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मां की इच्छा थी बिहार में बने संगीत विश्वविद्यालय, शारदा सिन्हा को मरणोपरांत पद्म विभूषण के नाम घोषित होने पर परिवार खुश - SHARDA SINHA

बिहार कोकिला' के नाम से मशहूर शारदा सिन्हा को मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार से नवाजा जाएगा. इस घोषणा से पूरा परिवार काफी खुश है.

शारदा सिन्हा
शारदा सिन्हा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 26, 2025, 8:04 PM IST

पटना: लोक गायिका शारदा सिन्हा को मरणोपरांत पद्म विभूषण के लिए नामित किया गया है. 'बिहार कोकिला' के नाम से मशहूर सिन्हा को भोजपुरी, मैथिली और बज्जिका भाषा में लोक गीतों को लोकप्रिय बनाने में उनके अग्रणी प्रयासों के लिए जाना जाता है. इससे पहले वह पद्म श्री के साथ-साथ पद्म भूषण भी प्राप्त कर चुकी हैं. सरकार की इस फैसले से स्वर्गीय शारदा सिन्हा के परिवार वाले खुश हैं.

पद्म विभूषण पुरस्कार की घोषणा से परिवार खुश: ईटीवी भारत से बातचीत में स्वर्गीय शारदा सिन्हा के पुत्र अंशुमान सिन्हा ने इसके लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि यह उनके परिवार के लिए गौरव का क्षण है और यह बिहार के लिए भी गौरव की बात है यह शारदा सिन्हा को नहीं लोक संस्कृति को मिला हुआ सम्मान है. उनके द्वारा गाए हुए गीत लोक संस्कृति का आईना है. उनके द्वारा छठ पर्व की गीत एवं विवाह के गीत लोगों के दिल में अभी भी बसी हुई है. यह सम्मान उनके द्वारा गाए गए लोक संस्कृति को दिया गया सम्मान है.

शारदा सिन्हा को पद्म विभूषण पुरस्कार (ETV Bharat)

संगीत विश्वविद्यालय शारदा सिन्हा के नाम की इच्छा: अंशुमान सिन्हा ने बताया शारदा सिन्हा की आखिरी इच्छा थी कि बिहार में संगीत को लेकर एक विश्वविद्यालय की स्थापना हो. बिहार में बहुत सारे विश्वविद्यालय हैं उसमें अन्य विषयों की तरह संगीत भी एक विषय के रूप में पढ़ाई जाती है. लेकिन संगीत का विश्वविद्यालय बने यह एक अलग सोच है. उनके परिवार की भी इच्छा है कि बिहार में संगीत का विश्वविद्यालय बने. बिहार सरकार के तरफ से यदि यह पहल की जाती है तो उनको खुशी होगी.

पद्मश्री से पद्म विभूषण तक का सफर: अंशुमान सिन्हा ने बताया कि पद्मश्री से लेकर पद्म विभूषण तक का स्वर्गीय शारदा सिन्हा का सफर लंबा रहा. उनकी मां को 1991 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया और 2018 में पद्म भूषण का सम्मान मिला, यह जो अवधि रहा यह लंबा रहा. अंशुमान सिन्हा ने बताया कि 2018 में यदि उनको पद्म भूषण नहीं मिलता तो यह उनके लिए अन्याय होता.

शारदा सिन्हा को मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार
शारदा सिन्हा को मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार (ETV Bharat)

1991 से 2018 तक का लंबा सफर: उन्होंने कहा कि शारदा जी ने अपने संगीत के सफर में कभी विश्राम नहीं लिया. 55 वर्षों तक लगातार वह स्वर साधना में जुटी रही. रिकॉर्डिंग के माध्यम से हो या आकाशवाणी के माध्यम से या मीडिया या सोशल मीडिया के माध्यम से हमेशा वह अपने संगीत के साथ जुड़ी रही. अंशुमान सिन्हा ने बताया कि 1991 से 2018 तक का जो सफल रहा वह बहुत लंबा सफर रहा है और 2018 में पद्म भूषण मिला और अभी जो पद्म विभूषण सम्मान की घोषणा की गई है यह इस गैप को बैलेंस कर रहा है.

2024 कठिन वर्ष: अंशुमान सिन्हा ने बताया बीता हुआ 2024 ई उनके परिवार के लिए बहुत ही मुश्किल भरा रहा. पिताजी और माताजी के निधन के बाद अभी तक अपने आप को संतुलित करने का प्रयास कर रहे हैं. हर दिन अपनी बहन के साथ बात होती है और एक दूसरे को समझने का प्रयास कर रहे हैं. 2024 विश्वास से परे था क्योंकि माताजी और पिताजी का साया सर से उठ गया. आज भी उन्हीं के दिए गए संस्कार के भरोसे आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं.

शारदा सिन्हा को पद्म विभूषण पुरस्कार
शारदा सिन्हा को पद्म विभूषण पुरस्कार (ETV bharat)

शारदा जी वसूल की पक्की: शारदा सिन्हा के बारे में कहा जाता है कि संगीत को लेकर वह अपने बनाए गए वसूल के साथ कभी कंप्रोमाइज नहीं किया. इसीलिए अंशुमान ने बताया कि उनकी मां ने भोजपुरी संगीत हो या मैथिली संगीत संगीत की स्वच्छता को बनाकर रखा. हमेशा शुद्ध शब्दावली और शुद्ध भाव को श्रोताओं के बीच रखा. किसी भी शादी के फंक्शन में गाना नहीं गाना है या उन्होंने तय कर लिया था जो आखिरी दिन तक निभाती रही.

"मां आखिरी इच्छा थी कि बिहार में संगीत को लेकर एक विश्वविद्यालय की स्थापना हो. परिवार की भी इच्छा है कि बिहार में संगीत का विश्वविद्यालय बने. बिहार सरकार के तरफ से यदि यह पहल की जाती है तो उनको खुशी होगी."-अंशुमान सिन्हा, शारदा सिन्हा के पुत्र

शारदा सिन्हा को पद्म विभूषण पुरस्कार
शारदा सिन्हा को पद्म विभूषण पुरस्कार (ETV Bhart)

प्रधानमंत्री का ऑफर ठुकराया: अंशुमान सिन्हा ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर एक बार मां (शारदा सिन्हा) को प्रधानमंत्री आवास पर मुलाकात के लिए बुलाया था. चंद्रशेखर सिंह ने मां को कहा कि उनके परिवार में एक शादी समारोह का आयोजन किया गया है उनकी इच्छा है कि वह बलिया में आकर अपना गायन प्रस्तुत करें. प्रधानमंत्री को उनकी मां ने हाथ जोड़ते हुए कहा कि मैं इसके लिए और समर्थ्य हूं मैं किसी शादी में जाकर गाना नहीं गाती हूं.

बिहार सरकार से अपेक्षा: बिहार सरकार की तरफ से शारदा सिन्हा के सम्मान में क्या किया जा रहा है. इसकी अभी तक उन लोगों को औपचारिक रूप से कोई जानकारी नहीं है. अभी तक बिहार सरकार के तरफ से भी कोई घोषणा नहीं की गई है. 2024 में बिहार के कई विभूति हम लोगों के बीच नहीं है लेकिन उनको उम्मीद है कि बिहार सरकार शारदा सिन्हा को लेकर कोई ना कोई जरूर घोषणा करेगी. क्योंकि सरकार की भी जिम्मेवारी है कि अपनी संस्कृति को संरक्षित करें.

2024 में हुआ था निधन: स्वर कोकिला शारदा सिन्हा का 72 साल की उम्र में 6 नवंबर 2024 की रात दिल्ली AIIMS में निधन हो गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सभी बड़े नेताओं ने उनके निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की थी. वाकई दिनों से बीमार थी और उनका दिल्ली एम्स में इलाज चल रहा था. पटना में पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया था.

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पटना: लोक गायिका शारदा सिन्हा को मरणोपरांत पद्म विभूषण के लिए नामित किया गया है. 'बिहार कोकिला' के नाम से मशहूर सिन्हा को भोजपुरी, मैथिली और बज्जिका भाषा में लोक गीतों को लोकप्रिय बनाने में उनके अग्रणी प्रयासों के लिए जाना जाता है. इससे पहले वह पद्म श्री के साथ-साथ पद्म भूषण भी प्राप्त कर चुकी हैं. सरकार की इस फैसले से स्वर्गीय शारदा सिन्हा के परिवार वाले खुश हैं.

पद्म विभूषण पुरस्कार की घोषणा से परिवार खुश: ईटीवी भारत से बातचीत में स्वर्गीय शारदा सिन्हा के पुत्र अंशुमान सिन्हा ने इसके लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि यह उनके परिवार के लिए गौरव का क्षण है और यह बिहार के लिए भी गौरव की बात है यह शारदा सिन्हा को नहीं लोक संस्कृति को मिला हुआ सम्मान है. उनके द्वारा गाए हुए गीत लोक संस्कृति का आईना है. उनके द्वारा छठ पर्व की गीत एवं विवाह के गीत लोगों के दिल में अभी भी बसी हुई है. यह सम्मान उनके द्वारा गाए गए लोक संस्कृति को दिया गया सम्मान है.

शारदा सिन्हा को पद्म विभूषण पुरस्कार (ETV Bharat)

संगीत विश्वविद्यालय शारदा सिन्हा के नाम की इच्छा: अंशुमान सिन्हा ने बताया शारदा सिन्हा की आखिरी इच्छा थी कि बिहार में संगीत को लेकर एक विश्वविद्यालय की स्थापना हो. बिहार में बहुत सारे विश्वविद्यालय हैं उसमें अन्य विषयों की तरह संगीत भी एक विषय के रूप में पढ़ाई जाती है. लेकिन संगीत का विश्वविद्यालय बने यह एक अलग सोच है. उनके परिवार की भी इच्छा है कि बिहार में संगीत का विश्वविद्यालय बने. बिहार सरकार के तरफ से यदि यह पहल की जाती है तो उनको खुशी होगी.

पद्मश्री से पद्म विभूषण तक का सफर: अंशुमान सिन्हा ने बताया कि पद्मश्री से लेकर पद्म विभूषण तक का स्वर्गीय शारदा सिन्हा का सफर लंबा रहा. उनकी मां को 1991 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया और 2018 में पद्म भूषण का सम्मान मिला, यह जो अवधि रहा यह लंबा रहा. अंशुमान सिन्हा ने बताया कि 2018 में यदि उनको पद्म भूषण नहीं मिलता तो यह उनके लिए अन्याय होता.

शारदा सिन्हा को मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार
शारदा सिन्हा को मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार (ETV Bharat)

1991 से 2018 तक का लंबा सफर: उन्होंने कहा कि शारदा जी ने अपने संगीत के सफर में कभी विश्राम नहीं लिया. 55 वर्षों तक लगातार वह स्वर साधना में जुटी रही. रिकॉर्डिंग के माध्यम से हो या आकाशवाणी के माध्यम से या मीडिया या सोशल मीडिया के माध्यम से हमेशा वह अपने संगीत के साथ जुड़ी रही. अंशुमान सिन्हा ने बताया कि 1991 से 2018 तक का जो सफल रहा वह बहुत लंबा सफर रहा है और 2018 में पद्म भूषण मिला और अभी जो पद्म विभूषण सम्मान की घोषणा की गई है यह इस गैप को बैलेंस कर रहा है.

2024 कठिन वर्ष: अंशुमान सिन्हा ने बताया बीता हुआ 2024 ई उनके परिवार के लिए बहुत ही मुश्किल भरा रहा. पिताजी और माताजी के निधन के बाद अभी तक अपने आप को संतुलित करने का प्रयास कर रहे हैं. हर दिन अपनी बहन के साथ बात होती है और एक दूसरे को समझने का प्रयास कर रहे हैं. 2024 विश्वास से परे था क्योंकि माताजी और पिताजी का साया सर से उठ गया. आज भी उन्हीं के दिए गए संस्कार के भरोसे आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं.

शारदा सिन्हा को पद्म विभूषण पुरस्कार
शारदा सिन्हा को पद्म विभूषण पुरस्कार (ETV bharat)

शारदा जी वसूल की पक्की: शारदा सिन्हा के बारे में कहा जाता है कि संगीत को लेकर वह अपने बनाए गए वसूल के साथ कभी कंप्रोमाइज नहीं किया. इसीलिए अंशुमान ने बताया कि उनकी मां ने भोजपुरी संगीत हो या मैथिली संगीत संगीत की स्वच्छता को बनाकर रखा. हमेशा शुद्ध शब्दावली और शुद्ध भाव को श्रोताओं के बीच रखा. किसी भी शादी के फंक्शन में गाना नहीं गाना है या उन्होंने तय कर लिया था जो आखिरी दिन तक निभाती रही.

"मां आखिरी इच्छा थी कि बिहार में संगीत को लेकर एक विश्वविद्यालय की स्थापना हो. परिवार की भी इच्छा है कि बिहार में संगीत का विश्वविद्यालय बने. बिहार सरकार के तरफ से यदि यह पहल की जाती है तो उनको खुशी होगी."-अंशुमान सिन्हा, शारदा सिन्हा के पुत्र

शारदा सिन्हा को पद्म विभूषण पुरस्कार
शारदा सिन्हा को पद्म विभूषण पुरस्कार (ETV Bhart)

प्रधानमंत्री का ऑफर ठुकराया: अंशुमान सिन्हा ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर एक बार मां (शारदा सिन्हा) को प्रधानमंत्री आवास पर मुलाकात के लिए बुलाया था. चंद्रशेखर सिंह ने मां को कहा कि उनके परिवार में एक शादी समारोह का आयोजन किया गया है उनकी इच्छा है कि वह बलिया में आकर अपना गायन प्रस्तुत करें. प्रधानमंत्री को उनकी मां ने हाथ जोड़ते हुए कहा कि मैं इसके लिए और समर्थ्य हूं मैं किसी शादी में जाकर गाना नहीं गाती हूं.

बिहार सरकार से अपेक्षा: बिहार सरकार की तरफ से शारदा सिन्हा के सम्मान में क्या किया जा रहा है. इसकी अभी तक उन लोगों को औपचारिक रूप से कोई जानकारी नहीं है. अभी तक बिहार सरकार के तरफ से भी कोई घोषणा नहीं की गई है. 2024 में बिहार के कई विभूति हम लोगों के बीच नहीं है लेकिन उनको उम्मीद है कि बिहार सरकार शारदा सिन्हा को लेकर कोई ना कोई जरूर घोषणा करेगी. क्योंकि सरकार की भी जिम्मेवारी है कि अपनी संस्कृति को संरक्षित करें.

2024 में हुआ था निधन: स्वर कोकिला शारदा सिन्हा का 72 साल की उम्र में 6 नवंबर 2024 की रात दिल्ली AIIMS में निधन हो गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सभी बड़े नेताओं ने उनके निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की थी. वाकई दिनों से बीमार थी और उनका दिल्ली एम्स में इलाज चल रहा था. पटना में पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया था.

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