रायपुर : छत्तीसगढ़ में नशे के बुरे प्रभाव से समाज को बचाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने व्यापक जन-जागरण अभियान चलाने के निर्देश मुख्य सचिव को दिए हैं. नशा मुक्ति जन जागरण अभियान की विस्तृत कार्य योजना तैयार करने के लिए समाज कल्याण विभाग को निर्देशित किया गया है.जिसमें देश में नशा मुक्ति का काम कर रहे प्रसिद्ध व्यक्तियों और संस्थाओं से आवश्यक रूप से सलाह ली जाएगी. समाज कल्याण विभाग एक माह में नशा मुक्ति जन-जागरण अभियान की विस्तृत कार्य योजना प्रस्तुत करेगा. इस अभियान में शासकीय प्रयासों के साथ ही एनजीओ, सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक संस्थाओं का सक्रिय सहयोग लिया जाएगा.
क्या है सीएम भूपेश बघेल की सोच : शराबबंदी से पहले सीएम भूपेश बघेल ने नशा मुक्ति पर जोर दिया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मुताबिक शराब भी नशा का हिस्सा है. उससे ज्यादा खतरनाक सूखा नशा है, यदि सभी नशा के खिलाफ अभियान छेड़ा जाए और एक वातावरण बने तो शराबबंदी भी हो सकती है. नशा मुक्ति भी हो सकती है, नशा मुक्ति के अंदर में शराब, गांजा, सूखा नशा, गुड़ाखू, तंबाकू, सिगरेट यह सब चीजें आती हैं.''
समाजसेवी की क्या है राय : नशा मुक्ति केंद्र की संचालिका और समाजसेवी का ममता शर्मा ने भी शराबबंदी की बात पर अपनी राय दी है.ममता शर्मा के मुताबिक प्रदेश में महिलाओं का 50 फीसदी वोट बैंक हैं. शराब से कहीं ना कहीं महिलाएं परेशान हैं.ऊपर से बाजार में कई तरह के सस्ते नशे भी उपलब्ध हैं.सरकार का शराब दुकानों को बंद करने का दावा गलत है.वहीं मार्केट में सस्ते से सस्ते नशा का सामान मिल रहा है.गांजा चरस कोकीन कुरियर से घर पहुंच रहा है. वहीं शराबबंदी से होने वाले नुकसान के बारे में ममता शर्मा ने कहा कि कोविड काल में भी शराब बंद थी.कहीं कोई दुष्परिणाम नहीं देखने को मिले.
क्या है नशा छोड़ने वाले महिलाओं और पुरुषों के आंकड़े : नशा छोड़ने की बात की जाए तो 1 साल पूर्व के आंकड़े के मुताबिक छत्तीसगढ़ के 17.9 प्रतिशत पुरुषों ने शराब पीना छोड़ दिया है. 12.1% पुरुषों ने तो तंबाकू को भी त्याग दिया. कोरोना काल मे राज्य सहित पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया था. उस समय शराब सहित अन्य नशे की सामग्री पर रोक लग गई थी. नशे की सामग्री नहीं मिलने से कुछ लोगों ने शराब और तंबाकू सहित अन्य चीजों का नशा करना छोड़ दिया. महिलाओं की बात करें तो 4.3% महिलाओं ने तंबाकू का नशा छोड़ा है. 17% महिलाएं तंबाकू एडिक्ट हैं. लेकिन शराब पीने के मामले में महिलाओं की संख्या पहले जितनी 6.1% ही है.नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ की महिलाएं पड़ोसी राज्य ओडिशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, वेस्ट बंगाल, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की महिलाओं से ज्यादा शराब पी रही हैं. तंबाकू खाने में छत्तीसगढ़ से आगे ओडिशा की महिलाएं हैं.
लक्ष्य से अधिक हुआ शराब से राजस्व प्राप्त : एक तरफ नशा मुक्ति की बात की जाती है. तो दूसरी तरफ ऐसा करने से राजस्व का घाटा हो सकता है. एक आंकड़ें के मुताबिक छत्तीसगढ़ में साल 2022-23 में 15 हजार करोड़ रुपये की शराब बेची गई, जिससे सरकार को 6800 करोड़ रुपये का टैक्स मिला है. यह निर्धारित लक्ष्य से 300 करोड़ रुपये अधिक है.आबकारी विभाग ने वर्ष के प्रारंभ में 5000 करोड़ राजस्व का लक्ष्य निर्धारित किया था. इसे बाद में बढ़ाकर 5500 करोड़ फिर 6500 करोड़ किया.लेकिन हासिल 6800 करोड़ किया गया. वहीं 2019-20 में चार हजार 952 करोड़ 79 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ. 2020-21 में 4 हजार 636 करोड़ 90 लाख रुपये, 2021-22 में 5 हजार 110 करोड़ 15 लाख रुपये प्राप्त हुआ.