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बिहार में बैठकर किया पुणे के इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट, ऐसे पकड़ाया नटवरलाल - DIGITAL ARREST

सीबीआई का अफसर बताकर पुणे के एक युवक से 44 लाख की ठगी कर ली. महाराष्ट्र साइबर सेल ने आरोपी को सीतामढ़ी से दबोचा है.

Sitamarhi youth arrested
CBI अफसर बन ठगी करने वाला सीतामढ़ी से गिरफ्तार (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 11, 2025, 12:19 PM IST

सीतामढ़ी: महाराष्ट्र के अंधेरी में एक युवक को डिजिटल अरेस्ट कर 44 लाख की ठगी करने के मामले में महाराष्ट्र साइबर सेल ने सीतामढ़ी से एक ठग को पकड़ा है. जिले के परिहार थाना के रहने वाले एक शख्स ने खुद को सीबीआई का अफसर बता कर महाराष्ट्र के कंप्यूटर इंजीनियर से लाखों की ठगी की है.

CBI अफसर बन ठगी करने वाला गिरफ्तार: मामला दर्ज कर महाराष्ट्र साइबर सेल ने जिला पुलिस के सहयोग से आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. स्थानीय परिहार थाना अध्यक्ष राजकुमार गौतम ने बताया कि साइबर फ्रॉड के मामले में महाराष्ट्र की पुणे साइबर सेल की पुलिस ने थाना क्षेत्र के महादेव पट्टी से रजाक अंसारी के पुत्र सलीम अंसारी को गिरफ्तार किया है.

"स्थानीय न्यायालय में आरोपी को प्रस्तुत किया गया, जहां से न्यायालय के आदेश पर पुणे पुलिस उसे अपने साथ ले गई है."- राजकुमार गौतम,परिहार थाना अध्यक्ष

मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी: थानाध्यक्ष राजकुमार गौतम ने बताया कि सलीम अंसारी और उसके साथ एक और सहयोगी ने मिलकर एक युवक के साथ साइबर ठगी की है. दोनों ने अपने आप को सीबीआई का अफसर बताया और पुणे निवासी कंप्यूटर इंजीनियर को वीडियो कॉल किया और मनी लॉन्ड्रिंग के केस में फंसाने की धमकी दी.

24 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट: पीड़ित को धमकाते हुए आरोपियों ने वीडियो कॉल में कहा कि आपके खिलाफ सबूत मिला है. फिर उसे वीडियो कॉल पर ही डराया गया और यकीन दिलाने के लिए वर्दी भी दिखायी गई. पीड़ित को मोबाइल पर फर्जी अरेस्ट वारंट दिखाया गया और 24 घंटे तक उसे डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया.

अरेस्ट वारंट भेजकर धमकाया: पीड़ित को डराने के लिए व्हाट्सएप पर अरेस्ट वारंट भेजा गया. इस तरह साइबर ठगों ने जाल में फंसाते हुए पीड़ित को 24 घंटे तक वीडियो कॉल पर निगरानी में रखा. पूछताछ के नाम पर बैंक की सारी डिटेल ले ली गई. पीड़ित तीन दिनों तक ठगों के चक्कर में फंसा रहा. पैसा दे देने के बाद उसे अपने साथ हुई ठगी का एहसास हुआ.

44 लाख का लगाया चूना: आरोपी ने उन्हें एक अकाउंट नंबर देकर कहा है कि यह कोर्ट का अकाउंट नंबर है. फिर कहा कि आप अपने सारे रुपए (44 लाख) इस अकाउंट में ट्रांसफर कर दें. 24 घंटे के बाद आपके सारे पैसे वापस मिल जाएंगे. जिसके बाद पीड़ित ने अपने पैसे ट्रांसफर कर दिए, लेकिन 24 घंटे में पैसा वापस नहीं आया.

आरोपी को पुणे ले जाया गया : पीड़ित ने इसकी लिखित शिकायत साइबर सेल से की. स्थानीय थाना अध्यक्ष राजकुमार गौतम ने बताया कि यह मामला पुणे का है इसलिए पुलिस आरोपी को पुणे लेकर गई है और आगे की कार्रवाई वहीं की जाएगी.

क्या है डिजिटल अरेस्ट: डिजिटल अरेस्ट एक तरह का नया फ्रॉड है. इसमें पीड़ित शख्स से वीडियो कॉल के जरिए कॉन्टैक्ट किया जाता है. उसे धमाकाकर या लालच देकर घंटों या फिर कई दिनों तक कैमरे के सामने बैठने के लिए विवश किया जाता है. कई बार सीधा साधा शख्स ठगों की बातों में आ जाता है और डिजिटल अरेस्ट हो जाता है. इस दौरान स्कैमर उस व्यक्ति से कई तरह की जानकारियां हासिल कर लेता है और बैंक अकाउंट से बड़ी राशि चुटकियों में उड़ा लेते है.

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अरेस्ट वारंट भेजकर धमकाया: पीड़ित को डराने के लिए व्हाट्सएप पर अरेस्ट वारंट भेजा गया. इस तरह साइबर ठगों ने जाल में फंसाते हुए पीड़ित को 24 घंटे तक वीडियो कॉल पर निगरानी में रखा. पूछताछ के नाम पर बैंक की सारी डिटेल ले ली गई. पीड़ित तीन दिनों तक ठगों के चक्कर में फंसा रहा. पैसा दे देने के बाद उसे अपने साथ हुई ठगी का एहसास हुआ.

44 लाख का लगाया चूना: आरोपी ने उन्हें एक अकाउंट नंबर देकर कहा है कि यह कोर्ट का अकाउंट नंबर है. फिर कहा कि आप अपने सारे रुपए (44 लाख) इस अकाउंट में ट्रांसफर कर दें. 24 घंटे के बाद आपके सारे पैसे वापस मिल जाएंगे. जिसके बाद पीड़ित ने अपने पैसे ट्रांसफर कर दिए, लेकिन 24 घंटे में पैसा वापस नहीं आया.

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क्या है डिजिटल अरेस्ट: डिजिटल अरेस्ट एक तरह का नया फ्रॉड है. इसमें पीड़ित शख्स से वीडियो कॉल के जरिए कॉन्टैक्ट किया जाता है. उसे धमाकाकर या लालच देकर घंटों या फिर कई दिनों तक कैमरे के सामने बैठने के लिए विवश किया जाता है. कई बार सीधा साधा शख्स ठगों की बातों में आ जाता है और डिजिटल अरेस्ट हो जाता है. इस दौरान स्कैमर उस व्यक्ति से कई तरह की जानकारियां हासिल कर लेता है और बैंक अकाउंट से बड़ी राशि चुटकियों में उड़ा लेते है.

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