ETV Bharat / state

पूर्णिया: शहरी इलाकों में भी घुसा बाढ़ का पानी, 'जुगाड़' के सहारे रेंग रही है लोगों की जिंदगी

लोगों ने बताया कि उनके घर में पानी घुसा हुआ है. 2 दिनों से बिस्कुट खाकर जिंदा है. प्रशासन द्वारा कोई नाव की सुविधा नहीं मिली.

author img

By

Published : Jul 20, 2019, 12:55 PM IST

थर्मोकोल की नाव

पूर्णिया: जिले के बायसी अनुमंडल में इस बार परमान नदी का पानी कई पंचायत सहित शहरों में भी घुस आया है. लोगों का घर से निकलना भी दूभर है. बाढ़ के सैलाब को पार करने के लिए लोगों को नाव की सुविधा भी नहीं मिल रही. जिसके कारण लोगों को थर्मोकोल और केले के थम से नाव बनाकर इस्तेमाल करना पड़ रहा है.

थर्मोकोल के नाव पर सैलाब पार करते लोग
जब ईटीवी भारत की टीम नाव की पड़ताल पर निकली तो अनुमंडल कार्यालय के सामने लोगों को थर्मोकोल के बने नाव पर सैलाब पार करते देखा. नाव निर्माता ने बताया कि उनके घर में पानी घुसा हुआ है. 2 दिनों से बिस्कुट खाकर जिंदा है. प्रशासन द्वारा कोई नाव की सुविधा नहीं मिली. अंत में उसने बाजार से 500 रुपये का थर्मोकोल खरीदकर खुद से ही नाव बनाया.

थर्मोकोल और केले के थम का नाव इस्तेमाल करते लोग

प्रशासन की ओर से एक भी नाव की व्यवस्था नहीं
लोगों ने बताया कि नाव को लेकर बाढ़ से पहले हीं जिला प्रशासन की ओर से दावा किया गया था. बरसात व नेपाल की ओर से जारी अलर्ट को देखते हुए लोगों ने इस बार अधिक नाव की मांग की थी. बावजूद इसके एक भी नाव की व्यवस्था नहीं की गई.

पूर्णिया: जिले के बायसी अनुमंडल में इस बार परमान नदी का पानी कई पंचायत सहित शहरों में भी घुस आया है. लोगों का घर से निकलना भी दूभर है. बाढ़ के सैलाब को पार करने के लिए लोगों को नाव की सुविधा भी नहीं मिल रही. जिसके कारण लोगों को थर्मोकोल और केले के थम से नाव बनाकर इस्तेमाल करना पड़ रहा है.

थर्मोकोल के नाव पर सैलाब पार करते लोग
जब ईटीवी भारत की टीम नाव की पड़ताल पर निकली तो अनुमंडल कार्यालय के सामने लोगों को थर्मोकोल के बने नाव पर सैलाब पार करते देखा. नाव निर्माता ने बताया कि उनके घर में पानी घुसा हुआ है. 2 दिनों से बिस्कुट खाकर जिंदा है. प्रशासन द्वारा कोई नाव की सुविधा नहीं मिली. अंत में उसने बाजार से 500 रुपये का थर्मोकोल खरीदकर खुद से ही नाव बनाया.

थर्मोकोल और केले के थम का नाव इस्तेमाल करते लोग

प्रशासन की ओर से एक भी नाव की व्यवस्था नहीं
लोगों ने बताया कि नाव को लेकर बाढ़ से पहले हीं जिला प्रशासन की ओर से दावा किया गया था. बरसात व नेपाल की ओर से जारी अलर्ट को देखते हुए लोगों ने इस बार अधिक नाव की मांग की थी. बावजूद इसके एक भी नाव की व्यवस्था नहीं की गई.

Intro:आकाश कुमार (पूर्णिया)
exclusive


बाढ़ से बेहाल बिहार के पूर्णिया जिले से एक हैरान करने वाली तस्वीर सामने आई है। दरअसल सरकारी अमला व्यवस्थाओं की दुरुस्ती में किस कदर फेल है। जिला मुख्यालय के ठीक सामने सैलाब के पानी में तैरते फोम के नावों ने खोल दी है। जहां जान जोखिम में डाल लोग फोम और केले के थम के नाव के सहारे
सैलाब का पानी में आने-जाने को मजबूर हैं। यह तस्वीरें इसलिए भी हैरान करने वाली हैं क्योंकि यह सबकुछ अनुमंडल कार्यालय के सामने चल रहा है। और अफसरों के कान में जू तक नहीं रेंग रहा।


Body:दरअसल ईटीवी भारत की टीम आज जैसे ही बायसी जिला मुख्यालय नाव की सुविधाओं का जायजा लेने पहुंची। ईटीवी के कैमरे में सैलाब का पानी पार करते बाढ़ पीड़ितों की एक ऐसी एक्सक्लुसिव तस्वीर ईटीवी के कैमरे में कैद हुई। जो सरकार और उसके पंगु सिस्टम पर गहरे सवाल खड़े करती है।


आखिर क्यों फोम के नाव के भरोसे बैठा है पूर्णिया...


दरअसल बायसी अनुमंडल में इस बार परमान की लहरों ने ऐसा रौद्र रूप लिया कि सैकड़ों पंचायत समेत सैलाब की प्रचंड धाराएं शहरों के रिहायशी इलाके तक घुस आईं। और लोगों का घर से निकलना तक दूभर हो गया। लिहाजा लाख उपायों के बाद भी जब जिले के लोगों को नाव की सुविधा नहीं मिल सकी। थक हारकर लोगों ने फोम और केले के थम को ही कामचलाऊ नाव की शक्ल दे डाली। जान जोखिम में फोम और केले के थम के नाव के भरोसे ही सैलाब के पानी में आने-जाने को मजबूर हैं।


फोम पर शहर ,सवालों में सरकारी अमला....


लिहाजा ईटीवी भारत की टीम जब नाव के पड़ताल पर निकली
तो कोसों दूर-दूर तक कोई नाव नजर नहीं आया। सामने आई तो बायसी अनुमंडल कार्यालय के ठीक सामने से आई ऐसी तस्वीर जिसने सरकार और सरकारी अमले की तैयारी को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया। ताज्जुब करती इन तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि आखिर किस तरह सैलाब के पानी में लबालब डूबे बायसी प्रखण्ड कार्यालय से लगे शहरी इलाके के लोगफोम और केले के थम का नाव बनाकर जलमग्न इलाके को किसी तरह पार कर रहे हैं। जो इनकी मजबूरी है।



कुछ ने फोम तो कुछ ने केले के थम को बनाया अपना सहारा...

इस बाबत प्रशासन के सुस्त रवैये से नाराज लोगों ने बताया कि नाव को लेकर बाढ़ पूर्व जिला प्रशासन की ओर दावे पर दावे किए जा रहे थे। वहीं एहतियातन बरसात व नेपाल की ओर से जारी अलर्ट को देखते हुए लोगों ने इस बार अधिक नाव की मांग की थी। मगर बावजूद इसके जिला प्रशासन के कान में जू तक नहीं रेंगा। नतीजन लोगों ने खुद ही बाजार से 500 रुपये तक आने वाली फोम के गद्दे को नाव की शक्ल दे डाली। तो वहीं कुछ ने केले के थम को अपना सहारा बनाया लिया।




बहरहाल सरकारी दावों में कितनी सच्चाई है। बायसी अनुमंडल के ठीक सामने से आई फोम और केले के थम से बने नावों के भरोसे सैलाब का पानी पार कर रहे लोगों ने साफ कर दी है।


Conclusion:थर्मोकोल नाव निर्माणकर्ता बाईट- खगेश यादव , बायसी
बाईट-अन्य
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.