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यहां राख से होली खेलते हैं लोग, भगवान नरसिंह ने अवतार लेकर बचाई थी प्रह्लाद की जान

श्रद्धालुओं का कहना है कि भगवान नरसिंह मंदिर में सभी मन्नतें पूरी हो जाती है. मान्यताएं ऐसी है कि होली के दिन इस मंदिर में धूड़खेल मनाने वालों की मुरादें सीधे भगवान नरसिंह के कानों तक पहुंचती है.

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Published : Mar 6, 2020, 7:06 AM IST

पूर्णिया
पूर्णिया

पूर्णिया: पूरे प्रदेश में होली को लेकर उत्साह है. होली मनाने के पीछे एक प्राचीन कथा है. होलिका दहन से संबंधित प्राचीन मान्यताएं यहां से भी जुड़ी हुई है. लोगों का मानना है कि भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए भगवान नरसिंह यहीं अवतार लिए थे. तभी तो धरहरा गांव में मंदिर में दर्शन करने के लिए दूर- दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं.

जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर बनमनखी प्रखंड स्थित धरहरा गांव में एक प्राचीन मंदिर है. पौराणिक कथाओं के अनुसार यहीं भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए एक खंभे से भगवान नरसिंह ने अवतार लिया था. भगवान नरसिंह के अवतार से जुड़ा खंभा (माणिक्य स्तंभ) आज भी यहां मौजूद है. कहा जाता है कि इसे कई बार तोड़ने का प्रयास किया गया. इससे ये टूटा तो नहीं, लेकिन ये स्तंभ झुक गया. भगवान नरसिंह के इस मनोहारी मंदिर में भगवान ब्रह्मा, विष्णु व शंकर समेत 40 देवताओं की मूर्तियां स्थापित है.

पेश है रिपोर्ट

धुरखेल होली खेलने की है मान्यता

बनमनखी प्रखंड कई मायने में खास है. यहां सिकलीगढ़ में हिरण्यकश्यप का ऐतिहासिक किला भी है,जो जर्जर हो चुका है. साथ ही एक भी कुआं है. लोग होली धूल और कीचड़ से भी होली खेलते हैं. कहा जाता है कि इसकी भी शुरुआत यहीं से हुई थी. मान्यताओं के अनुसार हिरण्यकश्यप की बहन आग में जलकर राख बन गई थी. इसके बाद बुराई पर अच्छाई की जीत की खुशियां मनाते हुए लोगों ने इस राख और कीचड़ से धुरखेल होली खेली थी.

नरसिंह मंदिर
नरसिंह मंदिर

होली के दिन जुटती है लाखों की भीड़

भगवान नरसिंह के अवतार से जुड़ा ये खंभा कभी 400 एकड़ में फैला था, आज ये घटकर 100 एकड़ में ही सिमट गया है. श्रद्धालुओं का कहना है कि यहां सभी मन्नतें पूरी हो जाती है. साथ ही होली के दिन इस मंदिर में धूड़खेल होली खेलने वालों की मुरादें सीधे भगवान नरसिंह के कानों तक पहुंचती है. इस वजह से होली के दिन यहां लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ होली खेलने और भगवान नरसिंह के दर्शन के लिए जुटती है.

यहां राख से होली खेलते हैं लोग, भगवान नरसिंह ने अवतार लेकर बचाई थी प्रह्लाद की जान

पूर्णिया: पूरे प्रदेश में होली को लेकर उत्साह है. होली मनाने के पीछे एक प्राचीन कथा है. होलिका दहन से संबंधित प्राचीन मान्यताएं यहां से भी जुड़ी हुई है. लोगों का मानना है कि भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए भगवान नरसिंह यहीं अवतार लिए थे. तभी तो धरहरा गांव में मंदिर में दर्शन करने के लिए दूर- दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं.

जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर बनमनखी प्रखंड स्थित धरहरा गांव में एक प्राचीन मंदिर है. पौराणिक कथाओं के अनुसार यहीं भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए एक खंभे से भगवान नरसिंह ने अवतार लिया था. भगवान नरसिंह के अवतार से जुड़ा खंभा (माणिक्य स्तंभ) आज भी यहां मौजूद है. कहा जाता है कि इसे कई बार तोड़ने का प्रयास किया गया. इससे ये टूटा तो नहीं, लेकिन ये स्तंभ झुक गया. भगवान नरसिंह के इस मनोहारी मंदिर में भगवान ब्रह्मा, विष्णु व शंकर समेत 40 देवताओं की मूर्तियां स्थापित है.

पेश है रिपोर्ट

धुरखेल होली खेलने की है मान्यता

बनमनखी प्रखंड कई मायने में खास है. यहां सिकलीगढ़ में हिरण्यकश्यप का ऐतिहासिक किला भी है,जो जर्जर हो चुका है. साथ ही एक भी कुआं है. लोग होली धूल और कीचड़ से भी होली खेलते हैं. कहा जाता है कि इसकी भी शुरुआत यहीं से हुई थी. मान्यताओं के अनुसार हिरण्यकश्यप की बहन आग में जलकर राख बन गई थी. इसके बाद बुराई पर अच्छाई की जीत की खुशियां मनाते हुए लोगों ने इस राख और कीचड़ से धुरखेल होली खेली थी.

नरसिंह मंदिर
नरसिंह मंदिर

होली के दिन जुटती है लाखों की भीड़

भगवान नरसिंह के अवतार से जुड़ा ये खंभा कभी 400 एकड़ में फैला था, आज ये घटकर 100 एकड़ में ही सिमट गया है. श्रद्धालुओं का कहना है कि यहां सभी मन्नतें पूरी हो जाती है. साथ ही होली के दिन इस मंदिर में धूड़खेल होली खेलने वालों की मुरादें सीधे भगवान नरसिंह के कानों तक पहुंचती है. इस वजह से होली के दिन यहां लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ होली खेलने और भगवान नरसिंह के दर्शन के लिए जुटती है.

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