वैशाली: शुक्रवार को सोनपुर के विश्व प्रसिद्ध मेले का 20वां दिन था. मेले में भीड़ कम होने की खबर सुनकर पहलेजा के राम जानकी मंदिर संस्थापक वयोवृद्ध फलाहारी बाबा काफी मायूस दिखे. मौके पर उन्होंने कहा कि पशु मेले में पशु नहीं होने से मेले पर बहुत प्रभाव पड़ा है. मेले को सीमित होते देख फलाहारी बाबा ने मौजूदा सरकार को मुख्य तौर पर जिम्मेदार ठहराया.
'मवेशी हैं आकर्षण का केंद्र'
गौरतलब है कि फलाहारी बाबा पहलेजा घाट स्थित सन् 1978 में निर्मित राम जानकी मंदिर के संस्थापक हैं. बाबा सोनपुर के हरिहर क्षेत्र मेला के इतिहास को काफी बारीकियों से जानते हैं. उन्होंने शुक्रवार को देवभूमि स्थल के बारे में विस्तार पूर्वक बताया. बाबा की मानें तो मेले में राजा-महाराजाओं के समय से ही विदेशी सैलानियों का आगमन रहा है. मेले में मवेशी ही हमेशा से आगंतुकों के आकर्षण का केंद्र रहे हैं.
मेला जीवंत करने के लिए सरकार से गुहार
मेले की स्थिति पर दुख व्यक्त करते हुए बाबा ने बताया कि पशु क्रय-विक्रय करने वालों के साथ मेले में दर्शकों की भारी भीड़ हुआ करती थी. बता दें कि बाबा ने प्रदेश सरकार को मेला सिमटने का प्रमुख जिम्मेदार बताया है. उन्होंने कहा कि सरकार सुविधाओं में कटौती करेगी तो मेले पर प्रभाव पड़ना लाजिमी है. पहलेजा घाट पर विदेशी सैलानी स्नान करने आते थे. साथ ही उन्होंने कहा कि विदेशी पर्यटक परिजनों के मरने पर श्राद्ध संस्कार के लिए भी आते थे. बता दें कि फलाहारी बाबा ने मेले को फिर से जीवंत करने के लिए सरकार से गुहार लगाई है.