नई दिल्ली : सोने की कीमतों में गिरावट आई है. पिछले 2 दिनों में सोने की कीमतों में 2,200 रुपये प्रति 10 ग्राम की गिरावट आई है, जबकि इसी अवधि में चांदी की कीमतों में 2,700 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई है.
सोने-चांदी की कीमतों में गिरावट का कारण ?
इस खबर के बाद कि इजरायल-लेबनान युद्ध विराम समझौते पर हस्ताक्षर कर रहे हैं, सोने और चांदी की कीमतों में तेजी से गिरावट आई. सोने की कीमतों में नवंबर 2020 के बाद से एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई. चांदी की कीमतों में भी गिरावट आई.
दूसरी प्रमुख वजह है अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप द्वारा स्कॉट बेसेंट का ट्रेजरी सचिव के रूप में चुना जाना. बेसेंट वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ हैं. दुनिया भर में उनका सम्मान है. वह बिल क्लिंटन और ओबामा के साथ भी काम कर चुके हैं.
जारी रह सकती है गिरावट
विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले दिनों में भी सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट जारी रह सकती है. इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच संभावित युद्धविराम की खबर से इनकी कीमत में कमी आने के आसार हैं. इसके साथ अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के कारण भी नीतियों को लेकर माहौल बदल सकता है.
भारतीय बाजारों में सोना अपने शिखर से करीब 6.5 फीसदी तक गिर चुका है. वहीं, चांदी में 13 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि दिसंबर तक सोने और चांदी की कीमत में स्पष्ट स्थिरता आ पाएगी.
सोने और चांदी की कीमतों को लेकर ईटीवी भारत ने एचडीएफसी सिक्योरिटीज के करेंसी और कमोडिटी प्रमुख अनुज गुप्ता से बात की. उन्होंने बताया कि, एमसीएक्स पर 79,535 के अपने उच्चतम स्तर से, सोना वर्तमान में 75,041 रुपये प्रति 10 ग्राम (26 नवंबर 2024, 14:23 IST तक) पर कारोबार कर रहा है.
अनुज गुप्ता ने कहा कि वैश्विक मुद्दों के साथ-साथ इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच संभावित युद्धविराम का संकेत देने वाली खबरों से कीमतें कम होने की संभावना है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि डॉलर सूचकांक अपने पीक पर है. अमेरिकी नीतियों में संभावित बदलाव के साथ, फिलहाल निवेशक धातुओं की तुलना में डॉलर को प्राथमिकता दे रहे हैं.
गुप्ता के मुताबिक छोटी अवधि में सोना 74,600 के स्तर तक पहुंच सकता है. अगर यह स्तर भी टूटा तो सोना 73,900 तक गिर सकता है. जहां तक चांदी की बात है, यह वर्तमान में एमसीएक्स पर 87,774 रुपये प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रहा है. निकट अवधि में चांदी 86,700 तक गिर सकती है. यदि यह स्तर भी टूटता है तो चांदी 82,900 पर आकर ठहर सकती है.
इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) ने ईटीवी भारत को बताया कि सोने की कीमतों में यह उतार-चढ़ाव अभी कुछ और हफ्तों तक जारी रहने की संभावना है. दरअसल, बाजार ट्रंप की जीत के बाद सर्तक व्यवहार कर रहा है.
आईबीजेए के राष्ट्रीय सचिव सुरेंद्र मेहता के मुताबिक, यू.एस. लोन-से-जीडीपी अनुपात 125% से अधिक है. फिलहाल इसमें वृद्धि जारी रहने के आसार हैं. प्रत्येक अमेरिकी नागरिक पर लगभग 108,000 डॉलर का कर्ज है. अमेरिका में राजस्व-से-व्यय अनुपात बेमेल है. 36 ट्रिलियन डॉलर का कुल राष्ट्रीय ऋण अभी और बढ़ने की उम्मीद है. यह अमेरिका के लिए एक गंभीर वित्तीय स्थिति प्रस्तुत कर रहा है.
मेहता का मानना है कि अमेरिकी बाजार की स्थिति के कारण लंबी अवधि में सोने में तेजी आ सकती है. हालांकि, अल्पावधि में, हाजिर बाजार में सोना 2,524 डॉलर के स्तर तक पहुंचने की संभावना है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि चीनी उत्पादों पर टैरिफ और प्रतिबंध उनकी विनिर्माण गतिविधियों को प्रभावित कर सकते हैं. जिससे चीन फिर से अधिक सोना खरीदना शुरू कर सकता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि सोने और चांदी की कीमतों में उतार-चढ़ाव कई कारकों से प्रभावित होता है, जिसमें वैश्विक मांग, विभिन्न देशों में मुद्रा मूल्यों में बदलाव, मौजूदा ब्याज दरें और सोने के व्यापार पर सरकारी नियम शामिल हैं. इसके अलावा, वैश्विक घटनाएं-जैसे आर्थिक स्थितियां और अन्य मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की ताकत-भारत में सोने की कीमतों को आकार देने में प्रमुख भूमिका निभाती हैं.
उदाहरण के लिए, रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव से सोने की वैश्विक और स्थानीय मांग बढ़ गई है. हालांकि, अमेरिकी चुनावों के बाद कीमतों में गिरावट आई है, क्योंकि निवेशक इक्विटी बाजार में बेहतर रिटर्न की तलाश में हैं.
इन सबसे हटकर कुछ विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि अगर अमेरिकी फेड बैंक ने रेट दर में और भी कटौती की, और जिसकी संभावना बनी हुई है, तो फिर से सोने और चांदी के भाव में बढ़ोतरी हो सकती है.