रोहतास: नीतीश सरकार प्रदेश में 'हर घर, नल से जल' आपूर्ति का दावा करती है. लेकिन राज्य में कुछ ऐसी तस्वीर है जो इन सरकारी दावों की पोल खोलता है. सरकारी घोषणाओं से इतर योजनाओं की जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है. रोहतास के डेहरी प्रखंड के हालात सरकार को मुंह चिढ़ाती है, जहां 21वीं सदी में भी लोग नहर का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं.
जिला मुख्यालय से तकरीबन चालीस किलोमीटर दूर डेहरी प्रखंड के पटनवा टोला में पीने के पानी के लिए लोग दर-दर भटक रहे हैं. रोहतास का कुछ भाग पहाड़ियों के बिल्कुल करीब है. ऐसे में इस इलाके में शुरुआती गर्मी में ही लोगों को इस बात का एहसास होने लगता है कि यहां गर्मी अधिक पड़ेगी. इसकी मुख्य वजह पहाड़ी क्षेत्र है. बता दें कि ये पूरा गांव आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के अंतर्गत आता है. लिहाजा यहां किसी के घरों में नल नहीं है और सरकार को इसकी सुध तक नहीं है.
नहर का पानी पीते हैं लोग
गर्मी के शुरुआती दिनों में ही इस गांव में पानी की किल्लत ने लोगों को नहर का रास्ता दिखा दिया है. लोग अपने जरूरतों को पूरा करने के लिए गांव से काफी दूर नहर में जाकर पीने का पानी लाते हैं. हालांकि नहर का पानी पूरी तरह से दूषित हो चुका है. ऐसे में ग्रामीण अपनी जान को जोखिम में डालकर नहर का गंदा पानी पीने के लिए मजबूर हैं. इतना ही नहीं यह नहर का पानी इन लोगों के लिए अमृत जैसा है. क्योंकि इसी नहर के पानी से वे लोग खाना तक बनाते हैं और इसी नहर के पानी से नहाते भी हैं.
नहीं आते हैं कभी सांसद, विधायक
यहां के लोग रोजमर्रा की तमाम कार्य इसी नहर के गंदे पानी से करते हैं. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर इन गांव वाले के मुसीबतों का हाल कौन सुनेगा. क्योंकि यहां ना तो कभी सांसद आते हैं और ना ही विधायक ही आते हैं. यहां के नेता और जनप्रतिनिधि को अपने क्षेत्र के लोगों की जरा भी परवाह नहीं है. ऐसे में आदिवासी बस्ती में रहने वाले लोग बदतर जिंदगी जीने को मजबूर हैं. बहरहाल शुरूआती गर्मी में ही यह आलम है तो अभी पूरा मई और जून का महीना बाकी है. ऐसे में जब नहर का पानी पूरी तरह से सूख जाएगा तो आखिर ये लोग कहां से पानी लाएंगे.