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पानी की कमी के कारण फसलें हो रहीं खराब, किसान परेशान

मौसम की मार से त्रस्त किसान बारिश का इंतजार करते-करते अब थक चुके हैं. हारकर आखिर में किसान पंप सेट के सहारे खेतों में पटवन करने और गन्ने में पानी पटाने को मजबूर हैं. लेकिन डीजल के दाम में बढ़ोतरी के कारण फसलों की सिंचाई पूरी तरह से नहीं हो पा रही है.

पंप सेट
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Published : Jun 3, 2019, 2:13 PM IST

पश्चिमि चंपारणः जिले में जल संकट की वजह से किसानों का हाल बेहाल है. धान और गन्ने जैसी नकदी फसलों का पटवन किसानों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. गण्डक विभाग की ओर भले ही नहरों में पानी छोड़ दिया गया हो, लेकिन अब भी गांवों में लोग पंप सेट के सहारे ही खेती करने को मजबूर हैं.

मौसम की मार से त्रस्त किसान बारिश का इंतजार करते-करते थक चुके हैं. हारकर किसान पंप सेट के सहारे खेतों में पटवन करने और गन्ने में पानी पटाने को मजबूर हैं. किसानों के लिए प्रचंड धूप और बारिश का न होना एक बड़ी समस्या है. दूसरी ओर जिन लोगों की खेती नहरों के किनारे है, उनको नहर में पानी होने की वजह से थोड़ी राहत है.

पानी के अभाव में नही हो पा रही सिंचाई

सिंचाई की घोर समस्या

गौरतलब है कि अभी धान का बिचड़ा तैयार करने और गन्ने की फसल में पानी पटवन का समय है. ऐसे में किसानों के लिए बारिश न होना किसी मुसीबत से कम नहीं है. गण्डक विभाग के अभियंता जमील अहमद की मानें तो गण्डक बराज से क्षेत्र के तीनों नहरों यानी तिरहुत, त्रिवेणी और दोन नहर में पानी छोड़ा गया है. लेकिन बारिश नहीं होने से कोटा पूरा नहीं हो पा रहा है.

क्या कहते हैं किसान?

किसानों का कहना है कि सरकार की ओर से सिंचाई की व्यवस्था नहीं की गई है. इन इलाकों में बोरिंग की सुविधा भी नहीं है और न ही पनवेल की. ऐसे में पंप सेट से पानी पटाकर वो खेती करने को मजबूर हैं. डीजल की बढ़ती महंगाई और बरसात का न होना सिंचाई के लिए बड़ी समस्या खड़ी कर रहा है. सिंचाई के अभाव के कारण चिलचिलाती गर्मी से गन्ना की फसल सुखने लगी है. ऐसे में किसान हर तरफ से परेशानियों से घिरा हुआ है.

पश्चिमि चंपारणः जिले में जल संकट की वजह से किसानों का हाल बेहाल है. धान और गन्ने जैसी नकदी फसलों का पटवन किसानों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. गण्डक विभाग की ओर भले ही नहरों में पानी छोड़ दिया गया हो, लेकिन अब भी गांवों में लोग पंप सेट के सहारे ही खेती करने को मजबूर हैं.

मौसम की मार से त्रस्त किसान बारिश का इंतजार करते-करते थक चुके हैं. हारकर किसान पंप सेट के सहारे खेतों में पटवन करने और गन्ने में पानी पटाने को मजबूर हैं. किसानों के लिए प्रचंड धूप और बारिश का न होना एक बड़ी समस्या है. दूसरी ओर जिन लोगों की खेती नहरों के किनारे है, उनको नहर में पानी होने की वजह से थोड़ी राहत है.

पानी के अभाव में नही हो पा रही सिंचाई

सिंचाई की घोर समस्या

गौरतलब है कि अभी धान का बिचड़ा तैयार करने और गन्ने की फसल में पानी पटवन का समय है. ऐसे में किसानों के लिए बारिश न होना किसी मुसीबत से कम नहीं है. गण्डक विभाग के अभियंता जमील अहमद की मानें तो गण्डक बराज से क्षेत्र के तीनों नहरों यानी तिरहुत, त्रिवेणी और दोन नहर में पानी छोड़ा गया है. लेकिन बारिश नहीं होने से कोटा पूरा नहीं हो पा रहा है.

क्या कहते हैं किसान?

किसानों का कहना है कि सरकार की ओर से सिंचाई की व्यवस्था नहीं की गई है. इन इलाकों में बोरिंग की सुविधा भी नहीं है और न ही पनवेल की. ऐसे में पंप सेट से पानी पटाकर वो खेती करने को मजबूर हैं. डीजल की बढ़ती महंगाई और बरसात का न होना सिंचाई के लिए बड़ी समस्या खड़ी कर रहा है. सिंचाई के अभाव के कारण चिलचिलाती गर्मी से गन्ना की फसल सुखने लगी है. ऐसे में किसान हर तरफ से परेशानियों से घिरा हुआ है.

Intro:जिले में जल संकट की वजह से किसानों का हाल बेहाल हो गया है। धान व गन्ने जैसी नकदी फसलों का पटवन किसानों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। गण्डक विभाग द्वारा भले ही नहरों में पानी छोड़ दिया गया हो लेकिन अब भी क्षेत्र के कई गांवों में लोग पम्प सेट के सहारे हीं खेती करने को विवश हैं।


Body:मौसम की बेइमानी से त्रस्त किसान बारिश का इन्तेजार कर आखिरकार पम्प सेट के भरोसे खेतों में पटवन करने और गन्ने में पानी पटाने को मजबूर हैं। किसानों के लिए प्रचंड धूप व बारिश का न होना सिरदर्दी साबित हो रहा है। जिन लोगों की खेती नहरों के किनारे है , उनको नहर में पानी होने की वजह से थोड़ी राहत है। लेकिन वैसे किसान जिनके लिए सिंचाई की कोई सुविधा नही , वो या तो भगवान भरोसे है और या तो पम्प सेट पर आश्रित हैं।
गौरतलब हो कि अभी धान का बीजड़ा तैयार करने व गन्ना के फसल में पानी पटवन का समय है। ऐसे में किसानों के लिए बारिश न होना मुसीबत का पहाड़ टूटने से कमतर कुछ भी नहीं। गण्डक विभाग के अभियंता जमील अहमद की माने तो गण्डक बराज द्वारा क्षेत्र के तीनों नहरों अर्थात तिरहुत, त्रिवेणी व दोन नहर में जल स्त्राव किया गया है लेकिन वर्षा नही होने से उपयुक्त कोटा पूरा नही हो पा रहा है। वहीं किसानों का कहना है कि सरकार द्वारा तो कोई सिंचाई की व्यवस्था की नही गई है। ना ही इलाके में बोरिंग है और नही पनवेल। ऐसे में पम्प सेट से पानी पटाकर वो खेती करने को मजबूर हैं।


Conclusion:वर्तमान समय मे डीजल की बढ़ती महंगाई और बरसात का न होना साथ ही चिलचिलाती गर्मी से गन्ना के फसलों का सुखना। किसान चौतरफा मार झेलने को मजबूर हैं।
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