पश्चिमि चंपारणः जिले में जल संकट की वजह से किसानों का हाल बेहाल है. धान और गन्ने जैसी नकदी फसलों का पटवन किसानों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. गण्डक विभाग की ओर भले ही नहरों में पानी छोड़ दिया गया हो, लेकिन अब भी गांवों में लोग पंप सेट के सहारे ही खेती करने को मजबूर हैं.
मौसम की मार से त्रस्त किसान बारिश का इंतजार करते-करते थक चुके हैं. हारकर किसान पंप सेट के सहारे खेतों में पटवन करने और गन्ने में पानी पटाने को मजबूर हैं. किसानों के लिए प्रचंड धूप और बारिश का न होना एक बड़ी समस्या है. दूसरी ओर जिन लोगों की खेती नहरों के किनारे है, उनको नहर में पानी होने की वजह से थोड़ी राहत है.
सिंचाई की घोर समस्या
गौरतलब है कि अभी धान का बिचड़ा तैयार करने और गन्ने की फसल में पानी पटवन का समय है. ऐसे में किसानों के लिए बारिश न होना किसी मुसीबत से कम नहीं है. गण्डक विभाग के अभियंता जमील अहमद की मानें तो गण्डक बराज से क्षेत्र के तीनों नहरों यानी तिरहुत, त्रिवेणी और दोन नहर में पानी छोड़ा गया है. लेकिन बारिश नहीं होने से कोटा पूरा नहीं हो पा रहा है.
क्या कहते हैं किसान?
किसानों का कहना है कि सरकार की ओर से सिंचाई की व्यवस्था नहीं की गई है. इन इलाकों में बोरिंग की सुविधा भी नहीं है और न ही पनवेल की. ऐसे में पंप सेट से पानी पटाकर वो खेती करने को मजबूर हैं. डीजल की बढ़ती महंगाई और बरसात का न होना सिंचाई के लिए बड़ी समस्या खड़ी कर रहा है. सिंचाई के अभाव के कारण चिलचिलाती गर्मी से गन्ना की फसल सुखने लगी है. ऐसे में किसान हर तरफ से परेशानियों से घिरा हुआ है.