छपरा : संकल्प, विश्वास, धैर्य और उत्साह किसी व्यक्ति में एक साथ समाहित हो जाए तो मुश्किल से मुश्किल से मुश्किल मंजिल तक पहुंचना भी आसान हो जाता है. जिले की एक 18 वर्षीय बेटी अंकिता इसकी एक नजीर है. शारीरिक रूप से अक्षम होने के बाद भी दृढ़ इच्छा शक्ति को आधार बनाकर अंकिता अपनी तकदीर लिख रही है.
अंकिता सारण जिले के बनियापुर प्रखंड के हरपुर बाजार रहने वाली है. अंकिता हाथों से मजबूर होने के बाद भी पैरों से किस्मत लिखने पर अमादा है. हाथों से काम न कर पाने के कारण अंकिता पढ़ाई तो कर सकती थी, लेकिन कुछ लिख पाने में मजबूरी सामने आ जाती थी. इसके बाद उसने पैरों की उंगलियों में कलम लगाकर लिखना शुरू कर दिया.
अंकिता की इस कहानी का पता हमें तब चला जब वह आज से शुरू हुई इंटर परीक्षा देने जिला स्कूल पहुंची. वह इंटर विज्ञान की परीक्षा दे रही थी. अंकिता अपने दोनों पैरो से ही लिख रही थी. पैर से लिखने के बावजूद अंकिता की लिखावट देखकर अच्छे-अच्छे अपने दांतों तले अंगुलियां दबाने को मजबूर हो रहे थे.
परीक्षा केंद्र पर सीटिंग बेंच के अनुसार बैठाकर परीक्षा दिलाई जा रही थी. अंकिता के बारे में जानकारी मिलने पर जिला स्कूल के केंद्राधीक्षक ने दिव्यांग अंकिता के लिए परीक्षा हॉल के बाहर बरामदे में कालीन बिछाकर बैठ के परीक्षा व्यवस्था की. अंकिता के लिए अलग से एक निरीक्षक की तैनाती कर दी गई.