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International Day Of Older Persons 2021: आज आप भी लें बुजुर्गों के प्रति उदार होने का संकल्प...

दुनियाभर में आज अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस या इंटरनेशनल डे ऑफ ओल्डर पर्सन्स के रूप में मनाया जा रहा है. इस सम्बन्ध में वरिष्ठ नागरिक संघ की बैठक के दौरान संघ के महासचिव ने बुजुर्ग के सम्मान में कुछ बातें बताईं.

अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस
अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस
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Published : Oct 1, 2021, 2:13 PM IST

शेखपुरा: वैसे तो वरिष्ठजनों का सम्मान हर दिन, हर पल हमारे मन में होना चाहिए, लेकिन उनके प्रति मन में छिपे इस सम्मान को व्यक्‍त करने के लिए एक दिन तय किया गया है. वह दिन है 1 अक्टूबर, यानी की आज का दिन. आज के दिन अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस (World Elders Day) या अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस (International Day Of Older Persons) के रूप में मनाया जाता है.

इसे भी पढ़ें: CM नीतीश कुमार और राज्यपाल फागू चौहान ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दी जन्‍मदिन की बधाई

विश्व में वृद्धों एवं प्रौढ़ों के साथ होने वाले अन्याय, उपेक्षा और दुर्व्यवहार पर लगाम लगाने के उद्देश्य से हर साल इंटरनेशनल डे ऑफ ओल्ड पर्सन मनाया जाता है. इस बुजुर्ग दिवस के दिन न सिर्फ बुजुर्गों के प्रति उदार होने का संकल्प लेना चाहिए बल्कि बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी भी समझनी चाहिए. ऐसा माना जाता है कि परिवार में बुजुर्गों का सम्मान जरूरी है. वह घर जन्नत के समान होता है जहां पर बुजुर्गों का सम्मान होता है. वरिष्ठ जन घर की धरोहर है और युवा पीढ़ियों के संरक्षक एवं मार्गदर्शक है.

ये भी पढ़ें: खबर अच्छी है: 15 रुपये में खाएं भरपेट खाना, वो भी पटना के इस फेमस चौक पर

शेखपुरा में वरिष्ठ नागरिक संघ की बैठक के दौरान संघ के महासचिव भगवान दास गुप्ता ने कहा कि जिस तरह आंगन में पीपल का पेड़ से फल नहीं देता है लेकिन छाया अवश्य देता है. उसी तरह घरों में बुजुर्ग भले ही आर्थिक रूप से सहयोग नहीं कर पाते हैं लेकिन उनसे संस्कार एवं उनके अनुभव से कई परिवार के अन्य सदस्यों को कई बातें सीखने को मिलती है.

आज कई वरिष्ठ जन ऐसे हैं जिनकी उनके परिवार के लोग ठीक तरह से देखभाल तक नहीं करते हैं. उनसे इस तरह का व्यवहार करते हैं कि उनके मन को असहनीय पीड़ा होती है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है शरीर में इम्यून सिस्टम भी कमजोर होने लगता है. इसी वजह से बढ़ती उम्र में कई बीमारियां भी घेर लेती हैं.

भगवान दास गुप्ता ने वृद्धों में होने वाली आम बीमारियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि बुजुर्गों में शारीरिक स्थिति का बिगड़ना, कॉग्निटिव हेल्थ, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, ऑस्टियोपोरोसिस, अल्जाइमर, शारीरिक चोट, कुपोषण का शिकार जैसी कुछ बीमारियां आम है. जिनका विशेष ध्यान रखना चाहिए. वहीं, जिस तरह से कोरोना वायरस बीमारी से जूझ रहे हैं इसमें बुजुर्गों की अधिक देखभाल की जरूरत है.

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 14 अक्टूबर 1990 में वृद्धजनों के लिए अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस घोषित किए जाने की बात रखी थी. जिसके बाद से 1 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. इससे पहले दो महत्वपूर्ण घटनाक्रम थे - वियना अंतर्राष्ट्रीय कार्य योजना और एजिंग पर विश्व सभा. दो पहलों ने बुजुर्ग लोगों के लिए समर्पित दिन का नेतृत्व किया. इस वृद्ध दिवस के दिन न सिर्फ बुजुर्गों के प्रति उदार होने का संकल्प लेना चाहिए, बल्कि बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी भी समझनी चाहिए.

दुनियाभर वृद्धों और उम्रदराज लोगों के साथ होने वाले भेदभाव, अपमानजनक व्यवहार, उपेक्षा और अन्याय पर रोक लगाने के उद्देश्य से इस दिवस को मनाया जाता है. इस दिन खासतौर पर कई स्वयंसेवा संस्था विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए देशभर में वृद्धजनों के साथ हो रहे अन्याय को सबके सामने रखकर लोगों में उनके प्रति सम्मान को जगाने के जागरुकता अभियान भी चलाती हैं.

...वो कहते हैं न एक पेड़ जितना ज्यादा बड़ा होता है वह उतना ही अधिक झुका हुआ होता है. यानि वह उतना ही विनम्र और दूसरों को फल देने वाला होता है. यही बात समाज के इस आयुवर्ग के साथ भी लागू होती है जिसे आज की तथाकथित युवा और एजुकेटेड पीढ़ी बूढ़ा कहकर वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं. वे लोग भूल जाते हैं कि अनुभव का कोई दूसरा विकल्प दुनिया में है ही नहीं. अनुभव के सहारे ही दुनिया भर में बुजुर्ग लोगों ने अपनी अलग दुनिया बना रखी है.

शेखपुरा: वैसे तो वरिष्ठजनों का सम्मान हर दिन, हर पल हमारे मन में होना चाहिए, लेकिन उनके प्रति मन में छिपे इस सम्मान को व्यक्‍त करने के लिए एक दिन तय किया गया है. वह दिन है 1 अक्टूबर, यानी की आज का दिन. आज के दिन अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस (World Elders Day) या अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस (International Day Of Older Persons) के रूप में मनाया जाता है.

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विश्व में वृद्धों एवं प्रौढ़ों के साथ होने वाले अन्याय, उपेक्षा और दुर्व्यवहार पर लगाम लगाने के उद्देश्य से हर साल इंटरनेशनल डे ऑफ ओल्ड पर्सन मनाया जाता है. इस बुजुर्ग दिवस के दिन न सिर्फ बुजुर्गों के प्रति उदार होने का संकल्प लेना चाहिए बल्कि बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी भी समझनी चाहिए. ऐसा माना जाता है कि परिवार में बुजुर्गों का सम्मान जरूरी है. वह घर जन्नत के समान होता है जहां पर बुजुर्गों का सम्मान होता है. वरिष्ठ जन घर की धरोहर है और युवा पीढ़ियों के संरक्षक एवं मार्गदर्शक है.

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शेखपुरा में वरिष्ठ नागरिक संघ की बैठक के दौरान संघ के महासचिव भगवान दास गुप्ता ने कहा कि जिस तरह आंगन में पीपल का पेड़ से फल नहीं देता है लेकिन छाया अवश्य देता है. उसी तरह घरों में बुजुर्ग भले ही आर्थिक रूप से सहयोग नहीं कर पाते हैं लेकिन उनसे संस्कार एवं उनके अनुभव से कई परिवार के अन्य सदस्यों को कई बातें सीखने को मिलती है.

आज कई वरिष्ठ जन ऐसे हैं जिनकी उनके परिवार के लोग ठीक तरह से देखभाल तक नहीं करते हैं. उनसे इस तरह का व्यवहार करते हैं कि उनके मन को असहनीय पीड़ा होती है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है शरीर में इम्यून सिस्टम भी कमजोर होने लगता है. इसी वजह से बढ़ती उम्र में कई बीमारियां भी घेर लेती हैं.

भगवान दास गुप्ता ने वृद्धों में होने वाली आम बीमारियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि बुजुर्गों में शारीरिक स्थिति का बिगड़ना, कॉग्निटिव हेल्थ, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, ऑस्टियोपोरोसिस, अल्जाइमर, शारीरिक चोट, कुपोषण का शिकार जैसी कुछ बीमारियां आम है. जिनका विशेष ध्यान रखना चाहिए. वहीं, जिस तरह से कोरोना वायरस बीमारी से जूझ रहे हैं इसमें बुजुर्गों की अधिक देखभाल की जरूरत है.

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 14 अक्टूबर 1990 में वृद्धजनों के लिए अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस घोषित किए जाने की बात रखी थी. जिसके बाद से 1 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. इससे पहले दो महत्वपूर्ण घटनाक्रम थे - वियना अंतर्राष्ट्रीय कार्य योजना और एजिंग पर विश्व सभा. दो पहलों ने बुजुर्ग लोगों के लिए समर्पित दिन का नेतृत्व किया. इस वृद्ध दिवस के दिन न सिर्फ बुजुर्गों के प्रति उदार होने का संकल्प लेना चाहिए, बल्कि बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी भी समझनी चाहिए.

दुनियाभर वृद्धों और उम्रदराज लोगों के साथ होने वाले भेदभाव, अपमानजनक व्यवहार, उपेक्षा और अन्याय पर रोक लगाने के उद्देश्य से इस दिवस को मनाया जाता है. इस दिन खासतौर पर कई स्वयंसेवा संस्था विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए देशभर में वृद्धजनों के साथ हो रहे अन्याय को सबके सामने रखकर लोगों में उनके प्रति सम्मान को जगाने के जागरुकता अभियान भी चलाती हैं.

...वो कहते हैं न एक पेड़ जितना ज्यादा बड़ा होता है वह उतना ही अधिक झुका हुआ होता है. यानि वह उतना ही विनम्र और दूसरों को फल देने वाला होता है. यही बात समाज के इस आयुवर्ग के साथ भी लागू होती है जिसे आज की तथाकथित युवा और एजुकेटेड पीढ़ी बूढ़ा कहकर वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं. वे लोग भूल जाते हैं कि अनुभव का कोई दूसरा विकल्प दुनिया में है ही नहीं. अनुभव के सहारे ही दुनिया भर में बुजुर्ग लोगों ने अपनी अलग दुनिया बना रखी है.

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