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सोनपुर मेला: मेले की घटती रौनक से फलाहारी बाबा चिंतित, सरकार से जीवंत करने की लगाई गुहार

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Published : Nov 29, 2019, 11:32 PM IST

फलाहारी बाबा पहलेजा घाट स्थित सन् 1978 में निर्मित राम जानकी मंदिर के संस्थापक हैं. बाबा सोनपुर के हरिहर क्षेत्र मेला के इतिहास को काफी बारीकियों से जानते हैं.

वैशाली
सोनपुर मेला

वैशाली: शुक्रवार को सोनपुर के विश्व प्रसिद्ध मेले का 20वां दिन था. मेले में भीड़ कम होने की खबर सुनकर पहलेजा के राम जानकी मंदिर संस्थापक वयोवृद्ध फलाहारी बाबा काफी मायूस दिखे. मौके पर उन्होंने कहा कि पशु मेले में पशु नहीं होने से मेले पर बहुत प्रभाव पड़ा है. मेले को सीमित होते देख फलाहारी बाबा ने मौजूदा सरकार को मुख्य तौर पर जिम्मेदार ठहराया.

'मवेशी हैं आकर्षण का केंद्र'
गौरतलब है कि फलाहारी बाबा पहलेजा घाट स्थित सन् 1978 में निर्मित राम जानकी मंदिर के संस्थापक हैं. बाबा सोनपुर के हरिहर क्षेत्र मेला के इतिहास को काफी बारीकियों से जानते हैं. उन्होंने शुक्रवार को देवभूमि स्थल के बारे में विस्तार पूर्वक बताया. बाबा की मानें तो मेले में राजा-महाराजाओं के समय से ही विदेशी सैलानियों का आगमन रहा है. मेले में मवेशी ही हमेशा से आगंतुकों के आकर्षण का केंद्र रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

मेला जीवंत करने के लिए सरकार से गुहार
मेले की स्थिति पर दुख व्यक्त करते हुए बाबा ने बताया कि पशु क्रय-विक्रय करने वालों के साथ मेले में दर्शकों की भारी भीड़ हुआ करती थी. बता दें कि बाबा ने प्रदेश सरकार को मेला सिमटने का प्रमुख जिम्मेदार बताया है. उन्होंने कहा कि सरकार सुविधाओं में कटौती करेगी तो मेले पर प्रभाव पड़ना लाजिमी है. पहलेजा घाट पर विदेशी सैलानी स्नान करने आते थे. साथ ही उन्होंने कहा कि विदेशी पर्यटक परिजनों के मरने पर श्राद्ध संस्कार के लिए भी आते थे. बता दें कि फलाहारी बाबा ने मेले को फिर से जीवंत करने के लिए सरकार से गुहार लगाई है.

वैशाली: शुक्रवार को सोनपुर के विश्व प्रसिद्ध मेले का 20वां दिन था. मेले में भीड़ कम होने की खबर सुनकर पहलेजा के राम जानकी मंदिर संस्थापक वयोवृद्ध फलाहारी बाबा काफी मायूस दिखे. मौके पर उन्होंने कहा कि पशु मेले में पशु नहीं होने से मेले पर बहुत प्रभाव पड़ा है. मेले को सीमित होते देख फलाहारी बाबा ने मौजूदा सरकार को मुख्य तौर पर जिम्मेदार ठहराया.

'मवेशी हैं आकर्षण का केंद्र'
गौरतलब है कि फलाहारी बाबा पहलेजा घाट स्थित सन् 1978 में निर्मित राम जानकी मंदिर के संस्थापक हैं. बाबा सोनपुर के हरिहर क्षेत्र मेला के इतिहास को काफी बारीकियों से जानते हैं. उन्होंने शुक्रवार को देवभूमि स्थल के बारे में विस्तार पूर्वक बताया. बाबा की मानें तो मेले में राजा-महाराजाओं के समय से ही विदेशी सैलानियों का आगमन रहा है. मेले में मवेशी ही हमेशा से आगंतुकों के आकर्षण का केंद्र रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

मेला जीवंत करने के लिए सरकार से गुहार
मेले की स्थिति पर दुख व्यक्त करते हुए बाबा ने बताया कि पशु क्रय-विक्रय करने वालों के साथ मेले में दर्शकों की भारी भीड़ हुआ करती थी. बता दें कि बाबा ने प्रदेश सरकार को मेला सिमटने का प्रमुख जिम्मेदार बताया है. उन्होंने कहा कि सरकार सुविधाओं में कटौती करेगी तो मेले पर प्रभाव पड़ना लाजिमी है. पहलेजा घाट पर विदेशी सैलानी स्नान करने आते थे. साथ ही उन्होंने कहा कि विदेशी पर्यटक परिजनों के मरने पर श्राद्ध संस्कार के लिए भी आते थे. बता दें कि फलाहारी बाबा ने मेले को फिर से जीवंत करने के लिए सरकार से गुहार लगाई है.

Intro:लोकेशन: वैशाली
रिपोर्टर: राजीव कुमार श्रीवास्तवा

: सोंनपुर के विश्व प्रसिद्ध मेला के आकार सीमित होने पर फलहारी बाबा ने इसके लिये प्रदेश सरकार को जिम्मेवार बताया हैं।


Body:: शुक्रवार को सोंनपुर का विश्व प्रसिद्ध मेला का 20 वां दिन था । मेला में भीड़ कम होने की खबर सुनकर पहलेजा के रामजानकी मंदिर के संस्थापक वयोवृद्ध फलहारी बाबा काफी मायूस दिखे ।कहा कि पशु मेला में अगर पशु नहीं रहेगा तो भीड़ होंगी कैसे ..? उन्होंने दिन पर दिन मेला की सीमित होते देखकर इसके लिये सरकार को मुख्य तौर पर जिम्मेवार बताया हैं।

फलहारी बाबा पहलेजा घाट स्थित रामजानकी मंदिर में 19 78 से रहते आ रहें हैं। वे इस मंदिर का संस्थापक भी हैं। उन्होंने सोंनपुर के विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र मेला के इतिहास को काफी बारीकियों से जानते हैं । उन्होंने Etv भारत से रूबरू होकर देवभूमि वाला इस स्थल के बारे में विस्तार पूर्वक बताया । बाबा की मानें तो पहले यहा राजा महाराजाओं के समय से लेकर देश की आजादी के बाद विदेशी भी काफी संख्या में यहा आते थे ।यहा सभी मवेशियों के काफी संख्या में जमावड़ा होता था ।मेला खूब सजती थी ।इसको लेकर दर्शकों की भारी भीड़ हुआ करती थी ।

उन्होंने मेले को सिमटता देखकर इसके लिये प्रदेश सरकार को जिम्मेवार बताया हैं। उन्होंने आगें बताया कि सरकार सुविधाओ में अगर कटौती करेंगी तो मेला पर इसका प्रभाव अवश्य पड़ेगा ही।

उन्होंने आगें बताया कि पहलेजा घाट पर भी विदेशी लोग स्नान करने आते थे ।उनके परिजनों के मरने पर विदेश से यहा क्रिया कलाप करने आते थे ।उस दौरान उन्हें इसके लिये सरकार सभी सुविधाएं देती थी ।




Conclusion:बहरहाल, फलहारी बाबा ने सरकार से मेला को फिर से पहले जैसे करने के लिये ध्यान भी आकृष्ट कराया हैं।

1-2-1 विथ फलहारी बाबा ।
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