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समस्तीपुर: इन दो कमरों में चलते हैं 2 स्कूल, पढ़ाई वाले कमरे में ही बनता है MDM

यहां दो कमरों में 2 विद्यालयों का संचालन होता है. एक कमरे में क्लास 1 से लेकर 5 तक के बच्चे पढ़ते हैं और दूसरे कमरे में दूसरे स्कूल के बच्चे पढ़ते हैं. इसके साथ ही विद्यालय का सामान भी उसी रूम के अंदर रखा जाता है

समस्तीपुर में दो कमरों का है सरकारी विद्यालय
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Published : Sep 1, 2019, 12:22 PM IST

समस्तीपुर: बिहार के सरकारी स्कूलों में सर्व शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं. लेकिन समस्तीपुर प्रखंड में चल रहे सरकारी स्कूल ने अपनी हैरान कर देने वाली व्यवस्था सामने लाकर शिक्षा विभाग पर सवाल खड़ा कर दिया है. इस व्यवस्था का खामियाजा यहां पढ़ने वाले मासूम बच्चे भुगत रहे हैं.

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बच्चों के पीछे बनाया जा रहा MDM

दो कमरे में 2 विद्यालयों का होता है संचालन
जिले का राजकीय प्राथमिक विद्यालय और राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को विवश है. दरअसल यहां दो कमरे में 2 विद्यालयों का संचालन होता है. एक कमरे में क्लास 1 से लेकर 5 तक के बच्चे पढ़ते हैं और दूसरे कमरे में दूसरे स्कूल के बच्चे पढ़ते हैं. इसके साथ ही विद्यालय का सामान भी उसी रूम के अंदर रखा जाता है और साथ ही मध्यान भोजन का खाना भी ठीक बच्चों के पीछे गैस पर बनाया जाता है. कभी थोड़ी सी भी असावधानी होने से इन मासूम बच्चों की जान जा सकती है.

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कुमारी प्रतिभा, शिक्षिका

विद्यालय में ना शौचालय है ना पानी की व्यवस्था है
वहीं जब इसके बारे में विद्यालय प्रबंधन से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी शिक्षा विभाग को लगातार दी जा रही है. लेकिन विभाग के अधिकारी कभी इन मासूम बच्चों के दर्द को सुनने के लिए तैयार नहीं हुए. जिसकी वजह से इसी व्यवस्था से समझौता कर बच्चों को पढ़ाना पड़ता है. लेकिन पढ़ाई से ज्यादा बच्चों के सुरक्षा का ध्यान रखना पड़ता है. इतना ही नहीं इस विद्यालय में ना शौचालय है और ना ही पीने के लिए पानी की व्यवस्था है. जबकि सरकार सात निश्चय योजना और स्वच्छ भारत अभियान के तहत घर-घर पानी और शौचालय दे रही है. लेकिन शहर के बीचों-बीच चलने वाले इस स्कूल में ना तो पीने का पानी है और ना शौचालय है.

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खुशी कुमारी, छात्रा

सरकार से भवन और व्यवस्था की मांग कर रहे बच्चे
वहीं यहां पढ़ने वाली छात्रा अन्नू कुमारी, खुशी कुमारी और रानी कुमारी का कहना है कि हम लोगों को पढ़ने में काफी परेशानी होती है. उन्होंने कहा कि पढ़ाई से ज्यादा हम लोगों को अपनी जान का खतरा बना रहता है. हालांकि ये सभी बच्चे सरकार से भवन और व्यवस्था की मांग कर रहे हैं. यहां पढ़ाने वाली शिक्षिका कुमारी प्रतिभा और शिक्षक राजू रजक का कहना है कि इस विद्यालय के व्यवस्था के बारे में बार-बार विभाग को लिखित आवेदन दिया जाता रहा है. लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी इन बच्चों की दुर्दशा को देखने के लिए आज तक नहीं आए हैं. जिसके कारण हम लोग इसी बदहाल व्यवस्था और मौत के साए में बच्चों को पढ़ाने के लिए विवश हैं.

समस्तीपुर में दो कमरों में 2 विद्यालयों का होता है संचालन

जिला शिक्षा पदाधिकारी ने दिया जांच का निर्देश
वहीं इस मामले पर ईटीवी भारत की टीम ने जिला शिक्षा पदाधिकारी वीरेंद्र नारायण को बताया, तो उन्होंने आनन-फानन में कर्मी को बुलाकर तुरंत इस विद्यालय की जांच करवा कर व्यवस्था को सही करने का निर्देश दिया. लेकिन हैरत की बात यह है कि विगत कई सालों से इसी मौत के साए और बदहाल व्यवस्था में पढ़ने वाले नौनिहालों की सुध आज तक क्यों नहीं ली गई.

समस्तीपुर: बिहार के सरकारी स्कूलों में सर्व शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं. लेकिन समस्तीपुर प्रखंड में चल रहे सरकारी स्कूल ने अपनी हैरान कर देने वाली व्यवस्था सामने लाकर शिक्षा विभाग पर सवाल खड़ा कर दिया है. इस व्यवस्था का खामियाजा यहां पढ़ने वाले मासूम बच्चे भुगत रहे हैं.

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बच्चों के पीछे बनाया जा रहा MDM

दो कमरे में 2 विद्यालयों का होता है संचालन
जिले का राजकीय प्राथमिक विद्यालय और राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को विवश है. दरअसल यहां दो कमरे में 2 विद्यालयों का संचालन होता है. एक कमरे में क्लास 1 से लेकर 5 तक के बच्चे पढ़ते हैं और दूसरे कमरे में दूसरे स्कूल के बच्चे पढ़ते हैं. इसके साथ ही विद्यालय का सामान भी उसी रूम के अंदर रखा जाता है और साथ ही मध्यान भोजन का खाना भी ठीक बच्चों के पीछे गैस पर बनाया जाता है. कभी थोड़ी सी भी असावधानी होने से इन मासूम बच्चों की जान जा सकती है.

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कुमारी प्रतिभा, शिक्षिका

विद्यालय में ना शौचालय है ना पानी की व्यवस्था है
वहीं जब इसके बारे में विद्यालय प्रबंधन से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी शिक्षा विभाग को लगातार दी जा रही है. लेकिन विभाग के अधिकारी कभी इन मासूम बच्चों के दर्द को सुनने के लिए तैयार नहीं हुए. जिसकी वजह से इसी व्यवस्था से समझौता कर बच्चों को पढ़ाना पड़ता है. लेकिन पढ़ाई से ज्यादा बच्चों के सुरक्षा का ध्यान रखना पड़ता है. इतना ही नहीं इस विद्यालय में ना शौचालय है और ना ही पीने के लिए पानी की व्यवस्था है. जबकि सरकार सात निश्चय योजना और स्वच्छ भारत अभियान के तहत घर-घर पानी और शौचालय दे रही है. लेकिन शहर के बीचों-बीच चलने वाले इस स्कूल में ना तो पीने का पानी है और ना शौचालय है.

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खुशी कुमारी, छात्रा

सरकार से भवन और व्यवस्था की मांग कर रहे बच्चे
वहीं यहां पढ़ने वाली छात्रा अन्नू कुमारी, खुशी कुमारी और रानी कुमारी का कहना है कि हम लोगों को पढ़ने में काफी परेशानी होती है. उन्होंने कहा कि पढ़ाई से ज्यादा हम लोगों को अपनी जान का खतरा बना रहता है. हालांकि ये सभी बच्चे सरकार से भवन और व्यवस्था की मांग कर रहे हैं. यहां पढ़ाने वाली शिक्षिका कुमारी प्रतिभा और शिक्षक राजू रजक का कहना है कि इस विद्यालय के व्यवस्था के बारे में बार-बार विभाग को लिखित आवेदन दिया जाता रहा है. लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी इन बच्चों की दुर्दशा को देखने के लिए आज तक नहीं आए हैं. जिसके कारण हम लोग इसी बदहाल व्यवस्था और मौत के साए में बच्चों को पढ़ाने के लिए विवश हैं.

समस्तीपुर में दो कमरों में 2 विद्यालयों का होता है संचालन

जिला शिक्षा पदाधिकारी ने दिया जांच का निर्देश
वहीं इस मामले पर ईटीवी भारत की टीम ने जिला शिक्षा पदाधिकारी वीरेंद्र नारायण को बताया, तो उन्होंने आनन-फानन में कर्मी को बुलाकर तुरंत इस विद्यालय की जांच करवा कर व्यवस्था को सही करने का निर्देश दिया. लेकिन हैरत की बात यह है कि विगत कई सालों से इसी मौत के साए और बदहाल व्यवस्था में पढ़ने वाले नौनिहालों की सुध आज तक क्यों नहीं ली गई.

Intro:एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

समस्तीपुर बिहार के सरकारी स्कूलों में सर्व शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे है ।लेकिन समस्तीपुर प्रखंड में चल रहे सरकारी स्कूल अपनी हैरान कर देने वाली व्यवस्था सामने लाकर शिक्षा विभाग के व्यवस्था की कलई खोल दिया है ।इस व्यवस्था का खामियाजा यहां पढ़ने वाले मासूम बच्चे भुगत रहे हैं। यहां पढ़ने वाले मासूम बच्चे को कभी भी मिल सकती है मौत की सौगात।


Body:यहां पढ़ने वाले बच्चे पर है मौत का पहरा ।रूम के अंदर अंधेरा जानवरों सा नजारा भेड़ बकरी के तरह बैठे बच्चे राजकीय प्राथमिक विद्यालय चीनी मिल एवं राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय मोती नगर विद्यालय की है ।शिक्षा विभाग के लापरवाही के कारण यह विद्यालय अपने दुर्दशा पर आंसू बहाने को विवश है। मैं आपको बता दूं कि दो कमरे में 2 विद्यालयों का संचालन होता है। वह भी क्लास 1 से लेकर 5 तक एक कमरे में एक स्कूल के बच्चे ।दूसरे कमरे में दूसरे स्कूल के बच्चे
दो कमरे में 2 स्कूलों का संचालन किया जाता है।जिसमे डेड सौ बच्चे पढ़ते है।
सबसे हैरत की बात यह है कि विद्यालय का सामान भी उसी रूम के अंदर रखा जाता है ।और साथ ही मध्यान भोजन का खाना भी ठीक बच्चे के पीछे गैस पर बनाया जाता है ।कभी थोड़ी सी असावधानी होने के बाद जा सकती है इस मासूम बच्चे की जान। वहीं जब इसके बारे में हमने विद्यालय प्रबंधन से पूछा तो उनका बताना है ।की इसकी जानकारी शिक्षा विभाग को लगातार दी जा रही है ।लेकिन विभाग के अधिकारियों ने कभी इस मासूम बच्चे के दर्द को सुनने के लिए तैयार नहीं हुआ । नतीजा इसी व्यवस्था से समझौता कर बच्चों को पढ़ाना पड़ता है ।लेकिन पढ़ाई से ज्यादा बच्चों के सुरक्षा का ध्यान रखना पड़ता है ।आगे मैं आपको बता दो इस विद्यालय में ना शौचालय है और ना ही पीने के लिए पानी का व्यवस्था है ।जबकि सरकार सात निश्चय योजना और स्वच्छ भारत अभियान के तहत घर-घर पानी और शौचालय दे रही है ।लेकिन शहर के बीचो बीच चलने वाली इस स्कूल में ना तो पीने का पानी है और ना शौचालय है ।उसका भी खामियाजा यहां पढ़ने वाले बच्चों को भुगतना पड़ता है

वही यहां पढ़ने वाले बच्ची अन्नू कुमारी खुशी कुमारी और रानी कुमारी का बताना है।

हम लोगों को पढ़ने में काफी परेशानी होती है ।और पढ़ाई से ज्यादा हम लोगों को अपनी जान का डर रहता है ।हालांकि ये सभी बच्चे सरकार से भवन और व्यवस्था की मांग कर रहे है।

साथ ही यहां पढ़ाने वाली शिक्षिका कुमारी प्रतिभा एवं शिक्षक राजू रजक का बताना है ।कि इस विद्यालय के व्यवस्था के बारे में बार-बार विभाग को लिखित आवेदन दिया जाता रहा। लेकिन कुंभकर्ण की निद्रा वाली शिक्षा विभाग के अधिकारियों के द्वारा इस बच्चे की दुर्दशा को देखने के लिए आज तक नहीं आए। जिसके कारण हम लोग इसी बदहाल व्यवस्था और मौत के साए में बच्चे को पढ़ाने को विवश हैं ।
इन्हें भी चिंता लगी रहती है कि थोड़ी सी असावधानी होने पर जा सकती है इन बच्चों की जान।


Conclusion:वहीं इस मामले पर ईटीवी टीम ने जिला शिक्षा पदाधिकारी वीरेंद्र नारायण के पास जाकर इस विद्यालय की दर्द भरी दास्तां से रूबरू कराया तो ।उन्होंने आनन-फानन में कर्मी को बुलाकर तुरंत ही इस विद्यालय की जांच करवा कर व्यवस्था को सही करने का बात बताया ।लेकिन हैरत की बात यह है कि विगत कई सालों से इसी मौत के साए और बदहाल व्यवस्था में पढ़ने वाले नौनिहालों की सुध आज तक क्यों नहीं ली गई ।यह एक सवालिया निशान है ।लेकिन अब देखना लाजमी है की जिला शिक्षा अधिकारी के आंखों और कानों तक विद्यालय की व्यवस्था पहुंचने के बाद कब तक इस विद्यालय के व्यवस्था को सुधार कर पढ़ने वाले नौनिहालों की अच्छी व्यवस्था दी जाती है।

बाईट:अन्नू कुमारी ,ख़ुर्शी कुमारी,रानी कुमारी छात्रा
बाईट: राजू रजक शिक्षक
बाईट:कुमारी प्रतिभा शिक्षक
बाईट: बीरेंद्र नारायण जिलाशिक्षा पदाधिकारी
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