पटना : बिहार की राजधानी पटना में राजेंद्र नगर स्थित नीलकंठ इनफर्टिलिटी एंड आईवीएफ सेंटर में विश्व आईवीएफ दिवस मनाया गया. इस कार्यक्रम में शहर की महापौर सीता साहू ने आईवीएफ से जन्मे बच्चों को प्यार दुलार करते हुए कहा कि बांझपन की समस्या से जूझ रही महिलाओं को आईवीएफ मातृत्व सुख प्रदान करता है. एक महिला के लिए मातृत्व सुख से बड़ा कुछ नहीं होता और एक तरफ से जिन महिलाओं ने आईवीएफ से संतान प्राप्त किया है उनके लिए यह मातृत्व दिवस भी है.
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स्पर्म बैंक से कैसी सीमेन की होती है डिमांड: नीलकंठ आईवीएफ सेंटर के डायरेक्टर डॉ हिमांशु गर्ग ने बताया कि बीते कुछ वर्षों में आईवीएफ के प्रति जागरूकता आई है और अब आईवीएफ के बच्चों को अपनाने में पेरेंट्स नहीं हिचक रहे. पहले लोगों के मन में शंका होती थी कि किसका खून होगा किसका नहीं लेकिन अब यह गलतफहमी दूर हुई है जिस वजह से हर आंगन में फूल खिल रहे हैं और हर दंपत्ति संतान सुख का लाभ ले रहे हैं. उन्होंने बताया कि जो पुरुष और महिला देखने में स्वस्थ होते हैं लेकिन किसी कारणवश संतान सुख नहीं प्राप्त कर रहे हैं उन्हें आईवीएफ की आवश्यकता पड़ती है.
"यदि दंपत्ति में पुरुष का शुक्राणु कमजोर है तो उसे स्पर्म बैंक से स्पर्म लेकर उसके पत्नी के गर्भ में डाला जाता है और भ्रूण तैयार किया जाता है. वहीं जिन महिलाओं का अंडा तैयार नहीं होता उनके लिए ओवम बैंक से किसी दूसरी महिला का अंडा लेकर उसके पति का स्पर्म लेकर लैब में भ्रूण तैयार किया जाता है और फिर उसे महिला के कोख में प्लांट किया जाता है." - डॉ हिमांशु गर्ग, डायरेक्टर, नीलकंठ आईवीएफ सेंटर
स्पर्म और एग में रहता है पर्सनाल्टी का पूरा डिटेल : डॉ हिमांशु गर्ग ने बताया कि स्पर्म बैंक से जब स्पर्म जाता है तो उस स्पर्म के बारे में पूरी जानकारी रहती है कि किस पर्सनालिटी के व्यक्ति का स्पर्म है. स्पर्म पर व्यक्ति का नाम पता तो नहीं होता लेकिन व्यक्ति की हाइट, वेट, स्किन कलर, आई कलर और उसका एजुकेशन मेंशन होता है. अधिकांश दंपत्ति अच्छे पढ़े लिखे व्यक्ति का स्पर्म लेना पसंद करते हैं. वहीं ओवम बैंक से भी जब एग लिया जाता है तो कैसी पर्सनालिटी की महिला का एग है. यह मेंशन होता है.
कैसी महिलाएं सेरोगेसी से प्राप्त कर सकती हैं बच्चा : डॉ हिमांशु गर्ग ने बताया कि इन सबके अलावा सेरोगेसी से भी महिलाएं संतान सुख प्राप्त कर सकती हैं. ऐसी महिलाएं जिसकी बच्चेदानी में ताकत नहीं है, जिस महिला का बहुत बार एबॉर्शन हो चुका है, जिस महिला का कई बार आईवीएफ फेल्योर हो चुका है अथवा जो महिलाएं कैंसर और अन्य गंभीर रोगों से ग्रसित हैं. वह सेरोगेसी से बच्चा प्राप्त कर सकती हैं. इसको लेकर भारत सरकार का कानून है.
सेरोगेसी के लिए है अलग से कानून : सेरोगेसी में दंपत्ति में पुरुष साथी का स्पर्म लिया जाता है और महिला साथी का एग लिया जाता है. इसके बाद इसे आईवीएफ लैब में ले जाकर भ्रूण तैयार किया जाता है और फिर जो महिला अपनी सहमति दी हुई है कि वह उक्त दंपति के बच्चे को गर्भ में पालेगी और फिर उस दंपति को जन्म के बाद बच्चे को सौंप देगी. उस महिला के बच्चेदानी में वह तैयार किया गया भ्रूण डाल दिया जाता है. सेरोगेसी के लिए काफी कानूनी लिखा पढ़ी करानी पड़ती है और इसकी जानकारी सरकार को देनी होती है.