ETV Bharat / business

क्या सरकार के लिए जरूरी है वेतन आयोग की सिफारिशें मानना ? अगर काट-छांट हुई तो सैलरी पर चल जाएगी कैंची - 8TH PAY COMMISSION

केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के वेतन में संशोधन के लिए 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दे दी है. जल्द ही सरकार आयोग का गठन करेगी.

Pay Commission
क्या सरकार के लिए जरूरी होता वेतन आयोग की सिफारिशें मानना ? (Getty Images)
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 23, 2025, 7:43 PM IST

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बैठक में हाल ही में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में संशोधन के लिए 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दी. आयोग की मंजूरी मिलने के बाद से ही इसको लेकर चर्चाएं हो रही हैं. आठवां वेतन आयोग लागू होने से केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सैलरी में बंपर बढ़ोतरी हो सकती है.

माना जा रहा है कि 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.28 से 2.86 के बीच हर सकता है. अगर ऐसा होता है तो केंद्रीय कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 18000 रुपये से बढ़कर 41000 से 51,480 के बीच पहुंच सकती है. बता दें कि 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था. इस हिसाब से नए वेतन आयोग के तहत सैलरी 2.57 गुना बढ़ी थी.

केंद्र सरकार जल्द ही आयोग का गठन करेगा,जो केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी और पेंशनभोगियों की पेंशन की समीक्षा करेगा और इसके बाद अपनी सिफारिशें केंद्र सरकार के सामने रखेगा. ऐसे में सवाल यह है कि क्या केंद्र सरकार वेतन आयोग की सिफारिशें मानने के लिए बाध्य है और अगर केंद्र सरकार सिफारिशें नहीं मानी तो क्या होगा ?

क्या-क्या सिफारिशें करता है वेतन आयोग ?
बता दें कि वेतन आयोग में सैलरी, इकोनॉमी, मानव संसधान क्षेत्र के एक्सपर्ट्स को शामिल किया जाता है. यह आयोग केंद्रीय कर्मचारियों की मौजूदा सैलरी और पेंशन की समीक्षा करता है और देश की महंगाई दर, आर्थिक स्थिति, बाजार के वेतन जैसे फैक्टरों के आधार सिफारिशें तय करता है और फिर इन्हें केंद्र सरकार के सामना पेश करता है. अपनी सिफारिशों में आयोग कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने के साथ-साथ उनको मिलने महंगाई, आवास, परिवहन, मेडिकल भत्ते, और कर्मचारियों के लिए ट्रेनिंग को भी शामिल करता हैं.

आयोग के सिफारिशें मानने के लिए बाध्य है सरकार?
उल्लेखनीय है कि सरकार वेतन आयोग की सिफारिशें मानने के लिए बाध्य नहीं है. सरकार चाहे तो इन सिफारिशों को मानें या न मानें. आयोग इन्हें मानने के लिए सरकार पर दबाव नहीं बना सकती. सिफारिशें लागू करने से पहले केंद्र सरकार देश के वित्तीय हालात, राजकोषीय स्थिति और महंगाई पर विचार करती है. इसके बाद ही उन सिफारिशों लागू किया जाता है.

साथ ही यह भी सरकार पर निर्भर होता है कि वह इन सिफारिशों को आंशिक लागू करे या पूर्ण रूप से.इतना ही नहीं केंद्र सरकार वेतन आयोग द्वारा तय किए गए फिगमेंट फैक्टर में काट-छांट भी करने के लिए स्वतंत्र होती है और वह ही तय करती है कि उसे कितना फिगमेंट फैक्टर लागू करना है.

अगर 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों में सरकार कुछ काट-छांट करती है तो हो सकता है कर्मचारियों के वेतन में उतनी बढ़ोतरी न हो, जितनी कि अपेक्षा की जा रही है.

यह भी पढ़ें- केंद्रीय कर्मचारियों को कब से मिलेगी बढ़ी हुई सैलरी? जानें सबकुछ

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बैठक में हाल ही में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में संशोधन के लिए 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दी. आयोग की मंजूरी मिलने के बाद से ही इसको लेकर चर्चाएं हो रही हैं. आठवां वेतन आयोग लागू होने से केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सैलरी में बंपर बढ़ोतरी हो सकती है.

माना जा रहा है कि 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.28 से 2.86 के बीच हर सकता है. अगर ऐसा होता है तो केंद्रीय कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 18000 रुपये से बढ़कर 41000 से 51,480 के बीच पहुंच सकती है. बता दें कि 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था. इस हिसाब से नए वेतन आयोग के तहत सैलरी 2.57 गुना बढ़ी थी.

केंद्र सरकार जल्द ही आयोग का गठन करेगा,जो केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी और पेंशनभोगियों की पेंशन की समीक्षा करेगा और इसके बाद अपनी सिफारिशें केंद्र सरकार के सामने रखेगा. ऐसे में सवाल यह है कि क्या केंद्र सरकार वेतन आयोग की सिफारिशें मानने के लिए बाध्य है और अगर केंद्र सरकार सिफारिशें नहीं मानी तो क्या होगा ?

क्या-क्या सिफारिशें करता है वेतन आयोग ?
बता दें कि वेतन आयोग में सैलरी, इकोनॉमी, मानव संसधान क्षेत्र के एक्सपर्ट्स को शामिल किया जाता है. यह आयोग केंद्रीय कर्मचारियों की मौजूदा सैलरी और पेंशन की समीक्षा करता है और देश की महंगाई दर, आर्थिक स्थिति, बाजार के वेतन जैसे फैक्टरों के आधार सिफारिशें तय करता है और फिर इन्हें केंद्र सरकार के सामना पेश करता है. अपनी सिफारिशों में आयोग कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने के साथ-साथ उनको मिलने महंगाई, आवास, परिवहन, मेडिकल भत्ते, और कर्मचारियों के लिए ट्रेनिंग को भी शामिल करता हैं.

आयोग के सिफारिशें मानने के लिए बाध्य है सरकार?
उल्लेखनीय है कि सरकार वेतन आयोग की सिफारिशें मानने के लिए बाध्य नहीं है. सरकार चाहे तो इन सिफारिशों को मानें या न मानें. आयोग इन्हें मानने के लिए सरकार पर दबाव नहीं बना सकती. सिफारिशें लागू करने से पहले केंद्र सरकार देश के वित्तीय हालात, राजकोषीय स्थिति और महंगाई पर विचार करती है. इसके बाद ही उन सिफारिशों लागू किया जाता है.

साथ ही यह भी सरकार पर निर्भर होता है कि वह इन सिफारिशों को आंशिक लागू करे या पूर्ण रूप से.इतना ही नहीं केंद्र सरकार वेतन आयोग द्वारा तय किए गए फिगमेंट फैक्टर में काट-छांट भी करने के लिए स्वतंत्र होती है और वह ही तय करती है कि उसे कितना फिगमेंट फैक्टर लागू करना है.

अगर 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों में सरकार कुछ काट-छांट करती है तो हो सकता है कर्मचारियों के वेतन में उतनी बढ़ोतरी न हो, जितनी कि अपेक्षा की जा रही है.

यह भी पढ़ें- केंद्रीय कर्मचारियों को कब से मिलेगी बढ़ी हुई सैलरी? जानें सबकुछ

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.