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कोरोना जैसा ही है कालाजार! केंद्रीय स्वास्थ्य टीम ने छपरा के गरखा का किया निरीक्षण

कालाजार से पूर्वी राज्यों में कालाजार से अधिक लोग प्रभावित होते हैं. ये रोग भी कोरोना जैसा ही है. छपरा के गरखा प्रखंड के कई गांवों में इसके कई मामले मिलते रहे हैं. केंद्रीय टीम ने यहां निरीक्षण किया. पढ़ें पूरी खबर...

बिहार सरकार
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Published : Dec 5, 2020, 4:45 PM IST

छपरा (गरखा) : केंद्रीय स्वास्थ्य टीम सारण के गरखा प्रखंड स्थित समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण करने पहुंची. इस दौरान टीम ने कालाजार छिड़काव अभियान की जांच की. एनबीडीसीपी नेशनल कलेक्ट्रेट के डॉक्टर वी के रैना, सीएचएआई नई दिल्ली के डॉ. मैक डॉ दिलीप सिंह, डॉ. आदित्य कुमार ने चलाए जा रहे अभियान की विस्तृत जानकारी ली.

पिछले कुछ वर्षों में गरखा में कालाजार के मरीजों की संख्या में आई कमी को देख केंद्रीय टीम काफी खुश नजर आई. टीम ने इसके अलावा ओपीडी एवं अन्य बीमारी से दिखाने आए मरीजों से भी पूछताछ की और अस्पताल के सभी सुविधाओं के बारे में विस्तृत जानकारी ली. निरीक्षण के दौरान प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सर्वजीत कुमार, डॉ. मेहा कुमारी डॉ. शिखा लाल, डॉ. मंजू, डॉ. विजय कुमार, डॉ. पंकज अरण्य, डॉ. रुपेश पांडेय, मैनेजर राकेश सिंह, ब्रज माधव राय, उपेंद्र कुमार समेत कई स्वास्थ्य कर्मी मौजूद रहे.

गरखा में कम हुए कालाजार के केस
पिछले कुछ वर्षों से गरखा प्रखंड के कई गांवों में कालाजार के मरीजों में कमी आई हैं.

  • 2018 में 115 कालाजार के मरीज सामने आए.
  • 2019 में 73 मरीज मिले.
  • 2020 में घटकर मात्र 38 मरीज रह गए.

यह भी पढ़ें : किसानों के समर्थन में महागठबंधन का धरना, तेजस्वी बोले- मांगे जायज, हम उनके साथ मजबूती से खड़े

कालाजार को काला ज्वर भी कहा जाता है और एक गंभीर रोग है, जो की परजीवी से फैलता है. इसे एक धीमी गति से फैलने वाला स्थानीय रोग भी कहते हैं. इसका वायरस या परजीवी सीधे हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है. इसके साथ-साथ लीवर को भी क्षति पहुचाता है. भारत के कुछ पूर्वी राज्यों बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल में इस बीमारी से ग्रसित लोग अधिक हैं.

कालाजार के लक्षण

  • बार बार बुखार का आना या फिर शरीर में हमेशा हल्का बुखार बना रहना.
  • भूख और वजन में लगातार कमी होना.
  • लीवर का आकर सामान्य से बड़ा हो जाना.
  • त्वचा में खुजली, जलन, रैशेष या फिर सूखापन का होना.
  • कुछ रोगियों को कई बार इस बीमारी के साथ कोई अन्य बीमारी भी हो जाती है, जिससे इसके लक्षणों को पहचानना मुश्किल हो जाता है.

कैसे होता है कालाजार
मुख्य रूप से परजीवी लिश्मैनिया डोनोवानी के कारण होता है. इसका जीवन चक्र मनुष्यों और बालू मक्खी पर निर्भर करता है. यह परजीवी मनुष्यों के शरीर तथा वाहक बालू मक्खी में ही जीवित रहता है. कालाजार एक संक्रामक रोग भी है. यह एक इंसान से दूसरे इंसान में आसानी से फैलता है. कालाजार संक्रमित इंसान से दूर रहें या उसके पास जाए तो मास्क का इस्तेमाल करें.

कालाजार से बचाव
यह एक संक्रमण और परजीवी की वजह से फैलने वाला रोग है इसीलिए हमेशा अपने घर के आस पास और घर में सफाई रखें, जिससे आपको यह रोग नहीं फैलेगा और अगर यह है भी इसमें आराम मिलेगा.

कीटनाशक का छिडकाव
इसके लिए मिलने वाले कीटनाशक का छिडकाव पूरे घर में किया जाता है.

गिलोय का सेवन
गिलोय किसी पुराने से पुराने बुखार को भी खत्म कर देता है. इसीलिए रोजाना गिलोय की पत्तियों को पीसकर उसका रस बनाये और कालाजार से प्रभावित इंसान को पिलायें, जिससे धीरे धीरे बुखार जाने लगेगा और आराम मिलेगा.

संतरे का जूस
संतरे के जूस में शरीर में मौजूद किसी भी तरह के इन्फेक्शन को खत्म करने के गुण होते हैं. यह बुखार के समय भी काफी प्रभावी होता है.

छपरा (गरखा) : केंद्रीय स्वास्थ्य टीम सारण के गरखा प्रखंड स्थित समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण करने पहुंची. इस दौरान टीम ने कालाजार छिड़काव अभियान की जांच की. एनबीडीसीपी नेशनल कलेक्ट्रेट के डॉक्टर वी के रैना, सीएचएआई नई दिल्ली के डॉ. मैक डॉ दिलीप सिंह, डॉ. आदित्य कुमार ने चलाए जा रहे अभियान की विस्तृत जानकारी ली.

पिछले कुछ वर्षों में गरखा में कालाजार के मरीजों की संख्या में आई कमी को देख केंद्रीय टीम काफी खुश नजर आई. टीम ने इसके अलावा ओपीडी एवं अन्य बीमारी से दिखाने आए मरीजों से भी पूछताछ की और अस्पताल के सभी सुविधाओं के बारे में विस्तृत जानकारी ली. निरीक्षण के दौरान प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सर्वजीत कुमार, डॉ. मेहा कुमारी डॉ. शिखा लाल, डॉ. मंजू, डॉ. विजय कुमार, डॉ. पंकज अरण्य, डॉ. रुपेश पांडेय, मैनेजर राकेश सिंह, ब्रज माधव राय, उपेंद्र कुमार समेत कई स्वास्थ्य कर्मी मौजूद रहे.

गरखा में कम हुए कालाजार के केस
पिछले कुछ वर्षों से गरखा प्रखंड के कई गांवों में कालाजार के मरीजों में कमी आई हैं.

  • 2018 में 115 कालाजार के मरीज सामने आए.
  • 2019 में 73 मरीज मिले.
  • 2020 में घटकर मात्र 38 मरीज रह गए.

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कालाजार को काला ज्वर भी कहा जाता है और एक गंभीर रोग है, जो की परजीवी से फैलता है. इसे एक धीमी गति से फैलने वाला स्थानीय रोग भी कहते हैं. इसका वायरस या परजीवी सीधे हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है. इसके साथ-साथ लीवर को भी क्षति पहुचाता है. भारत के कुछ पूर्वी राज्यों बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल में इस बीमारी से ग्रसित लोग अधिक हैं.

कालाजार के लक्षण

  • बार बार बुखार का आना या फिर शरीर में हमेशा हल्का बुखार बना रहना.
  • भूख और वजन में लगातार कमी होना.
  • लीवर का आकर सामान्य से बड़ा हो जाना.
  • त्वचा में खुजली, जलन, रैशेष या फिर सूखापन का होना.
  • कुछ रोगियों को कई बार इस बीमारी के साथ कोई अन्य बीमारी भी हो जाती है, जिससे इसके लक्षणों को पहचानना मुश्किल हो जाता है.

कैसे होता है कालाजार
मुख्य रूप से परजीवी लिश्मैनिया डोनोवानी के कारण होता है. इसका जीवन चक्र मनुष्यों और बालू मक्खी पर निर्भर करता है. यह परजीवी मनुष्यों के शरीर तथा वाहक बालू मक्खी में ही जीवित रहता है. कालाजार एक संक्रामक रोग भी है. यह एक इंसान से दूसरे इंसान में आसानी से फैलता है. कालाजार संक्रमित इंसान से दूर रहें या उसके पास जाए तो मास्क का इस्तेमाल करें.

कालाजार से बचाव
यह एक संक्रमण और परजीवी की वजह से फैलने वाला रोग है इसीलिए हमेशा अपने घर के आस पास और घर में सफाई रखें, जिससे आपको यह रोग नहीं फैलेगा और अगर यह है भी इसमें आराम मिलेगा.

कीटनाशक का छिडकाव
इसके लिए मिलने वाले कीटनाशक का छिडकाव पूरे घर में किया जाता है.

गिलोय का सेवन
गिलोय किसी पुराने से पुराने बुखार को भी खत्म कर देता है. इसीलिए रोजाना गिलोय की पत्तियों को पीसकर उसका रस बनाये और कालाजार से प्रभावित इंसान को पिलायें, जिससे धीरे धीरे बुखार जाने लगेगा और आराम मिलेगा.

संतरे का जूस
संतरे के जूस में शरीर में मौजूद किसी भी तरह के इन्फेक्शन को खत्म करने के गुण होते हैं. यह बुखार के समय भी काफी प्रभावी होता है.

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