भागलपुर: 6 साल पहले गुरुवार के दिन शहीद रतन ठाकुर की पत्नी राजनंदनी के पास रतन का फोन आया था कि श्रीनगर जा रहा हूं. वहां पहुंचकर शाम को फोन करूंगा, लेकिन उनका फोन नहीं आया. घर में सभी बेटे के फोन का इंतजार कर ही रहे थे तभी सूचना आई कि रतन आतंकी हमले में शहीद हो गए.
पुलवामा अटैक में शहीद हुए थे भागलपुर के लाल: एक क्षण में ही राजनंदनी का सुहाग उजड़ गया. रतन ठाकुर की शहादत की खबर मिली तो राजनंदनी के पैरों तले जमीन खिसक गई थी. बेहोश होकर गिर गई, खबर सुनते ही पूरे घर में कोहराम मच गया. राजनंदिनी गर्भवती थीं. रतन ठाकुर अपनी गर्भवती पत्नी को हर शाम फोन किया करते थे और उनसे स्वास्थ्य के बारे में पूछते थे.
"उसी दिन तीन बजे शाम को मेरी बात हुई थी. बोले थे श्रीनगर पहुंचकर फोन करेंगे. बोले थे कि होली में आएंगे. उस दिन घर में सब जब बात करने लगे तो मुझे घबराहट होने लगी. बड़े बेटे को फौजी बनाएंगे."- राजनंदनी, शहीद रतन ठाकुर की पत्नी
2011 में सीआरपीएफ में बहाल: मगर किसे मालूम था कि 14 फरवरी 2019 के बाद वो कभी अपनी पत्नी को फोन नहीं कर पाएंगे. रतन ठाकुर घटना के तीन दिन पहले ही महाराष्ट्र से ट्रेनिंग लेकर जम्मू जा रहे थे. वर्ष 2011 में वे सीआरपीएफ में बहाल हुए थे.
6 साल पहले हुआ था हमला: पुलवामा आतंकी हमले को छ: साल हो चुके हैं पर इसके जख्म और दर्द आज भी हरे हैं. आज पूरा देश नम आखों से पुलवामा आतंकी हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहा है. जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले की आज छठी बरसी है.
बिहार के दो जवान हुए थे शहीद: आज ही के दिन पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे. इनमें 2 जांबाज बिहार के थे. दोनों सपूतों में से एक पटना के तारेगना निवासी हेड कांस्टेबल संजय कुमार सिन्हा और दूसरा भागलपुर के कहलगांव निवासी रतन कुमार ठाकुर शामिल थे.
कैसे हुआ था पुलवामा आतंकी हमला ?: 14 फरवरी 2019 को जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग से बसों में सीआरपीएफ का काफिला गुजर रहा था. सीआरपीएफ का काफिला पुलवामा पहुंचा ही था, तभी सड़क के दूसरे तरफ से आ रही एक कार ने सीआरपीएफ के काफिले के साथ चल रहे वाहन में टक्कर मार दी. जैसे ही सामने से आ रही विस्फोटक लदी गाड़ी जवानों के काफिले से टकराई, वैसे ही उसमें विस्फोट हो गया. इस घातक हमले में सीआरपीएफ के 40 बहादुर जवान शहीद हुए थे.
सरकार पर उपेक्षा का आरोप: सरकार द्वारा शहीद जवान के परिवार को मकान देने की बात कही गयी थी, लेकिन शहीद जवान का पूरा परिवार भागलपुर में किराए के निजी मकान में रहता है. हर वर्ष शहीद के लिए उनके पैतृक गांव में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम भी शहीद परिवार को खुद के पैसे से करने होते हैं.
पिता ने क्या कहा: रतन ठाकुर के पिता रामनिरंजन ठाकुर ने बताया कि बिहार सरकार और जनप्रतिनिधियों की तरफ से शहीद परिवार को सारी सुख-सुविधाएं मुहैया करवाने की घोषणा की गई थी, लेकिन अब भी कई वायदे अधूरी है. गांव में गंदी नाली के बीच में घर है. स्वास्थ्य और शिक्षा की भी व्यवस्था भी नहीं है.
'कंट्रोल रूम से आया था फोन': शहीद रतन ठाकुर के पिता आज भी उस मंजर को याद कर फफक पड़ते हैं. उन्होंने बताया कि जब घटना हुई थी तो कंट्रोल रूम से फोन आया कि रतन का कोई अन्य नंबर है क्या? जो नंबर है वो बंद बता रहा है. कंट्रोल रूम से फोन कुछ घटना होने के बाद ही आती है. इसके बाद उनके शरीर मे तड़पन होने लगी.
"मैंने सीओ से कई बार पूछा कि कुछ बात है तो बताइए ,लेकिन कोई जानकारी नहीं दी गई. फिर मैंने टीवी पर न्यूज देखा तो समझ गए कि मेरा बेटा अब नहीं रहा. दूसरे दिन सुबह सात बजे फोन कर घटना के बारे में बताया गया और कहा गया कि रतन का पार्थिव शरीर निकल गया है."- रामनिरंजन ठाकुर,रतन ठाकुर के पिता
शहीद रत्न के दो बेटे: शहीद रतन के दो बेटे हैं, एक बेटा कृष्णा 10 वर्ष का है तो दूसरा रामचरित 5 वर्ष का है. हमले के वक्त रामचरित मां की कोख में था. उस समय कृष्णा 4 वर्ष का था. कृष्णा ने ही अपने पिता को मुखाग्नि दी थी. वो अभी माउंट असीसी स्कूल में चौथी कक्षा का छात्र है. कृष्णा अपने पिता की तरह ही फौजी बनना चाहता है. उसने कहा कि मैं भी पापा की तरह फौजी बनकर पापा के दुश्मनों से बदला लेना चाहता हूं.
स्मारक बनवाने की मांग: शहीद रतन ठाकुर की पत्नी राजनंदिनी अपने पति के स्मारक बनवाने की मांग कर रही हैं. जिला प्रशासन से उन्होंने इसके लिए आग्रह किया है, वहीं उन्होंने बड़े बेटे के फौजी बनाने की बात पर कहा कि उसे फौजी ही बनाएंगे.
बालाकोट में एयर स्ट्राइक: देश को शहीद रतन ठाकुर पर नाज रहेगा. पुलवामा में आतंकियों की कायराना हरकत ने देश को झकझोर दिया था. हालांकि सरकार ने जवाबी करवाई में कई बड़े फैसले लिए, लेकिन जिस परिवार ने अपनो को खोया है, वे और स्थानीय लोग आज भी ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं. ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके.पुलवामा हमले के कुछ ही दिनों बाद 26 फरवरी, 2019 को भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान स्थित बालाकोट में एयर स्ट्राइक की थी. इस एयर स्ट्राइक में बड़ी संख्या में आतंकियों के मारे जाने की सूचना मिली थी.
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