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इंटर परीक्षा : हाथों से है मजबूर तो पैरों से तकदीर लिखने पहुंची छात्रा

अंकिता हाथों से नहीं बल्कि पैरों से लिखने को मजबूर है. साथ ही कुछ भी बोल पाने में भी माजूर है. वह सिर्फ इसारों से ही बात करती है.

दिव्यांग छात्रा
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Published : Feb 6, 2019, 8:04 PM IST

छपरा : संकल्प, विश्वास, धैर्य और उत्साह किसी व्यक्ति में एक साथ समाहित हो जाए तो मुश्किल से मुश्किल से मुश्किल मंजिल तक पहुंचना भी आसान हो जाता है. जिले की एक 18 वर्षीय बेटी अंकिता इसकी एक नजीर है. शारीरिक रूप से अक्षम होने के बाद भी दृढ़ इच्छा शक्ति को आधार बनाकर अंकिता अपनी तकदीर लिख रही है.

अंकिता सारण जिले के बनियापुर प्रखंड के हरपुर बाजार रहने वाली है. अंकिता हाथों से मजबूर होने के बाद भी पैरों से किस्मत लिखने पर अमादा है. हाथों से काम न कर पाने के कारण अंकिता पढ़ाई तो कर सकती थी, लेकिन कुछ लिख पाने में मजबूरी सामने आ जाती थी. इसके बाद उसने पैरों की उंगलियों में कलम लगाकर लिखना शुरू कर दिया.

दिव्यांग अंकिता
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अंकिता की इस कहानी का पता हमें तब चला जब वह आज से शुरू हुई इंटर परीक्षा देने जिला स्कूल पहुंची. वह इंटर विज्ञान की परीक्षा दे रही थी. अंकिता अपने दोनों पैरो से ही लिख रही थी. पैर से लिखने के बावजूद अंकिता की लिखावट देखकर अच्छे-अच्छे अपने दांतों तले अंगुलियां दबाने को मजबूर हो रहे थे.

दिव्यांग अंकिता
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परीक्षा केंद्र पर सीटिंग बेंच के अनुसार बैठाकर परीक्षा दिलाई जा रही थी. अंकिता के बारे में जानकारी मिलने पर जिला स्कूल के केंद्राधीक्षक ने दिव्यांग अंकिता के लिए परीक्षा हॉल के बाहर बरामदे में कालीन बिछाकर बैठ के परीक्षा व्यवस्था की. अंकिता के लिए अलग से एक निरीक्षक की तैनाती कर दी गई.

छपरा : संकल्प, विश्वास, धैर्य और उत्साह किसी व्यक्ति में एक साथ समाहित हो जाए तो मुश्किल से मुश्किल से मुश्किल मंजिल तक पहुंचना भी आसान हो जाता है. जिले की एक 18 वर्षीय बेटी अंकिता इसकी एक नजीर है. शारीरिक रूप से अक्षम होने के बाद भी दृढ़ इच्छा शक्ति को आधार बनाकर अंकिता अपनी तकदीर लिख रही है.

अंकिता सारण जिले के बनियापुर प्रखंड के हरपुर बाजार रहने वाली है. अंकिता हाथों से मजबूर होने के बाद भी पैरों से किस्मत लिखने पर अमादा है. हाथों से काम न कर पाने के कारण अंकिता पढ़ाई तो कर सकती थी, लेकिन कुछ लिख पाने में मजबूरी सामने आ जाती थी. इसके बाद उसने पैरों की उंगलियों में कलम लगाकर लिखना शुरू कर दिया.

दिव्यांग अंकिता
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अंकिता की इस कहानी का पता हमें तब चला जब वह आज से शुरू हुई इंटर परीक्षा देने जिला स्कूल पहुंची. वह इंटर विज्ञान की परीक्षा दे रही थी. अंकिता अपने दोनों पैरो से ही लिख रही थी. पैर से लिखने के बावजूद अंकिता की लिखावट देखकर अच्छे-अच्छे अपने दांतों तले अंगुलियां दबाने को मजबूर हो रहे थे.

दिव्यांग अंकिता
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परीक्षा केंद्र पर सीटिंग बेंच के अनुसार बैठाकर परीक्षा दिलाई जा रही थी. अंकिता के बारे में जानकारी मिलने पर जिला स्कूल के केंद्राधीक्षक ने दिव्यांग अंकिता के लिए परीक्षा हॉल के बाहर बरामदे में कालीन बिछाकर बैठ के परीक्षा व्यवस्था की. अंकिता के लिए अलग से एक निरीक्षक की तैनाती कर दी गई.

Intro:F.M:-DHARMENDRA KUMAR RASTOGI/SARAN/BIHAR
MOJO KIT NUMBER:-577
SLUG:-PADHAI KE AGE DIVYANGTA KOI MAYNE NAHI RAKHTA
ETV BHARAT NEWS DESK

Anchor:-संकल्प, विश्वास, धैर्य और उत्साह यदि किसी ब्यक्ति में एक साथ समाहित हो जाये तो कठिन से कठिन मंजिल को पाना भी आसान हो जाता हैं लेकिन इन सब सद्गुणों के बाद भी अगर उस इंसान के शारिरिक क्षमता पर चोट कर दे तो आसान लक्ष्य भी कठिन लगने लगता हैं हालांकि इस सब के बावजूद कुछ लोग ऐसे भी होते है जो शारीरिक रूप से अक्षम होने के बाद भी दृढ़ इच्छा शक्ति को आधार बनाकर कुछ ऐसा कर गुजरते हैं जो समाज के लिए प्रेरणा बन जाता हैं.



Body:सारण जिले के बनियापुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत हरपुर बाजार निवासी अशोक कुमार गुप्ता की 18 वर्षीय पुत्री अंकिता भी अपने मजबूत इरादों के बल पर समाज मे एक आदर्श प्रस्तुत कर रही हैं.

बनियापुर प्रखंड के उमा देवी प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय की इस प्रतिभावान छात्रा शहर के आदर्श परीक्षा केंद्र जिला स्कूल में इंटर विज्ञान की परीक्षा दे रही अंकिता अपने दोनों पैरो से ही लिख रही हैं. पैर से लिखने के बावजूद अंकिता की लिखावट देख कर अच्छे-अच्छे अपने दांतों तले अंगुलियों को दबाने को मजबूर हो रहे हैं.


Conclusion:परीक्षा केंद्र के सभी छात्राये बेंच पर सिटिंग के अनुसार बैठ कर परीक्षा दे रही हैं लेकिन वही दूसरी ओर जिला स्कूल के केंद्राधीक्षक संजय शेखर द्विवेदी ने दिव्यांग अंकिता के लिए परीक्षा हॉल के बाहर बरामदे में चादर बिछाकर अलग व्यवस्था करने के बाद उसको बैठा कर परीक्षा दिलवा रहे हैं और साथ में अंकिता के लिए अलग से एक वीक्षक की तैनाती कर दिए है क्योंकि अंकिता अपने हाथों से नही बल्कि पैरों से लिखने को मजबूर तो है ही साथ साथ कुछ भी बोलने में भी मजबूर है इसारो से बात चीत करती हैं.

byte:-संजय शेखर द्विवेदी, केंद्राधीक्षक, जिला स्कूल, सारण
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