नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत से थाईलैंड तक बनने वाले हाईवे के बारे में बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि इस हाईवे का दो-तिहाई काम पूरा हो चुका है. यह हाईवे तीन देशों के लिए कई दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है लेकिन आंतरिक कलह के कारण परियोजना अधर में लटका है. यह हाईवे वास्तव में बड़ा परिवर्तनकारी हो सकता है.
उन्होंने ये भी कहा कि म्यामार के हालात परियोजना को प्रभावित कर रहा है. हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया इस परियोजना को पूरा करने को लेकर समाधान निकालेंगे. बता दें कि विदेश मंत्री जयशंकर मंगलवार को असम 2.0 इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इंवेस्टमेंट समिट में शामिल होने के लिए गुवाहाटी पहुंचे थे. यहां उन्होंने इस परियोजना के बारे में जानकारी दी. विदेश मंत्री ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के साथ इस शिखर सम्मेलन को संबोधित किया.
Pleased to address Advantage Assam Summit 2.0 in Guwahati alongside CM @himantabiswa, Ambassadors and delegates.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 25, 2025
Spoke about Modi Government’s commitment to ‘Act East, Act Fast and Act First’.
Highlighted:
➡️ Act East starts with a change of approach by Delhi towards Assam… https://t.co/uZyWtrtkba pic.twitter.com/P1Kj1hoFac
जयशंकर ने कहा कि 1,400 किलोमीटर लंबा राजमार्ग भारत को भूमि मार्ग से दक्षिण पूर्व एशिया से जोड़ेगा. यह मणिपुर के मोरेह को म्यांमार के रास्ते थाईलैंड के माई सोत से जोड़ेगा. यह परियोजना 2019 में ही पूरा होना था लेकिन अब तक केवल 70 फीसदी काम ही पूरा हो सका है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 'एक्ट ईस्ट, एक्ट फास्ट और एक्ट फर्स्ट' नीति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला, साथ ही इस बात पर जोर दिया कि असम 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य कर सकता है.
अपने संबोधन के प्रमुख बिंदुओं को सूचीबद्ध करते हुए उन्होंने एक्स पर लिखा, 'गुवाहाटी में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा, राजदूतों और प्रतिनिधियों के साथ एडवांटेज असम शिखर सम्मेलन 2.0 को संबोधित करते हुए प्रसन्नता हुई. 'एक्ट ईस्ट, एक्ट फास्ट और एक्ट फर्स्ट' के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में बात की.' जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के तहत 2014 से असम और पूर्वोत्तर राज्यों के प्रति दिल्ली के रवैये में आए बदलाव की ओर इशारा किया.
पोस्ट में कहा गया, 'यह बुनियादी ढांचे, रोजगार, कौशल और विकास के लिए नई ऊर्जा और संसाधन लाने के लिए पूर्वोदय योजना द्वारा समर्थित है. पड़ोसी पहले की नीति ने हमारी पूर्वी सीमाओं पर बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी को बदल दिया है. द्विपक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग के लिए पूर्ण प्रतिबद्धता इसे और आगे ले जा सकती है.'
जयशंकर ने कहा कि दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) और भारत के बीच व्यापार समझौता आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौता (एआईटीआईजीए) आसियान के लिए बड़ी संभावनाएं प्रदान कर सकता है. जयशंकर ने कहा कि बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (बिम्सटेक) पर भी ध्यान दिया जा रहा है.
उन्होंने कहा, 'बिम्सटेक पर बहुत अधिक ध्यान दिया जा रहा है. हम और अधिक ऊर्जा और संसाधन लगाने का इरादा रखते हैं.' जापान और दक्षिण कोरिया के साथ हमारे सहयोग को और अधिक समकालीन स्वरूप प्रदान करना महत्वपूर्ण है. ऑस्ट्रेलिया के साथ साझेदारी भी विशेष उल्लेख के योग्य है. असम हमारी एक्ट ईस्ट नीति के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य कर सकता है. ब्रांड असम दिन-प्रतिदिन मजबूत होता जा रहा है. इस बीच, एडवांटेज असम 2.0 में अपने दौरे के दौरान कई देशों के राजदूतों ने गर्मजोशी से भरे स्वागत की सराहना की और असम राज्य द्वारा प्रस्तुत अपार अवसरों की भी सराहना की.