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स्टेशन पर आराम करने की सुविधा नहीं देने पर कोर्ट ने रेलवे पर ठोका जुर्माना - CONSUMER COURT PENALTY

बुकिंग के बाद रेलवे स्टेशन पर विश्राम की सुविधा उपलब्ध नहीं कराने के मामले में अदालत ने रेलवे पर जुर्माना लगाया.

Consumer court penalty to Southern Railway
उपभोक्ता अदालत (प्रतीकात्मक फोटो) (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 6, 2025, 9:41 AM IST

चेन्नई: तमिलनाडु के रहने वाले कुछ यात्रियों को यात्रा के दौरान स्टेशन पर विश्राम करने की सुविधा उपलब्ध नहीं कराने पर उपभोक्ता अदालत ने रेलवे पर जुर्माना लगाया. यात्री निजामुद्दीन, अमृतसर और चंडीगढ़ रेलवे स्टेशनों पर ठहरे थे. इसके लिए उन्होंने पहले ही विश्राम कक्ष बुक कराई थी. लेकिन स्टेशन पर पहुंचने पर बुकिंग होने से इनकार कर दिया गया.

पेश मामले के अनुसार पुदुवन्नारपेट के लक्ष्मणन और कुड्डालोर जिले के रामू ने चेन्नई उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में शिकायत दर्ज कराई. शिकायत के अनुसार 2019 में लक्ष्मणन और रामू दिल्ली और आगरा सहित विभिन्न स्थानों के लिए पर्यटन यात्रा पर गए थे.

निजामुद्दीन, अमृतसर और चंडीगढ़ रेलवे स्टेशनों पर विश्राम के लिए बुक करवाया था. लेकिन जब वे आराम करने गए तो रेलवे कर्मचारियों यह कहते हुए कमरा आवंटित करने से मना कर दिया कि सिस्टम में उनके नाम से बुकिंग को लेकर कोई रिकॉर्ड नहीं है. फिर यात्रियों को प्लेटफॉर्म पर लेटकर समय बिताया. बाद में इसके खिलाफ उपभोक्ता अदालत का दरवाजा खटखटाया. इस शिकायत की सुनवाई अध्यक्ष गोपीनाथ और सदस्य राममूर्ति की अध्यक्षता में हुई.

सुनवाई के दौरान दक्षिण रेलवे के चेन्नई मंडल महाप्रबंधक ने कहा, 'यदि किसी कारणवश विश्राम कक्ष आवंटित करना संभव नहीं हो पाता है तो उसके लिए भुगतान की गई राशि वापस करने का नियम है. इसके अनुसार विश्राम कक्ष के लिए भुगतान की गई राशि वापस कर दी गई. इसलिए इस याचिका को खारिज किया जाना चाहिए.'

सभी दलीलें सुनने के बाद चेन्नई उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग के अध्यक्ष ने कहा, 'यात्री अपनी अगली ट्रेन यात्रा की सुविधा के लिए रेलवे स्टेशन लाउंज का चयन करते हैं. इसलिए, जहां तक ​​याचिकाकर्ता का सवाल है, उसने रेलवे स्टेशन लाउंज पहले से बुक कर लिया था. हालांकि, उसे काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा क्योंकि उसे कमरा आवंटित नहीं किया गया था.

अदालत ने कहा कि चूंकि रेलवे प्रशासन की इस सेवा में कमी के कारण याचिकाकर्ताओं को मानसिक कष्ट हुआ है, इसलिए दक्षिण रेलवे को याचिकाकर्ताओं को मुआवजे के रूप में 25,000 रुपये और मुकदमेबाजी खर्च के रूप में 5,000 रुपये देने चाहिए.

आयोग ने जिसने इसी मुद्दे पर 7 अन्य पीड़ितों द्वारा दायर मामले की सुनवाई की. दक्षिण रेलवे को आदेश दिया कि वह उन्हें मुआवजे के रूप में कुल 90,000 रुपये और मुकदमे की लागत के रूप में 20,000 रुपये का भुगतान करे.

ये भी पढ़ें- 'सड़कों पर झंडा-बैनर लगाने से बढ़ रही दुर्घटनाएं': हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को दिये सख्त निर्देश

चेन्नई: तमिलनाडु के रहने वाले कुछ यात्रियों को यात्रा के दौरान स्टेशन पर विश्राम करने की सुविधा उपलब्ध नहीं कराने पर उपभोक्ता अदालत ने रेलवे पर जुर्माना लगाया. यात्री निजामुद्दीन, अमृतसर और चंडीगढ़ रेलवे स्टेशनों पर ठहरे थे. इसके लिए उन्होंने पहले ही विश्राम कक्ष बुक कराई थी. लेकिन स्टेशन पर पहुंचने पर बुकिंग होने से इनकार कर दिया गया.

पेश मामले के अनुसार पुदुवन्नारपेट के लक्ष्मणन और कुड्डालोर जिले के रामू ने चेन्नई उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में शिकायत दर्ज कराई. शिकायत के अनुसार 2019 में लक्ष्मणन और रामू दिल्ली और आगरा सहित विभिन्न स्थानों के लिए पर्यटन यात्रा पर गए थे.

निजामुद्दीन, अमृतसर और चंडीगढ़ रेलवे स्टेशनों पर विश्राम के लिए बुक करवाया था. लेकिन जब वे आराम करने गए तो रेलवे कर्मचारियों यह कहते हुए कमरा आवंटित करने से मना कर दिया कि सिस्टम में उनके नाम से बुकिंग को लेकर कोई रिकॉर्ड नहीं है. फिर यात्रियों को प्लेटफॉर्म पर लेटकर समय बिताया. बाद में इसके खिलाफ उपभोक्ता अदालत का दरवाजा खटखटाया. इस शिकायत की सुनवाई अध्यक्ष गोपीनाथ और सदस्य राममूर्ति की अध्यक्षता में हुई.

सुनवाई के दौरान दक्षिण रेलवे के चेन्नई मंडल महाप्रबंधक ने कहा, 'यदि किसी कारणवश विश्राम कक्ष आवंटित करना संभव नहीं हो पाता है तो उसके लिए भुगतान की गई राशि वापस करने का नियम है. इसके अनुसार विश्राम कक्ष के लिए भुगतान की गई राशि वापस कर दी गई. इसलिए इस याचिका को खारिज किया जाना चाहिए.'

सभी दलीलें सुनने के बाद चेन्नई उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग के अध्यक्ष ने कहा, 'यात्री अपनी अगली ट्रेन यात्रा की सुविधा के लिए रेलवे स्टेशन लाउंज का चयन करते हैं. इसलिए, जहां तक ​​याचिकाकर्ता का सवाल है, उसने रेलवे स्टेशन लाउंज पहले से बुक कर लिया था. हालांकि, उसे काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा क्योंकि उसे कमरा आवंटित नहीं किया गया था.

अदालत ने कहा कि चूंकि रेलवे प्रशासन की इस सेवा में कमी के कारण याचिकाकर्ताओं को मानसिक कष्ट हुआ है, इसलिए दक्षिण रेलवे को याचिकाकर्ताओं को मुआवजे के रूप में 25,000 रुपये और मुकदमेबाजी खर्च के रूप में 5,000 रुपये देने चाहिए.

आयोग ने जिसने इसी मुद्दे पर 7 अन्य पीड़ितों द्वारा दायर मामले की सुनवाई की. दक्षिण रेलवे को आदेश दिया कि वह उन्हें मुआवजे के रूप में कुल 90,000 रुपये और मुकदमे की लागत के रूप में 20,000 रुपये का भुगतान करे.

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