सारण: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन 2024 तक टीबी मुक्त भारत अभियान को पूरा करने का लक्ष्य है. लेकिन यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम की समीक्षा व मॉनिटरिंग का कार्य सारण जिले में फिसड्डी साबित हो रहा है. इसका खुलासा खुद बिहार राज्य यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम की जांच करने आई केंद्रीय टीम ने की है.
केंद्रीय टीम ने की जांच
केंद्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम में शामिल 6 सदस्यीय टीम ने जिले के विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण कर तीन दिनों में एक रिपोर्ट तैयार की है. जिसमें 21 टीबी मरीजों के साथ बातचीत कर विभिन्न बिंदुओं पर जांच की. इसमें जिला यक्ष्मा पदाधिकारी व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर व्यापक पैमाने पर धांधली बरतने का आरोप लगाया गया है.
मेडिकल ऑफिसर ने पोषण भत्ता का भुगतान रोका
लक्ष्य के अनुरूप मरीज़ों को चिन्हित नहीं किया गया हैं. साथ ही सीनियर टीबी सुपरवाइजर को प्रतिमाह पांच सौ रुपये की राशि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के मेडिकल ऑफिसर के द्वारा भुगतान की जाती है जो नहीं किया गया है. जिस कारण केंद्रीय जांच ने जिला यक्ष्मा पदाधिकारी के प्रति कड़ी आपत्ति दर्ज की है.
दो वर्ष तक के कारावास की सजा का प्रावधान
टीम में शामिल बिहार राज्य यक्ष्मा उन्मूलन के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ केएन सहाय ने बताया कि यक्ष्मा के मरीजों को पोषण भत्ता का भुगतान नहीं करना कठोर दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आता है. इस मामलें में दोषियों को दो वर्ष तक के कारावास की सजा का प्रावधान है.