ETV Bharat / state

इस महिला बैंड के लिए कुछ कीजिए मुख्यमंत्री जी, नहीं तो बंद हो जाएगा बिहार का इकलौता 'सरगम'

author img

By

Published : Apr 19, 2021, 4:28 AM IST

Updated : Jun 29, 2022, 11:02 AM IST

राजधानी पटना के दानापुर कस्बे के ढिबरा गांव की महिलाओं ने 7 साल पहले एक बैंड की शुरुआत की थी, जिसका नाम सरगम महिला बैंड रखा गया था, लॉकडाउन के बाद से इस अनोखे महिला बैंड की आर्थिक व्यवस्था चरमरा गयी. अब इन लोगों ने सरकार से 300 दिन रोजगार का सृजन करने की मांग की है.

patna
सरगम महिला बैंड

दानापुरः बैंड तो बहुत होंगे लेकिन हम जिस बैंड की चर्चा कर रहे हैं, उस बैंड को केवल महिलाएं चलाती हैं. ये महिलाएं जब बैंड बजाती हैं तो इन्हें देखने वालों की निगाहें टकटकी बांध लेती हैं. इस बैंड की शुरुआत राजधानी पटना के दानापुर कस्बे के ढिबरा गांव की महिलाओं ने 7 साल पहले की थी और इसे नाम दिया था सरगम महिला बैंड. इस बैंड के जरिए इन महिलाओं ने समाज के लोगों को एक संदेश जरूर दिया है कि आज के दौर में महिलाएं कुछ भी कर सकती हैं. लेकिन लॉकडाउन के समय इस महिला बैंड की टोली को काफी नुकसान उठाना पड़ा.

इसे भी पढ़ेंः बिहार में नाइट कर्फ्यू से कोरोना पर कंट्रोल की कोशिश, जानें क्या हैं CM के सख्त निर्देश

लॉकडाउन ने छीन ली रोजी-रोटी
पिछले साल जिस तरह से लॉकडाउन लगा उसके कारण इस महिला बैंड की जितनी भी बुकिंग हुई थी, वह कैंसिल हो गए. जिसके बाद से उनके घर की आर्थिक व्यवस्था चरमरा गयी, खाने-पीने तक की समस्या हो गई ,लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आया. इस साल भी कोरोना फिर से तेजी से बढ़ रहा है. सरकार की नींद उड़ी हुई है और ऐसे में इस महिला बैंड के मुखिया को यह चिंता सता रही है कि अगर फिर से पिछले साल की तरह लॉकडाउन लगा तो इन लोगों की रोजी-रोटी कैसे चलेगी.

देखें वीडियो

बैंड की सदस्य सविता देवी ने बताया कि बैंड बजाने के कारण ही केबीसी में भी हम बैठे और प्लेन से भी सफर किया. लेकिन पिछले साल लॉकडाउन के कारण सरगम महिला बैंड की जितनी भी बुकिंग हुई थी, वह सब कैंसिल हो गया. जिसके बाद से भोजन पर भी आफत हो गई. इस बार भी लॉकडाउन जैसी स्थिति बन रही है, ऐसे में लॉकडाउन लगेगा तो जितना भी साटा है, वह सब कैंसिल हो जाएगा और खाने के लाले पड़ जाएंगे. ऐसे में हम सरकार से मांग कर रहे हैं कि हम लोगों का जो काम है इस काम के जरिए 300 दिन रोजगार का सृजन करें, जिससे कि हम लोगों की रोजी-रोटी चल सके.

patna
सरगम महिला बैंड

2013 में की थी बैंड की शुरुआत
महिला बैंड की शुरुआत 2013 में हुई थी. जिस ढिबरा गांव से ये महिलाएं आती हैं वहां सुविधाओं का अभाव है. इनका पूरा गांव खेती पर ही निर्भर है. बैंड में काम करनेवाली महिलाओं के पति भी मजदूरी करते हैं. बच्चों की पढ़ाई के लिए काफी पैसों की जरूरत थी, इसलिए इन महिलाओं ने अपने हौसलों को बुलंद कर घर की चारदीवारी से अपने पांव बाहर रखे और सरगम महिला बैंड की शुरुआत की.

Patna
सरगम महिला बैंड की एक सदस्य

इस बैंड में सविता पंचम, सोनम सावित्री, अनीता मालती, छतिया लालती, डुमिनी देवी, विजानाति देवी सहीत 10 महिलाएं हैं. ये जहां कहीं भी शादी में बैंड बजाने जाती हैं तो ₹15000 में साटा बुक किया जाता है. शुरुआती दिनों में इन महिलाओं को आगे लाने में बिहार की साइकिल दीदी सुधा वर्गीज ने बड़ी भूमिका निभाई. 2013 के बाद से इन महिलाओं ने पटना शहर के होटल मौर्या और चाणक्या में न जाने कितनी ही शादियों में बैंड बजाया.

दानापुरः बैंड तो बहुत होंगे लेकिन हम जिस बैंड की चर्चा कर रहे हैं, उस बैंड को केवल महिलाएं चलाती हैं. ये महिलाएं जब बैंड बजाती हैं तो इन्हें देखने वालों की निगाहें टकटकी बांध लेती हैं. इस बैंड की शुरुआत राजधानी पटना के दानापुर कस्बे के ढिबरा गांव की महिलाओं ने 7 साल पहले की थी और इसे नाम दिया था सरगम महिला बैंड. इस बैंड के जरिए इन महिलाओं ने समाज के लोगों को एक संदेश जरूर दिया है कि आज के दौर में महिलाएं कुछ भी कर सकती हैं. लेकिन लॉकडाउन के समय इस महिला बैंड की टोली को काफी नुकसान उठाना पड़ा.

इसे भी पढ़ेंः बिहार में नाइट कर्फ्यू से कोरोना पर कंट्रोल की कोशिश, जानें क्या हैं CM के सख्त निर्देश

लॉकडाउन ने छीन ली रोजी-रोटी
पिछले साल जिस तरह से लॉकडाउन लगा उसके कारण इस महिला बैंड की जितनी भी बुकिंग हुई थी, वह कैंसिल हो गए. जिसके बाद से उनके घर की आर्थिक व्यवस्था चरमरा गयी, खाने-पीने तक की समस्या हो गई ,लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आया. इस साल भी कोरोना फिर से तेजी से बढ़ रहा है. सरकार की नींद उड़ी हुई है और ऐसे में इस महिला बैंड के मुखिया को यह चिंता सता रही है कि अगर फिर से पिछले साल की तरह लॉकडाउन लगा तो इन लोगों की रोजी-रोटी कैसे चलेगी.

देखें वीडियो

बैंड की सदस्य सविता देवी ने बताया कि बैंड बजाने के कारण ही केबीसी में भी हम बैठे और प्लेन से भी सफर किया. लेकिन पिछले साल लॉकडाउन के कारण सरगम महिला बैंड की जितनी भी बुकिंग हुई थी, वह सब कैंसिल हो गया. जिसके बाद से भोजन पर भी आफत हो गई. इस बार भी लॉकडाउन जैसी स्थिति बन रही है, ऐसे में लॉकडाउन लगेगा तो जितना भी साटा है, वह सब कैंसिल हो जाएगा और खाने के लाले पड़ जाएंगे. ऐसे में हम सरकार से मांग कर रहे हैं कि हम लोगों का जो काम है इस काम के जरिए 300 दिन रोजगार का सृजन करें, जिससे कि हम लोगों की रोजी-रोटी चल सके.

patna
सरगम महिला बैंड

2013 में की थी बैंड की शुरुआत
महिला बैंड की शुरुआत 2013 में हुई थी. जिस ढिबरा गांव से ये महिलाएं आती हैं वहां सुविधाओं का अभाव है. इनका पूरा गांव खेती पर ही निर्भर है. बैंड में काम करनेवाली महिलाओं के पति भी मजदूरी करते हैं. बच्चों की पढ़ाई के लिए काफी पैसों की जरूरत थी, इसलिए इन महिलाओं ने अपने हौसलों को बुलंद कर घर की चारदीवारी से अपने पांव बाहर रखे और सरगम महिला बैंड की शुरुआत की.

Patna
सरगम महिला बैंड की एक सदस्य

इस बैंड में सविता पंचम, सोनम सावित्री, अनीता मालती, छतिया लालती, डुमिनी देवी, विजानाति देवी सहीत 10 महिलाएं हैं. ये जहां कहीं भी शादी में बैंड बजाने जाती हैं तो ₹15000 में साटा बुक किया जाता है. शुरुआती दिनों में इन महिलाओं को आगे लाने में बिहार की साइकिल दीदी सुधा वर्गीज ने बड़ी भूमिका निभाई. 2013 के बाद से इन महिलाओं ने पटना शहर के होटल मौर्या और चाणक्या में न जाने कितनी ही शादियों में बैंड बजाया.

Last Updated : Jun 29, 2022, 11:02 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.