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दावोस: आंध्र प्रदेश के IT मंत्री नारा लोकेश ने कहा, H-1B वीजा नीति में बदलाव की संभावना नहीं - NARA LOKESH

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति का पदभार संभालने के बाद H-1B वीजा को लेकर चर्चा और तेज हो गई है.

Andhra Pradesh IT Minister Nara Lokesh at Davos
आंध्र प्रदेश के आईटी मंत्री नारा लोकेश (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 23, 2025, 9:37 AM IST

दावोस: विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक 2025 में आंध्र प्रदेश के आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री नारा लोकेश ने एच-1बी वीजा नीति और भारत पर इसके पड़ने वाले असर पर अपने विचार शेयर किए.

डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के तहत अमेरिकी इमिग्रेशन पॉलिसी के संभावित प्रभाव के बारे में चिंताओं को संबोधित करते हुए लोकेश ने एएनआई के साथ एक विशेष बातचीत में कहा, 'मुझे लगता है कि यह स्पष्ट है कि एच-1बी नीति में बदलाव नहीं किया जाएगा. हालांकि चुनाव पूर्व कुछ बयानबाजी हुई थी. लेकिन चुनाव के बाद मुझे लगता है कि चीजें बदल गई हैं. इस पर थोड़ी अधिक शांति है. हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा.'

एच-1बी वीजा एक गैर-आप्रवासी वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और वित्त जैसे विशेष क्षेत्रों में कुशल विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है. अमेरिका में रोजगार के अवसर तलाशने वाले भारतीय आईटी पेशेवरों द्वारा इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है.

लोकेश ने इस बात पर भी जोर दिया कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, आंध्र प्रदेश आईटी विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है. एक राज्य के रूप में हम अपने देश में अवसर प्रदान कर रहे हैं. कई वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) हमारी आईटी राजधानी विशाखापत्तनम में निवेश की घोषणा करने की योजना बना रहे हैं. अगले दो वर्षों में हमारा लक्ष्य आंध्र प्रदेश को एक अग्रणी आईटी गंतव्य के रूप में स्थापित करना है.'

उन्होंने भारत की आर्थिक क्षमता के बारे में भी आशा व्यक्त करते हुए कहा, 'मुझे सच में विश्वास है कि यदि सभी राज्य प्रभावी रूप से योगदान दें तो भारत दोहरे अंकों की वृद्धि हासिल कर सकता है. 2047 तक प्रधानमंत्री के 'विकसित भारत' के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए यह आवश्यक है.'

विश्व आर्थिक मंच जैसे प्लेटफॉर्म के महत्व पर प्रकाश डालते हुए लोकेश ने कहा कि भारत ने विश्व नेताओं को आकर्षित करने के लिए सफलतापूर्वक वैश्विक कार्यक्रम आयोजित किए हैं और दावोस हमारे देश की क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करता है. हालांकि दावोस के साथ प्रतिस्पर्धा करने की कोई आवश्यकता नहीं है. भारत अपनी प्रतिभा अवसरों और समृद्ध संस्कृति को दुनिया के सामने पेश करने के लिए इसी तरह के आयोजनों की मेजबानी कर सकता है.

उन्होंने कहा, 'प्रतिस्पर्धा करने की कोई आवश्यकता नहीं है, बल्कि हम वास्तव में अपने महान राष्ट्र में विभिन्न अन्य कार्यक्रमों की मेजबानी कर सकते हैं. इस तरह हम न केवल अपनी प्रतिभा न केवल अवसर के क्षेत्रों को प्रदर्शित कर सकते हैं, बल्कि वास्तव में हमारे अद्भुत देश भारत की संस्कृति को भी प्रदर्शित कर सकते हैं.'

ये भी पढ़ें- दावोस बैठक में वैश्विक नेताओं से विश्वास की बहाली पर जोर देने की अपील

दावोस: विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक 2025 में आंध्र प्रदेश के आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री नारा लोकेश ने एच-1बी वीजा नीति और भारत पर इसके पड़ने वाले असर पर अपने विचार शेयर किए.

डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के तहत अमेरिकी इमिग्रेशन पॉलिसी के संभावित प्रभाव के बारे में चिंताओं को संबोधित करते हुए लोकेश ने एएनआई के साथ एक विशेष बातचीत में कहा, 'मुझे लगता है कि यह स्पष्ट है कि एच-1बी नीति में बदलाव नहीं किया जाएगा. हालांकि चुनाव पूर्व कुछ बयानबाजी हुई थी. लेकिन चुनाव के बाद मुझे लगता है कि चीजें बदल गई हैं. इस पर थोड़ी अधिक शांति है. हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा.'

एच-1बी वीजा एक गैर-आप्रवासी वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और वित्त जैसे विशेष क्षेत्रों में कुशल विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है. अमेरिका में रोजगार के अवसर तलाशने वाले भारतीय आईटी पेशेवरों द्वारा इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है.

लोकेश ने इस बात पर भी जोर दिया कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, आंध्र प्रदेश आईटी विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है. एक राज्य के रूप में हम अपने देश में अवसर प्रदान कर रहे हैं. कई वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) हमारी आईटी राजधानी विशाखापत्तनम में निवेश की घोषणा करने की योजना बना रहे हैं. अगले दो वर्षों में हमारा लक्ष्य आंध्र प्रदेश को एक अग्रणी आईटी गंतव्य के रूप में स्थापित करना है.'

उन्होंने भारत की आर्थिक क्षमता के बारे में भी आशा व्यक्त करते हुए कहा, 'मुझे सच में विश्वास है कि यदि सभी राज्य प्रभावी रूप से योगदान दें तो भारत दोहरे अंकों की वृद्धि हासिल कर सकता है. 2047 तक प्रधानमंत्री के 'विकसित भारत' के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए यह आवश्यक है.'

विश्व आर्थिक मंच जैसे प्लेटफॉर्म के महत्व पर प्रकाश डालते हुए लोकेश ने कहा कि भारत ने विश्व नेताओं को आकर्षित करने के लिए सफलतापूर्वक वैश्विक कार्यक्रम आयोजित किए हैं और दावोस हमारे देश की क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करता है. हालांकि दावोस के साथ प्रतिस्पर्धा करने की कोई आवश्यकता नहीं है. भारत अपनी प्रतिभा अवसरों और समृद्ध संस्कृति को दुनिया के सामने पेश करने के लिए इसी तरह के आयोजनों की मेजबानी कर सकता है.

उन्होंने कहा, 'प्रतिस्पर्धा करने की कोई आवश्यकता नहीं है, बल्कि हम वास्तव में अपने महान राष्ट्र में विभिन्न अन्य कार्यक्रमों की मेजबानी कर सकते हैं. इस तरह हम न केवल अपनी प्रतिभा न केवल अवसर के क्षेत्रों को प्रदर्शित कर सकते हैं, बल्कि वास्तव में हमारे अद्भुत देश भारत की संस्कृति को भी प्रदर्शित कर सकते हैं.'

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