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छपरा सिविल कोर्ट बम ब्लास्ट: साक्ष्य के अभाव में तीन आरोपी बरी, खुशबू का बेल बॉन्ड कैंसिल - ETV Bharat Bihar News

छपरा सिविल कोर्ट बम ब्लास्ट कांड (Chapra Civil Court Blast Case) में कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव के चलते तीन आरोपियों को बरी कर दिया है. वहीं आरोपी खुशबू की बेल बांड को कोर्ट ने कैंसिल कर दिया है. अप्रैल 2016 में छपरा कोर्ट परिसर में विस्फोट हुआ था. पढ़ें पूरी खबर..

छपरा सिविल कोर्ट बम ब्लास्ट कांड
छपरा सिविल कोर्ट बम ब्लास्ट कांड
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Published : May 8, 2022, 1:08 PM IST

छपरा: बिहार के छपरा कोर्ट कैंपस में हुए ब्लास्ट मामले की मुख्य आरोपी खुशबू के खिलाफ छपरा कोर्ट से गैर जमानती वारंट जारी हुआ है. एडीजे सात अनुराग त्रिपाठी ने इस बहुचर्चित ब्लास्ट मामले की सुनवाई पूरी करने के दौरान खुशबू के आवेदन को खारिज कर दिया और एनबीडब्ल्यू जारी करने का आदेश दिया. खुशबू के अधिवक्ता ने गैर हाजिरी माफ का आवेदन दिया था. आवेदन को एडीजे ने मानने से इनकार कर दिया. साथ ही बेल बांड भी रद्द कर दिया.

ये भी पढ़ें-Chapra News:हीरा व्यवसायी के पुत्र के अपहरण कांड के मुख्य आरोपी की न्यायालय मे हुई पेशी, 6 अगस्त तक के लिए भेजा गया न्यायिक हिरासत में

साक्ष्य के अभाव में कोर्ट से बरी: कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में आरोपित धर्मेंद्र राय, महेश राय और निकेश राय को कोर्ट ने बरी करने का आदेश दिया है. अभियोजन पक्ष से तीनों आरोपितों के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए जाने के (Chapra Civil Court Blast Case) कारण उन्हें बरी करने का आदेश दिया गया है. बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने बताया था कि इस कांड से तीनों आरोपियों को कोई लेना देना नहीं है. पुलिस ने एक साजिश के तहत नाम दे दिया है. बचाव पक्ष से दीपक सिन्हा और चंद्रमोहन तिवारी ने पक्ष रखा और अभियोजन पक्ष से पीपी सुरेंद्र सिंह ने पक्ष रखा.

सिविल कोर्ट में हुआ था विस्फोट: छपरा सिविल कोर्ट में 16 अप्रैल 2016 की सुबह करीब पौने नौ बजे एक युवती ने मानव बम विस्फोट किया. बम ब्लास्ट में युवती सहित नौ लोग जख्मी हो गए थे. वारदात के बाद कोर्ट परिसर में अफरा-तफरी मच गई थी. विस्फोट करने वाली युवती खुशबू को गंभीर हालत में पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था. घायलों में नया गांव की श्वेता देवी, सृष्टि कुमारी, झवां ढाला के मोहम्मद यूनुस, मोहम्मद नईम, शाह मोहम्मद, सकड़ी बाजार के विजय भारती शामिल थे. मानव बम बन कर विस्फोट करने वाली खुशबू पहले जेल जा चुकी थी.

हाईकोर्ट ने मांगा था स्पष्टीकरण: घटना का तार महाराजगंज के पूर्व सांसद उमाशंकर सिंह के घर के निकट 2011 में हुए तिहरे हत्याकांड से जुड़े बताए गए थे. उस समय के नगर थाना अध्यक्ष रवि कुमार ने खुशबू सहित तीन आरोपितों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई थी. घटना के बाद पटना हाईकोर्ट ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था. कर्तव्य में लापरवाही बरतने के आरोप में कोर्ट हाजत में तैनात सब इंस्पेक्टर समेत आधा दर्जन जवानों को निलंबित कर दिया गया था. एडीजी विधि व्यवस्था आलोक राज, कमिश्नर प्रभात शंकर, डीआइजी अजीत कुमार राय, मुजफ्फरपुर रेंज के आइजी पारस नाथ और डीएम दीपक आनंद ने घटनास्थल का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी.

पोर्टिको में हुआ था विस्फोट: अवतार नगर थाना क्षेत्र के झौंवा बसंत निवासी बालेश्वर सिंह की पुत्री खुशबू कुमारी छपरा कोर्ट गई थी. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार वह सब जज दो की कोर्ट के सामने पोर्टिको में काला बुरका पहने बैठी थी. उसके पास एक बैग भी था. पास ही बैठी एक महिला श्वेता ने देखा था कि खुशबू गर्दन के पास हाथ से कुछ रगड़ रही है. इसके बाद उसने जैसे ही बैग में हाथ डालकर कुछ हरकत की और उसी समय जोरदार धमाका हुआ. धमाके के बाद अफरा-तफरी मच गई. बुरका पहनी युवती के कमर के नीचे के दोनों पैर के पूरे हिस्से उड़ गए थे. विस्फोट की चपेट में आकर श्वेता भी जख्मी हो गई थी. आसपास रखी बाइक और अन्य वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए थे.

तिहरे हत्याकांड से जुड़े थे तार: घटना के तार जेल से जुड़े बताए गए थे. इस मामले को महाराजगंज के तत्कालीन सांसद उमाशंकर सिंह के छपरा स्थित आवास पर साल 2011 में हुए तिहरे हत्याकांड से जोड़ कर देखा गया. उमाशंकर सिंह के घर के पास अपराधियों ने एके 47 से तीन लोगों को भून डाला था. इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था. तहकीकात में पता चला था कि सांसद के घर के पास हुए हत्याकांड में शशिभूषण नामक व्यक्ति ने लाइनर की भूमिका निभाई थी. शशिभूषण की कोर्ट में पेशी थी और ऐसी आशंका जताई गयी कि खुशबू शशिभूषण की ही हत्या के मकसद से कोर्ट परिसर में दाखिल हुई थी.

ये भी पढ़ें-बिहार: औरंगाबाद में प्रेशर IED ब्लास्ट, एक की मौत

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छपरा: बिहार के छपरा कोर्ट कैंपस में हुए ब्लास्ट मामले की मुख्य आरोपी खुशबू के खिलाफ छपरा कोर्ट से गैर जमानती वारंट जारी हुआ है. एडीजे सात अनुराग त्रिपाठी ने इस बहुचर्चित ब्लास्ट मामले की सुनवाई पूरी करने के दौरान खुशबू के आवेदन को खारिज कर दिया और एनबीडब्ल्यू जारी करने का आदेश दिया. खुशबू के अधिवक्ता ने गैर हाजिरी माफ का आवेदन दिया था. आवेदन को एडीजे ने मानने से इनकार कर दिया. साथ ही बेल बांड भी रद्द कर दिया.

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साक्ष्य के अभाव में कोर्ट से बरी: कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में आरोपित धर्मेंद्र राय, महेश राय और निकेश राय को कोर्ट ने बरी करने का आदेश दिया है. अभियोजन पक्ष से तीनों आरोपितों के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए जाने के (Chapra Civil Court Blast Case) कारण उन्हें बरी करने का आदेश दिया गया है. बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने बताया था कि इस कांड से तीनों आरोपियों को कोई लेना देना नहीं है. पुलिस ने एक साजिश के तहत नाम दे दिया है. बचाव पक्ष से दीपक सिन्हा और चंद्रमोहन तिवारी ने पक्ष रखा और अभियोजन पक्ष से पीपी सुरेंद्र सिंह ने पक्ष रखा.

सिविल कोर्ट में हुआ था विस्फोट: छपरा सिविल कोर्ट में 16 अप्रैल 2016 की सुबह करीब पौने नौ बजे एक युवती ने मानव बम विस्फोट किया. बम ब्लास्ट में युवती सहित नौ लोग जख्मी हो गए थे. वारदात के बाद कोर्ट परिसर में अफरा-तफरी मच गई थी. विस्फोट करने वाली युवती खुशबू को गंभीर हालत में पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था. घायलों में नया गांव की श्वेता देवी, सृष्टि कुमारी, झवां ढाला के मोहम्मद यूनुस, मोहम्मद नईम, शाह मोहम्मद, सकड़ी बाजार के विजय भारती शामिल थे. मानव बम बन कर विस्फोट करने वाली खुशबू पहले जेल जा चुकी थी.

हाईकोर्ट ने मांगा था स्पष्टीकरण: घटना का तार महाराजगंज के पूर्व सांसद उमाशंकर सिंह के घर के निकट 2011 में हुए तिहरे हत्याकांड से जुड़े बताए गए थे. उस समय के नगर थाना अध्यक्ष रवि कुमार ने खुशबू सहित तीन आरोपितों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई थी. घटना के बाद पटना हाईकोर्ट ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था. कर्तव्य में लापरवाही बरतने के आरोप में कोर्ट हाजत में तैनात सब इंस्पेक्टर समेत आधा दर्जन जवानों को निलंबित कर दिया गया था. एडीजी विधि व्यवस्था आलोक राज, कमिश्नर प्रभात शंकर, डीआइजी अजीत कुमार राय, मुजफ्फरपुर रेंज के आइजी पारस नाथ और डीएम दीपक आनंद ने घटनास्थल का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी.

पोर्टिको में हुआ था विस्फोट: अवतार नगर थाना क्षेत्र के झौंवा बसंत निवासी बालेश्वर सिंह की पुत्री खुशबू कुमारी छपरा कोर्ट गई थी. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार वह सब जज दो की कोर्ट के सामने पोर्टिको में काला बुरका पहने बैठी थी. उसके पास एक बैग भी था. पास ही बैठी एक महिला श्वेता ने देखा था कि खुशबू गर्दन के पास हाथ से कुछ रगड़ रही है. इसके बाद उसने जैसे ही बैग में हाथ डालकर कुछ हरकत की और उसी समय जोरदार धमाका हुआ. धमाके के बाद अफरा-तफरी मच गई. बुरका पहनी युवती के कमर के नीचे के दोनों पैर के पूरे हिस्से उड़ गए थे. विस्फोट की चपेट में आकर श्वेता भी जख्मी हो गई थी. आसपास रखी बाइक और अन्य वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए थे.

तिहरे हत्याकांड से जुड़े थे तार: घटना के तार जेल से जुड़े बताए गए थे. इस मामले को महाराजगंज के तत्कालीन सांसद उमाशंकर सिंह के छपरा स्थित आवास पर साल 2011 में हुए तिहरे हत्याकांड से जोड़ कर देखा गया. उमाशंकर सिंह के घर के पास अपराधियों ने एके 47 से तीन लोगों को भून डाला था. इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था. तहकीकात में पता चला था कि सांसद के घर के पास हुए हत्याकांड में शशिभूषण नामक व्यक्ति ने लाइनर की भूमिका निभाई थी. शशिभूषण की कोर्ट में पेशी थी और ऐसी आशंका जताई गयी कि खुशबू शशिभूषण की ही हत्या के मकसद से कोर्ट परिसर में दाखिल हुई थी.

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