छपरा (सारण): पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन ने शनिवार 14 अक्टूबर को छपरा व्यवहार न्यायालय परिसर में नवनिर्मित 10 कोर्ट्स बिल्डिंग का उद्घाटन किया. इस अवसर पर पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह, न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार, न्यायमूर्ति अंजनी कुमार शरण, न्यायमूर्ति अनिल कुमार सिन्हा सह निरीक्षी न्यायाधीश छपरा व्यवहार न्यायालय न्यायमूर्ति आलोक कुमार पांडे एवं पटना उच्च न्यायालय के महानिबंधक रुद्र प्रकाश मिश्र उपस्थिति थे.
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अतिथियों का स्वागत किया गयाः इस अवसर पर जिला जज वीरेंद्र कुमार मिश्रा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया. उन्हें अंग वस्त्र प्रदान किया गया. बच्चियों द्वारा स्वागत गान प्रस्तुत किया गया. मुख्य न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन एवं सभी न्यायाधीशों द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई. उद्घाटन समारोह में छपरा व्यवहार न्यायालय के सभी न्यायिक पदाधिकारी, जिला पदाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, छपरा विधि मंडल के अध्यक्ष एवं महामंत्री सहित सभी अधिवक्ता एवं न्यायालय कर्मी मौजूद रहे.
"मैं पिछले 6 माह से पटना उच्च न्यायालय में पेंडिंग केस को समाप्त करने और न्यायिक व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में लगा हुआ हूं. जब मैंने मुख्य न्यायाधीश का पद संभाला था उस समय पटना उच्च न्यायालय में एक लाख से अधिक केस पेंडिंग थे, अल्प समय में इसका निपटारा किया गया. अब लगभग 46 हजार केस पेंडिंग रह गया है, उसे भी सूचीबद्ध किया जा रहा है वो भी अति शीघ्र समाप्त कर दिया जाएगा."- न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन, मुख्य न्यायाधीश, पटना हाईकोर्ट
1899 में बना था छपरा व्यवहार न्यायालयः जिला जज ने अपने स्वागत भाषण में छपरा व्यवहार न्यायालय के इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि यह व्यवहार न्यायालय 1899 में बना था. इसके पूर्व मुजफ्फरपुर व्यवहार न्यायालय द्वारा यह संचालित होता था. इसकी स्थापना जब हुई थी तो सिवान और गोपालगंज भी इसी कोर्ट के अंतर्गत आते थे. न्यायमूर्ति आलोक कुमार पांडे ने कहा कि बिना मूलभूत संरचना के कोई भी काम नहीं हो सकता है. न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार सिंह ने कहा कि न्याय की सफलता न्याय की सोच पर निर्भर करता है.