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नवजात के लिए वरदान साबित हो रहा सदर अस्पताल का SNCU वार्ड, 3198 बच्चों को मिल चुका है जीवन दान

हालांकि, SNCU वार्ड में डॉक्टरों की कमी है. यहां 3 चिकित्सक और 12 नर्सिंग स्टाफ के पद हैं. लेकिन, केवल 2 चिकित्सक और 5 नर्सिंग स्टाफ ही तैनात है.

SNCU वार्ड
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Published : Jul 8, 2019, 8:10 AM IST

सीतामढ़ी: सदर अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड जिले के बीमार नवजात बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है. तीन साल पहले तक ऐसा कोई जीवन रक्षक वार्ड नहीं था. जहां इतनी समुचित व्यवस्था में बीमार नवजात का इलाज किया जा सके. नतीजतन गरीब परिवार के पीड़ित नवजात को शहर से दूर बड़े अस्पतालों में रेफर करना पड़ता था. जहां पहुंचते-पहुंचते कई बच्चे दम तोड़ देता था.

जिला अस्पताल में एसएनसीयू वार्ड की स्थापना 20 मई 2016 को की गई. इस वार्ड के निर्माण के बाद से बीमार नवजात को इलाज के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ता है. मालूम हो कि यह स्पेशल वार्ड नवजात को जीवन देने में कारगर साबित हो रहा है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

कब हुआ निर्माण?
20 मई 2016 से सदर अस्पताल परिसर में एसएनसीयू यूनिट संचालित हुआ. उस समय से जून 2019 तक 3383 बीमार नवजात को यहां इलाज के लिए भर्ती कराया गया है. जिसमें से 3198 बच्चों का इलाज कर उन्हें जीवनदान दिया जा चुका है.

क्या कहते हैं आंकड़े?

  • साल 2016 में इस वार्ड में 323 मेल बेबी और 191 फीमेल बेबी का इलाज किया गया. इसके अलावे गंभीर रूप से बीमार 41 नवजात ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था
  • वर्ष 2017 में 700 मेल बेबी और 458 फीमेल बेबी का इलाज हुआ. उस दौरान 56 नवजात की इलाज के दौरान मौत हो गई थी
  • साल 2018 में 656 मेल बेबी और 380 फीमेल बेबी इलाज के लिए भर्ती कराए गए. जिसमें 59 बच्चों की मृत्यु हो गई थी
  • वर्ष 2019 जनवरी से जून माह तक 275 मेल बेबी और 215 फीमेल बेबी इलाज के लिए इस वार्ड में लाए गए. गंभीर रूप से बीमार 29 नवजात की अब तक मृत्यु हो चुकी है
    sitamarhi
    जांच कर रहे डॉक्टर

इस रोग से पीड़ित नवजात को कराया गया भर्ती
एसएनसीयू वार्ड में सरकारी अस्पतालों के अलावे जिले के निजी क्लीनिक में जन्म लेने वाले बीमार भी इलाज के लिए आते हैं. भर्ती होने वाले अधिकांश नवजात पीलिया, अंडरवेट, समय से पूर्व जन्म लेने वाला नवजात, बर्थ इंजरी, जन्मजात विकृति, एप्निया और अन्य रोगों से पीड़ित होते हैं. जिनका यहां इलाज किया जाता है.

sitamarhi
सिविल सर्जन

चिकित्सक और कर्मी की कमी
अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में विभाग की ओर से 3 चिकित्सक और 12 नर्सिंग स्टाफ के पद हैं. लेकिन, केवल 2 चिकित्सक और 5 नर्सिंग स्टाफ ही यहां तैनात है. जिसका खामियाजा कभी-कभी नवजात को भुगतना पड़ता है.

सीतामढ़ी: सदर अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड जिले के बीमार नवजात बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है. तीन साल पहले तक ऐसा कोई जीवन रक्षक वार्ड नहीं था. जहां इतनी समुचित व्यवस्था में बीमार नवजात का इलाज किया जा सके. नतीजतन गरीब परिवार के पीड़ित नवजात को शहर से दूर बड़े अस्पतालों में रेफर करना पड़ता था. जहां पहुंचते-पहुंचते कई बच्चे दम तोड़ देता था.

जिला अस्पताल में एसएनसीयू वार्ड की स्थापना 20 मई 2016 को की गई. इस वार्ड के निर्माण के बाद से बीमार नवजात को इलाज के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ता है. मालूम हो कि यह स्पेशल वार्ड नवजात को जीवन देने में कारगर साबित हो रहा है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

कब हुआ निर्माण?
20 मई 2016 से सदर अस्पताल परिसर में एसएनसीयू यूनिट संचालित हुआ. उस समय से जून 2019 तक 3383 बीमार नवजात को यहां इलाज के लिए भर्ती कराया गया है. जिसमें से 3198 बच्चों का इलाज कर उन्हें जीवनदान दिया जा चुका है.

क्या कहते हैं आंकड़े?

  • साल 2016 में इस वार्ड में 323 मेल बेबी और 191 फीमेल बेबी का इलाज किया गया. इसके अलावे गंभीर रूप से बीमार 41 नवजात ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था
  • वर्ष 2017 में 700 मेल बेबी और 458 फीमेल बेबी का इलाज हुआ. उस दौरान 56 नवजात की इलाज के दौरान मौत हो गई थी
  • साल 2018 में 656 मेल बेबी और 380 फीमेल बेबी इलाज के लिए भर्ती कराए गए. जिसमें 59 बच्चों की मृत्यु हो गई थी
  • वर्ष 2019 जनवरी से जून माह तक 275 मेल बेबी और 215 फीमेल बेबी इलाज के लिए इस वार्ड में लाए गए. गंभीर रूप से बीमार 29 नवजात की अब तक मृत्यु हो चुकी है
    sitamarhi
    जांच कर रहे डॉक्टर

इस रोग से पीड़ित नवजात को कराया गया भर्ती
एसएनसीयू वार्ड में सरकारी अस्पतालों के अलावे जिले के निजी क्लीनिक में जन्म लेने वाले बीमार भी इलाज के लिए आते हैं. भर्ती होने वाले अधिकांश नवजात पीलिया, अंडरवेट, समय से पूर्व जन्म लेने वाला नवजात, बर्थ इंजरी, जन्मजात विकृति, एप्निया और अन्य रोगों से पीड़ित होते हैं. जिनका यहां इलाज किया जाता है.

sitamarhi
सिविल सर्जन

चिकित्सक और कर्मी की कमी
अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में विभाग की ओर से 3 चिकित्सक और 12 नर्सिंग स्टाफ के पद हैं. लेकिन, केवल 2 चिकित्सक और 5 नर्सिंग स्टाफ ही यहां तैनात है. जिसका खामियाजा कभी-कभी नवजात को भुगतना पड़ता है.

Intro:सदर अस्पताल का एसएनसीयू वार्ड बीमार नवजात के लिए वरदान साबित हो रहा है। 37 माह के दौरान इस वार्ड में करीब 34 सौ बीमार नवजात का इलाज किया जा चुका है।


Body:सदर अस्पताल का एसएनसीयू वार्ड जिले के बीमार नवजात के लिए वरदान साबित हो रहा है। 20 मई 2016 से पूर्व जिले में इस प्रकार का कोई जीवन रक्षक वार्ड नहीं था। जहां इतनी समुचित व्यवस्था में बीमार नवजात का इलाज किया जा सके। नतीजा बीमार नवजात को शहर से दूर बड़े अस्पतालों के लिए रेफर किया जाता था। जहां पहुंचते-पहुंचते बीमार नवजात दम तोड़ देता था। या कुछ बीमार नवजात जो बाहर नहीं जा पाते थे उनके अभिभावक उन्हें लेकर निजी क्लिनिक में इलाज कराने को विवश होते थे। जहां उन्हें आर्थिक शोषण का शिकार होना पड़ता था। लेकिन जब से यह वार्ड बना है उस दिन से बीमार नवजात के इलाज के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ता है। और यह स्पेशल वार्ड नवजात के लिए वरदान साबित हो रहा है। 20 मई 2016 से सदर अस्पताल परिसर में यह यूनिट संचालित हुआ था। तब से जून 19 तक इन 37 माह के दौरान 3383 बीमार नवजात को इलाज के लिए भर्ती किया गया। जिसमें 3198 बीमार नवजात का इलाज कर उन्हें जीवनदान दिया गया। शेष 185 बीमार नवजात इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। मरीजों की संख्या:----- वर्ष 2016 में इस वार्ड में मेल बेबी 323 फीमेल बेबी 191 का इलाज किया गया। इसके अलावे गंभीर रूप से बीमार 41 नवजात ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। वर्ष 2017 में 700 मेल बेबी और 458 फीमेल बेबी का इलाज कर उसे जीवनदान दिया गया। वहीं 56 बीमार नवजात की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। उसी प्रकार वर्ष 2018 में 656 मेल बेबी 380 फीमेल बेबी इलाज के लिए भर्ती कराए गए। जिन्हें इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी। साथ ही 59 बीमार नवजात की मृत्यु हो गई थी। वर्ष 2019 जनवरी से जून माह तक 275 मेल बेबी और 215 फीमेल बेबी अब तक इलाज के लिए इस वार्ड में लाए गए है। जिन्हें इलाज के बाद स्वस्थ कर दिया गया। वही गंभीर रूप से बीमार 29 नवजात की अब तक मृत्यु हो चुकी है। इस रोग से पीड़ित नवजात को कराया गया भर्ती:----------- एसएनसीयू वार्ड में सरकारी अस्पतालों के अलावे जिले के निजी क्लीनिक में जन्म लेने वाले बीमार नवजात को भी इस जीवन रक्षक वार्ड में इलाज के लिए भर्ती कराया जाता है। भर्ती होने वाले अधिकांश नवजात जौंडिस, अंडरवेट, समय से पूर्व जन्म लेने वाला नवजात, बर्थ इंजुरी, जन्मजात विकृति, एपनिया और चमकी रोग सहित अन्य रोगों से पीड़ित होते है। जिन्हें भर्ती कर इलाज किया जाता है। चिकित्सक और कर्मी की कमी:----------------- एसएनसीयू वार्ड में विभाग की ओर से चिकित्सकों का 3 पद और नर्सिंग स्टाफ का 12 पद सृजित है। लेकिन केवल 2 चिकित्सक और 5 नर्सिंग स्टाफ की तैनाती है। और इसका असर नवजात के इलाज पर पड़ता है। जिसका परिणाम है कि मृत्यु दर को कम करने पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। अगर पद के अनुकूल चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ की तैनाती हो जाए तो मृत्यु दर पर काबू पाया जा सकता है। बाइट:-1. भर्ती नवजात के परिजन। बाइट:-2. डॉक्टर रविंद्र कुमार। सिविल सर्जन सीतामढ़ी। विजुअल:--1. पी टू सी:---3.


Conclusion:पी टू सी:---3.राहुल देव सोलंकी।सीतामढ़ी।
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