पूर्णिया(गणेशपुर): कोरोना महामारी का व्यापक प्रभाव आम जन-जीवन पर पड़ा है. लॉकडाउन और संक्रमण के भय के कारण लोग घरों में कैद हैं. सरकार ने सभी शिक्षण संस्थानों को पूरी तरह से बंद करने का आदेश जारी किया है. इस आदेश के बाद से सभी स्कूल-कॉलेज महीनों से बंद पड़े हुए हैं. ऐसे में छात्र-छात्राओं की जगह पशु विद्यालय परिसर में नजर आ रहे हैं.
दरअसल, लॉकडाउन के दौरान जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर स्थित गणेशपुर मध्य विद्यालय का उपयोग पूरी तरह से बंद हो गया. ऐसे में पशुओं ने यहां डेरा डाल रखा है. आलम यह है कि कुछ ग्रामीणों ने विद्यालय प्रांगण में पशुओं के खूंटे बांध दिए हैं.
चारों ओर नजर आती है गंदगी
इस विद्यालय में आजकल चारों ओर गंदगी का अंबार नजर आ रहा है. हर ओर चारे से भरा नाद और गोबर का ढेर दिखाई पड़ता है. प्रशासन की अनदेखी के कारण 3 बार के मुख्यमंत्री रहे भोला पासवान शास्त्री के गांव का यह स्कूल बदहाल होता जा रहा है. ऐसा भी नहीं है कि काझा गणेशपुर में बाढ़ आई हो, जिस कारण ग्रामीणों ने इसे पशुओं की शरणस्थली बनाई हो.
क्या कहते हैं ग्रामीण?
ग्रामीण कहते हैं कि लॉकडाउन के बाद से जैसे ही पठन-पाठन बाधित हुआ और बच्चों के साथ शिक्षकों का भी आना बंद हो गया. जिसके बाद विद्यालय को लावारिस समझकर कुछ ग्रामीणों ने विद्यालय प्रांगण को गौशाला बना दिया. जहां 2 दर्जन से अधिक दुधारू पशु हैं. इनमें भैंस, गाय और बकरियां शामिल हैं.
सांपों ने विद्यालय को बनाया ठिकाना
इतना ही नहीं विद्यालय प्रबंधन की देख-रेख की कमी के कारण विद्यालय प्रांगण को मक्का सुखाने के काम में लाया जा रहा है. नाराज ग्रामीण कहते हैं कि विद्यालय परिसर से गुजरने पर भी घुटन सी होने लगती है. पशुओं के मल और मूत्र ने विद्यालय प्रांगण, कक्षा और उसके आस-पास बसे घरों में दुर्गंध फैला रखा है. कुव्यवस्थाओं का आलम यह है कि विद्यालय परिसर की मिट्टी भी बारिश शुरू होते ही कटती जा रही है. वहीं शौचालय, किचन और सीढ़ियों वाले भाग में बड़े जंगल-झाड़ निकल आए हैं. नतीजतन जहरीले सांप और बिच्छूओं ने इसे अपना घर बना लिया है.
बाउंड्री वॉल बन जाने से होगी सहूलियत
ग्रामीण कहते हैं कि विद्यालय प्रबंधन की देख-रेख की कमी के कारण कभी स्वच्छ और सुंदर सा दिखने वाला यह विद्यालय अब बदहाल स्थिति में है. इसका एक बड़ा कारण विद्यालय का चौतरफा बाउंड्री वॉल न होना है. लोगों की मानें को बाउंड्री वॉल बन जाने से स्थिति बदल सकती है. लेकिन प्रशासन बेसुध पड़ा हुआ है.