समस्तीपुर: बिहार के सरकारी स्कूलों में सर्व शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं. लेकिन समस्तीपुर प्रखंड में चल रहे सरकारी स्कूल ने अपनी हैरान कर देने वाली व्यवस्था सामने लाकर शिक्षा विभाग पर सवाल खड़ा कर दिया है. इस व्यवस्था का खामियाजा यहां पढ़ने वाले मासूम बच्चे भुगत रहे हैं.
दो कमरे में 2 विद्यालयों का होता है संचालन
जिले का राजकीय प्राथमिक विद्यालय और राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को विवश है. दरअसल यहां दो कमरे में 2 विद्यालयों का संचालन होता है. एक कमरे में क्लास 1 से लेकर 5 तक के बच्चे पढ़ते हैं और दूसरे कमरे में दूसरे स्कूल के बच्चे पढ़ते हैं. इसके साथ ही विद्यालय का सामान भी उसी रूम के अंदर रखा जाता है और साथ ही मध्यान भोजन का खाना भी ठीक बच्चों के पीछे गैस पर बनाया जाता है. कभी थोड़ी सी भी असावधानी होने से इन मासूम बच्चों की जान जा सकती है.
विद्यालय में ना शौचालय है ना पानी की व्यवस्था है
वहीं जब इसके बारे में विद्यालय प्रबंधन से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी शिक्षा विभाग को लगातार दी जा रही है. लेकिन विभाग के अधिकारी कभी इन मासूम बच्चों के दर्द को सुनने के लिए तैयार नहीं हुए. जिसकी वजह से इसी व्यवस्था से समझौता कर बच्चों को पढ़ाना पड़ता है. लेकिन पढ़ाई से ज्यादा बच्चों के सुरक्षा का ध्यान रखना पड़ता है. इतना ही नहीं इस विद्यालय में ना शौचालय है और ना ही पीने के लिए पानी की व्यवस्था है. जबकि सरकार सात निश्चय योजना और स्वच्छ भारत अभियान के तहत घर-घर पानी और शौचालय दे रही है. लेकिन शहर के बीचों-बीच चलने वाले इस स्कूल में ना तो पीने का पानी है और ना शौचालय है.
सरकार से भवन और व्यवस्था की मांग कर रहे बच्चे
वहीं यहां पढ़ने वाली छात्रा अन्नू कुमारी, खुशी कुमारी और रानी कुमारी का कहना है कि हम लोगों को पढ़ने में काफी परेशानी होती है. उन्होंने कहा कि पढ़ाई से ज्यादा हम लोगों को अपनी जान का खतरा बना रहता है. हालांकि ये सभी बच्चे सरकार से भवन और व्यवस्था की मांग कर रहे हैं. यहां पढ़ाने वाली शिक्षिका कुमारी प्रतिभा और शिक्षक राजू रजक का कहना है कि इस विद्यालय के व्यवस्था के बारे में बार-बार विभाग को लिखित आवेदन दिया जाता रहा है. लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी इन बच्चों की दुर्दशा को देखने के लिए आज तक नहीं आए हैं. जिसके कारण हम लोग इसी बदहाल व्यवस्था और मौत के साए में बच्चों को पढ़ाने के लिए विवश हैं.
जिला शिक्षा पदाधिकारी ने दिया जांच का निर्देश
वहीं इस मामले पर ईटीवी भारत की टीम ने जिला शिक्षा पदाधिकारी वीरेंद्र नारायण को बताया, तो उन्होंने आनन-फानन में कर्मी को बुलाकर तुरंत इस विद्यालय की जांच करवा कर व्यवस्था को सही करने का निर्देश दिया. लेकिन हैरत की बात यह है कि विगत कई सालों से इसी मौत के साए और बदहाल व्यवस्था में पढ़ने वाले नौनिहालों की सुध आज तक क्यों नहीं ली गई.