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स्कूल शिफ्ट होने से 150 बच्चों का भविष्य अधर में, जंगल पार कर दूसरे स्कूल जाने में है खतरा - अतिपिछड़ा वर्ग के श्रेणी के बच्चे

इस विषय पर बीडीसी गुलाब अंसारी ने बताया कि एक महीने पहले स्कूल शिफ्ट हुआ है और तब से बच्चों की पढ़ाई भी बंद हो गई है. इस मामले में पत्र प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को लिखा गया है, लेकिन अब तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया.

स्कूल की जगह बदलने से बच्चों की पढाई रुकी
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Published : Sep 15, 2019, 12:45 PM IST

पश्चिमी चंपारण: जिले के चकदहवा के राजकीय प्राथमिक विद्यालय को दूसरे विद्यालय में परिवर्तन कर देने के बाद सैकड़ों बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं. यह गांव बगहा 2 प्रखण्ड के इंडो- नेपाल सीमा के अंदर अतिपिछड़ा वर्ग की श्रेणी में आता है. इस विद्यालय में 150 बच्चे शिक्षा ले रहे थे. लेकिन दूसरे विद्यालय का रास्ता घने जंगल के रास्ते होने के कारण बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं.

स्कूल की जगह बदलने से बच्चों की पढाई रुकी

शिक्षा से वंचित हो रहे बच्चे
दरअसल, जिले के वाल्मीकिनगर के भेड़िहारी पंचायत अंतर्गत पड़ने वाले चकदहवा में वर्ष 2004 में राजकीय प्राथमिक विद्यालय चकदहवा की स्थापना की गई थी. विद्यालय की स्थापना के पीछे सरकार की शायद यही सोच रही होगी कि जंगल के बीचो बीच गण्डक नदी के किनारे बसे इस अतिपिछड़े क्षेत्र के भी बच्चे पढ़ लिख कर देश के विकास में अपनी भागीदारी निभाएंगे. यही वजह थी कि वर्षों से झोपड़ी में ही विद्यालय संचालित होता आ रहा था. ताकि बच्चे शिक्षा से वंचित न रह पाएं. इस झोपड़ी नुमा विद्यालय में हीं 150 से ऊपर बच्चे- बच्चियों की जिंदगी संवर रही थी. लेकिन अब सरकार ने इस विद्यालय को गांव से 5 किमी दूर इसी पंचायत के रोहुआ टोला के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में शामिल कर दिया है. इस विद्यालय में गांव के 3 टोला के बच्चे पढ़ने जा रहे थे.

student stopped studying in west champaran
150 बच्चों का भविष्य अधर में लटका

जंगलों को पार करने में है खतरा
आपको बता दें कि रोहुआ टोला का रास्ता तय करने के लिए पहले घने जंगलों से होकर गुजरना पड़ता है. यही वजह है कि न तो अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए सहमत हैं और ना ही छात्रों की हिम्मत हो रही है. ग्रामीणों का कहना है कि जंगल में भयानक जंगली जीव निकलते हैं. साथ ही अभी बच्चा चोर गिरोह का भी शोर चारों तरफ है. ऐसे हालात में अपने बच्चों को स्कूल कौन भेजना चाहेगा? वहीं छात्रों का कहना है कि जंगल पार कर स्कूल जाने में डर लगता है.

student stopped studying in west champaran
जंगलों के रास्ते में है दूसरा विद्यालय

150 बच्चों की पढ़ाई रुकी
इस विषय पर बीडीसी गुलाब अंसारी ने बताया कि एक महीने पहले स्कूल शिफ्ट हुआ है और तब से बच्चों की पढ़ाई भी बंद हो गई है. इस मामले में पत्र प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को लिखा गया है, लेकिन अब तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया. देखने की बात यह है कि जहां सरकार शिक्षा को गांव-गांव तक पहुंचाने की कोशिश में जुटी है. वहीं स्कूल को इस तरह से हटा देने से क्या शिक्षा की पहुंच बच्चों तक हो पाएगी?

पश्चिमी चंपारण: जिले के चकदहवा के राजकीय प्राथमिक विद्यालय को दूसरे विद्यालय में परिवर्तन कर देने के बाद सैकड़ों बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं. यह गांव बगहा 2 प्रखण्ड के इंडो- नेपाल सीमा के अंदर अतिपिछड़ा वर्ग की श्रेणी में आता है. इस विद्यालय में 150 बच्चे शिक्षा ले रहे थे. लेकिन दूसरे विद्यालय का रास्ता घने जंगल के रास्ते होने के कारण बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं.

स्कूल की जगह बदलने से बच्चों की पढाई रुकी

शिक्षा से वंचित हो रहे बच्चे
दरअसल, जिले के वाल्मीकिनगर के भेड़िहारी पंचायत अंतर्गत पड़ने वाले चकदहवा में वर्ष 2004 में राजकीय प्राथमिक विद्यालय चकदहवा की स्थापना की गई थी. विद्यालय की स्थापना के पीछे सरकार की शायद यही सोच रही होगी कि जंगल के बीचो बीच गण्डक नदी के किनारे बसे इस अतिपिछड़े क्षेत्र के भी बच्चे पढ़ लिख कर देश के विकास में अपनी भागीदारी निभाएंगे. यही वजह थी कि वर्षों से झोपड़ी में ही विद्यालय संचालित होता आ रहा था. ताकि बच्चे शिक्षा से वंचित न रह पाएं. इस झोपड़ी नुमा विद्यालय में हीं 150 से ऊपर बच्चे- बच्चियों की जिंदगी संवर रही थी. लेकिन अब सरकार ने इस विद्यालय को गांव से 5 किमी दूर इसी पंचायत के रोहुआ टोला के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में शामिल कर दिया है. इस विद्यालय में गांव के 3 टोला के बच्चे पढ़ने जा रहे थे.

student stopped studying in west champaran
150 बच्चों का भविष्य अधर में लटका

जंगलों को पार करने में है खतरा
आपको बता दें कि रोहुआ टोला का रास्ता तय करने के लिए पहले घने जंगलों से होकर गुजरना पड़ता है. यही वजह है कि न तो अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए सहमत हैं और ना ही छात्रों की हिम्मत हो रही है. ग्रामीणों का कहना है कि जंगल में भयानक जंगली जीव निकलते हैं. साथ ही अभी बच्चा चोर गिरोह का भी शोर चारों तरफ है. ऐसे हालात में अपने बच्चों को स्कूल कौन भेजना चाहेगा? वहीं छात्रों का कहना है कि जंगल पार कर स्कूल जाने में डर लगता है.

student stopped studying in west champaran
जंगलों के रास्ते में है दूसरा विद्यालय

150 बच्चों की पढ़ाई रुकी
इस विषय पर बीडीसी गुलाब अंसारी ने बताया कि एक महीने पहले स्कूल शिफ्ट हुआ है और तब से बच्चों की पढ़ाई भी बंद हो गई है. इस मामले में पत्र प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को लिखा गया है, लेकिन अब तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया. देखने की बात यह है कि जहां सरकार शिक्षा को गांव-गांव तक पहुंचाने की कोशिश में जुटी है. वहीं स्कूल को इस तरह से हटा देने से क्या शिक्षा की पहुंच बच्चों तक हो पाएगी?

Intro:बगहा 2 प्रखण्ड के इंडो नेपाल सीमा अंतर्गत अतिपिछड़े क्षेत्र चकदहवा में स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय को दूसरे विद्यालय में शिफ्ट किये जाने से सैकड़ो बच्चे शिक्षा से महरूम हो जा रहे हैं। चकदहवा, झंड़ाहवा टोला, सुस्ता जैसे अनेक टोला के सैकड़ों बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है।


Body:वाल्मीकिनगर के भेड़िहारी पंचायत अंतर्गत पड़ने वाले चकदहवा में वर्ष 2004 में राजकीय प्राथमिक विद्यालय चकदहवा की स्थापना हुई। विद्यालय के स्थापना के पीछे सरकार का शायद यहीं मकसद रहा होगा कि इस जंगल के बीचोबीच गण्डक नदी के किनारे बसे इस अतिपिछड़े क्षेत्र के भी नौनिहाल पढ़ लिख कर देश के विकास में अपनी भागीदारी निभाएंगे। यही वजह था कि वर्षों से झोपड़ी में ही विद्यालय संचालित होता आ रहा था ताकि बच्चे शिक्षा से वंचित न रह पाए। इस झोपड़ी नुमा विद्यालय में हीं 150 से ऊपर बच्चे बच्चियों की किस्मत संवर रही थी।अब सरकार ने इस विद्यालय को इस गांव से 5 किमी दूर इसी पंचायत के रोहुआ टोला स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में शिफ्ट कर दिया है। बता दें कि रोहुआ टोला का रास्ता तय करने के लिए दुर्गम घने जंगल से होकर गुजरना पड़ता है। यही वजह है कि न तो अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने की जहमत कर पा रहे और न हीं छात्रों की हिम्मत हो रही। ग्रामीणों का कहना है कि जंगल मे भयानक जंगली जीव निकलते हैं साथ ही अभी बच्चा चोर का शोर अलग है ऐसे में अपने बच्चों को स्कूल कौन भेजना चाहेगा। वही छात्रों का कहना है जंगल पार कर स्कूल जाने में डर लगता है। बीडीसी गुलाब अंसारी का कहना है कि एक माह पहले स्कूल शिफ्ट हुआ और तब से बच्चों की पढ़ाई बंद हो गई है। इस मामले में पत्र प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को लिखा गया है लेकिन अब तक कोई संज्ञान नही लिया गया।
बाइट-1गंगा राम, ग्रामीण
बाइट-2 रवि कुमार, छात्र
बाइट-3 गुलाब अंसारी, बीडीसी
p2c


Conclusion:अब देखने वाली बात यह होगी कि इन सैकड़ो बच्चों का अधर में लटके भविष्य पर प्रशासन कब संज्ञान लेते है। या अब इन बच्चों के नियति में शिक्षा से वंचित होना ही लिखा है।
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