नई दिल्ली: कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने महाराष्ट्र और हरियाणा में हाल ही में हुए चुनावों में मिली हार और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और विभिन्न विधानसभा उपचुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन की समीक्षा के लिए 29 नवंबर को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाई है.
इस संबंध में महाराष्ट्र सेक्रेटरी इंचार्ज AICC बीएम संदीप ने ईटीवी भारत से कहा, "परिणाम हमारी उम्मीदों के बिल्कुल विपरीत थे. हमने जमीन पर कड़ी मेहनत की थी और टिकटों का वितरण सावधानी से किया था. इसके अलावा, एमवीए सहयोगियों के बीच भी उचित कोर्डिनेशन था. जमीन पर हमें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही थी, लेकिन परिणाम इसके ठीक विपरीत थे. हमारे कार्यकर्ता परिणाम को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं और उनका मानना है कि मतगणना में किसी तरह की हेराफेरी हुई है."
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि सीडब्ल्यूसी महाराष्ट्र में इंडिया ब्लॉक की चौंकाने वाली हार में ईवीएम की भूमिका और 2027 के महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों से पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संभल में ध्रुवीकरण के मुद्दे पर आगे के रास्ते पर भी चर्चा करेगी. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी स्थानीय लोगों से मिलने के लिए संभल का दौरा कर सकते हैं.
कांग्रेस और उसकी सहयोगी समाजवादी पार्टी ने राज्य की भाजपा सरकार पर संभल में सांप्रदायिक हिंसा की अनुमति देने का आरोप लगाया है, जहां 1526 में पहले मुगल सम्राट बाबर के शासनकाल के दौरान निर्मित एक मस्जिद के सर्वे के आदेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस गोलीबारी में कई नागरिक कथित रूप से मारे गए थे. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि मस्जिद एक मंदिर के खंडहर पर बनाई गई थी और मांग की कि हिंदुओं को वहां प्रार्थना करने की अनुमति दी जानी चाहिए.
ईवीएम की भूमिका पर सवाल
वहीं, महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने कहा, "हम लंबे समय से ईवीएम की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन न तो चुनाव आयोग और न ही अदालतों ने हमारी बात सुनी. इस पृष्ठभूमि में हमें इस मुद्दे पर देशव्यापी विरोध शुरू करने और बैलेट पेपर पर वापस जाने की मांग करने की आवश्यकता महसूस हो रही है. हमें इसमें अपने सहयोगियों को भी साथ लेना होगा."
खराब प्रदर्शन की समीक्षा
पटोले और महाराष्ट्र के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने मंगलवार को कांग्रेस प्रमुख खड़गे को विधानसभा परिणामों के बारे में जानकारी दी. सूत्रों ने बताया कि सीडब्ल्यूसी पंजाब, राजस्थान, यूपी और बिहार में कर्नाटक को छोड़कर विभिन्न विधानसभा उपचुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन की समीक्षा कर सकती है और दिल्ली और बिहार में आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए रणनीति पर चर्चा कर सकती है, जहां कांग्रेस बहुत मजबूत नहीं है. बिहार कांग्रेस प्रमुख अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा, "उपचुनाव परिणामों के बाद हमें बिहार में इंडिया ब्लॉक को आगे बढ़ाने के लिए रणनीति की समीक्षा करने की जरूरत है."
दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए कांग्रेस ने हाल ही में दीपक बाबरिया की जगह एआईसीसी पदाधिकारी काजी निजामुद्दीन को प्रभारी नियुक्त किया है, लेकिन चुनाव से कुछ महीने पहले राष्ट्रीय राजधानी में पार्टी को पुनर्जीवित करना उनके लिए एक कठिन काम होने जा रहा है.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि चुनावों के अलावा, कांग्रेस अगले दो महीनों में संविधान की रक्षा और जाति जनगणना के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान भी चलाएगी और सीडब्ल्यूसी की बैठक के दौरान इसकी योजनाओं पर चर्चा की जा सकती है.