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नेताओं ने इसके नाम पर बना ली अपनी 'किस्मत', लेकिन नहीं बदली मढ़ौरा चीनी मिल की सूरत

सभी राजनीतिक दल के नेता इसे चालू करने की बात तो करते हैं. लेकिन चुनाव के बाद किसी को चिंता नहीं होती.

मढ़ौरा चीनी मिल
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Published : Apr 24, 2019, 8:33 AM IST

छपराः 1990 के बाद कई बार लोकसभा और विधानसभा चुनाव हुए, लेकिन संयुक्त बिहार का पहला चीनी मिल जो सारण जिले के मढ़ौरा में स्थापित हुआ था, उसको आज तक चालू नहीं किया गया. हालांकि चुनाव के समय किसान को मुआवजा व मिल कर्मचारियों को बकाये राशि का भुगतान कराये जाने का आश्वासन जरूर दिया जाता है.

मढ़ौरा स्थित चीनी मिल मजदूर यूनियन के महामंत्री वकील प्रसाद ने बताया कि जब भी चुनाव का समय आता है, तो इसे चालू करने का आश्वासन दिया जाता है. साथ ही किसानों और मिल कर्मचारियों के बकाये राशि का भुगतान करने की बात की जाती है. चाहे वह किसी भी राजनीतिक दल के नेता हों, सभी लोग इसे चालू करने की बात तो करते हैं लेकिन चुनाव के बाद किसी को चिंता नहीं होती.

sugar mill
मढ़ौरा चीनी मिल के अवशेष

लौट सकती है इसकी पहचान
चीनी मिल के मुद्दे को संसद में उठाया जाए तो कपड़ा मंत्रालय के अधीन आने वाले इस मिल को चालू किया जा सकता था. मिल की स्थिति दिन ब दिन जर्जर होती जा रही है. चोर इसके कलपुर्जे चोरी कर कमाने की फिराक में लगे रहते हैं. स्थानीय नेता चाहते तो इसे पुनर्जीवित कर फिर से इस अधौगिक नगरी की पहचान वापस ला सकते थे. लेकिन किसी भी राजनीतिक दलों के नेताओं ने इसे अमलीजामा पहनाने में कोई प्रयास नहीं किया.

बयान देते वकील प्रसाद, महामंत्री , मजदूर यूनियन

वोट लेने के लिए बनता है मुद्दा
मालूम हो संयुक्त बिहार जब पश्चिम बंगाल, उड़ीसा व बिहार एक राज्य था, तो उसी समय सारण जिले के मढ़ौरा स्थित चीनी मिल की स्थापना की गई थी. जिसकी मिठास की राज्य ही नहीं बल्कि देश व विदेशों में भी चर्चा की जाती थी. लेकिन अब इस अधौगिक नगरी का नाम विलुप्त हो गया है. शायद इस बार भी वोट लेने के लिए इस मिल के मुद्दे को उछाला जा सकता है.

छपराः 1990 के बाद कई बार लोकसभा और विधानसभा चुनाव हुए, लेकिन संयुक्त बिहार का पहला चीनी मिल जो सारण जिले के मढ़ौरा में स्थापित हुआ था, उसको आज तक चालू नहीं किया गया. हालांकि चुनाव के समय किसान को मुआवजा व मिल कर्मचारियों को बकाये राशि का भुगतान कराये जाने का आश्वासन जरूर दिया जाता है.

मढ़ौरा स्थित चीनी मिल मजदूर यूनियन के महामंत्री वकील प्रसाद ने बताया कि जब भी चुनाव का समय आता है, तो इसे चालू करने का आश्वासन दिया जाता है. साथ ही किसानों और मिल कर्मचारियों के बकाये राशि का भुगतान करने की बात की जाती है. चाहे वह किसी भी राजनीतिक दल के नेता हों, सभी लोग इसे चालू करने की बात तो करते हैं लेकिन चुनाव के बाद किसी को चिंता नहीं होती.

sugar mill
मढ़ौरा चीनी मिल के अवशेष

लौट सकती है इसकी पहचान
चीनी मिल के मुद्दे को संसद में उठाया जाए तो कपड़ा मंत्रालय के अधीन आने वाले इस मिल को चालू किया जा सकता था. मिल की स्थिति दिन ब दिन जर्जर होती जा रही है. चोर इसके कलपुर्जे चोरी कर कमाने की फिराक में लगे रहते हैं. स्थानीय नेता चाहते तो इसे पुनर्जीवित कर फिर से इस अधौगिक नगरी की पहचान वापस ला सकते थे. लेकिन किसी भी राजनीतिक दलों के नेताओं ने इसे अमलीजामा पहनाने में कोई प्रयास नहीं किया.

बयान देते वकील प्रसाद, महामंत्री , मजदूर यूनियन

वोट लेने के लिए बनता है मुद्दा
मालूम हो संयुक्त बिहार जब पश्चिम बंगाल, उड़ीसा व बिहार एक राज्य था, तो उसी समय सारण जिले के मढ़ौरा स्थित चीनी मिल की स्थापना की गई थी. जिसकी मिठास की राज्य ही नहीं बल्कि देश व विदेशों में भी चर्चा की जाती थी. लेकिन अब इस अधौगिक नगरी का नाम विलुप्त हो गया है. शायद इस बार भी वोट लेने के लिए इस मिल के मुद्दे को उछाला जा सकता है.

Intro:MOJO KIT NUMBER:-577
SLUG:-SUGAR FACTORY BANA CHUNAVI MUDDA
ETV BHARAT NEWS DESK
F.M:-DHARMENDRA KUMAR RASTOGI/SARAN/BIHAR

Anchor:-1990 के बाद लोकसभा व विधानसभा के चुनाव कई बार हुए लेकिन संयुक्त बिहार का पहला चीनी मिल जो सारण जिले के मढ़ौरा में स्थापित हुआ था उसको आज तक चालू नही किया गया लेकिन चुनाव के समय मुद्दे जरूर बनाये जाते है और किसान को मुआवजे व मिल कर्मचारियों के बकाये राशि का भुगतान कराये जाने का आश्वासन दिया जाता रहा हैं।


Body:ऐतिहासिक अधौगिक नगरी के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली मढ़ौरा स्थित चीनी मिल मजदूर यूनियन के महामंत्री वकील प्रसाद ने बताया कि जब भी चुनाव का समय आता हैं तो इसे चालू करने करने का आश्वासन दिया जाता हैं साथ ही किसानों का बकाया व मिल कर्मचारियों के बकाये राशि का भुगतान करने संबंधी बात की जाती रही हैं चाहे वह किसी भी राजनीतिक दल के नेता हो सभी लोग ज़ुबानी चर्चा करते हुए चालू करने की बात तो करते हैं लेकिन चुनाव के बाद किसी की चिंता नही होती हैं कि चीनी मिल के मुद्दे को देश की सबसे बड़ी संसद में इसे उठाया जाए जबकि कपड़ा मंत्रालय के अधीन आने वाले इस मिल को चालू किया जा सकता था लेकिन अब दिल्ली बहुत दूर हो गई हैं कारण की चीनी मिल की स्थिति दिन ब दिन जर्जर होते जा रही हैं और चोर इसे चोरी कर कमाने की फ़िराक में लगे रहते है।

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वकील प्रसाद, महामंत्री, चीनी मिल कर्मचारी यूनियन, मढ़ौरा


Conclusion:मालूम हो संयुक बिहार जब पश्चिम बंगाल, उड़ीसा व बिहार एक राज्य था तो उसी समय सारण जिले के मढ़ौरा स्थित चीनी मिल की स्थापना की गई थी जिसका मिठास राज्य ही नही बल्कि देश व विदेशों में भी इसकी मिठास की चर्चा की जाती थी लेकिन अब इस अधौगिक नगरी का नाम विलुप्त हो गई हैं।

स्थानीय नेताओं व बिहार के नेता चाहते तो इसे पुनर्जीवित कर फिर से अधौगिक नगरी की पहचान वापस ला सकते थे लेकिन किसी भी राजनीतिक दलों के नेताओं ने अमलीजामा पहनाने में अपने स्तर से कोई प्रयास नही किया। शायद इस बार भी वोट लेने के लिए इस मिल का मुद्दा उछाला जा सकता हैं।
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