन्होंने एक और फोटो पोस्ट किया. इन तस्वीरों में वह हिजाब नहीं पहने हुई थीं. इसके बाद ईरान की महिलाओं ने भी बिना हिजाब के उन्हें अपनी फोटो भेजना शुरू कर दिया और इस तरह एक आंदोलन शुरू हुआ.

2014 में हिजाब के खिलाफ विरोध के लिए माय स्टील्थी फ्रीडम नामक एक फेसबुक पेज बनाया गया. इस पेज के जरिए एकत्रित हुईं महिलाओं ने सोशल मीडिया पर कई अभियान चलाए. इनमें माय फॉरबेडन वॉइस, मैन इन हिजाब, माय कैमरा माय वेपन जैसी कई पहल शुरू कीं. इसके अलावा मई 2017 में वेडनेसडे अभियान चलाया. इस अभियान में शामिल महिलाओं ने हिजाब के खिलाफ सफेद कपड़े पहनकर विरोध किया. इसके अलावा ईरान की सड़कों पर भी लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए.

1979 से बदले हालात
बता दें कि 45 साल पहले ईरान ऐसा नहीं था. यहां लोग पश्चिमी सभ्यता को फॉलो करते और महिलाओं के पहनावे को लेकर कोई रोकटोक नहीं थी. हालांकि,1979 में आई इस्लामिक क्रांति के बाद माहौल बदल गया और महिलाओं के लिए हिजाब अनिवार्य हो गया.

यह भी पढ़ें- दुबई की महिला ने बताई लग्जरी लाइफ की क्या है कीमत! कहा- पति ने उनके लिए...

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.