सीतामढ़ी: जिले में नीतीश सरकार की नल-जल योजना सरकारी और विभागीय उदासीनता के कारण दम तोड़ रही है. यहां करीब 38 सौ वार्डों में बिजली की चोरी से नल जल योजना के लिए जलापूर्ति की जाती है. जिस कारण बिजली विभाग को हर महीने लाखों रुपये के राजस्व का चूना लगता है. फिर भी इस दिशा में प्रशासन की ओर कोई पहल नहीं की गई.
डेढ़ साल पहले नल-जल योजना की हुई शुरुआत
जिले में चोरी की बिजली से नल जल योजना के लिए जलापूर्ति की व्यवस्था की जा रही है. जिस कारण हर महीने बिजली विभाग को राजस्व में लाखों की क्षति हो रही है. बताया जाता है कि जिले में 3 हजार 7 सौ 99 वार्डों में नल-जल योजना आज से डेढ़ साल पहले संचालित की गई. जिसमें 3 हजार 2 सौ 18 वार्डों में पंचायती राज विभाग की ओर से ये योजना चलाई जा रही है. शेष का पीएचईडी विभाग की ओर से देखरेख किया जा रहा है.
बिजली विभाग को हो रही है लाखों की क्षति
पंचायती राज पदाधिकारी प्रभात कुमार ने बताया कि जिले में मात्र 300 वार्डों में बिजली के जरिए जलापूर्ति की जाती है. अन्य वार्डों में अभी बिजली नहीं लगाई जा सकी है. उन्होंने कहा कि विभाग को सभी वार्डों में बिजली लगाने के लिए आवेदन किया जा चुका है. एक महीने के भीतर सभी वार्डों में समरसेबल बोरिंग को विद्युत से जोड़ दिया जाएगा, तब ये समस्या नहीं रहेगी.
मंत्री श्रवण कुमार ने दिया जवाब
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार का कहना है कि जो लाभार्थी हैं, उनके ऊपर कुछ शुल्क निर्धारित किया गया है. इसी से मिलने वाली राशि से बिजली बिल का और नियुक्त ऑपरेटर का भुगतान किया जाएगा.
'कैसे हो बिल का भुगतान'
वार्ड सदस्य के पति और वार्ड सचिव ने बताया कि फिलहाल चोरी की बिजली से ही जलापूर्ति की जा रही है. उन्होंने कहा कि मंत्री के कथनी और करनी में अंतर है जो शुल्क निर्धारित की गई है. उस राशि को मांगे जाने पर ग्रामीणों के साथ विवाद हो रहा है. ग्रामीण नल खोल कर ले जाने की बात कहते हैं. जब ग्रामीण राशि देंगे ही नहीं तो बिजली बिल का भुगतान कैसे किया जाएगा. प्रशासन की अनदेखी के कारण ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है.