पटना : पटना हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव की तत्काल व्यक्तिगत उपस्थिति के आदेश पर आपत्ति जताई. सरकार ने इस आदेश के खिलाफ अपील (LPA No. 154/2025) दायर की थी, जिसमें एकल पीठ ने 13 फरवरी 2025 को अधिकारी को दोपहर में कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया था. आदेश का पालन न होने पर इसे अवमानना माना गया और अगले दिन (14 फरवरी 2025) अधिकारी की उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई.
सरकारी की तरफ से क्या रखा गया तर्क ? : सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से तभी बुलाया जा सकता है, जब उनकी उपस्थिति अनिवार्य हो. अन्यथा, मामले को हल करने के लिए शपथपत्र या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जैसे विकल्पों का उपयोग किया जाना चाहिए.
![PATNA HIGH COURT](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14-02-2025/23546360_hc.jpg)
एकल पीठ का आदेश निरस्त : एक्टिंग चीफ जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने सरकार की दलील को स्वीकार किया और कहा कि अधिकारी को पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए. कोर्ट ने आदेश दिया कि अधिकारी की उपस्थिति की जरूरत पड़ने पर ही नई तिथि तय की जाए. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने एकल पीठ के आदेश को निरस्त कर दिया.
संजय कुमार की तत्काल बहाली का आदेश : वहीं दूसरे मामले में पटना हाईकोर्ट ने बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के पूर्व रजिस्ट्रार संजय कुमार की बर्खास्तगी को अवैध करार देते हुए उनकी तत्काल बहाली का आदेश दिया है. जस्टिस अंजनी कुमार शरण ने कहा कि संजय कुमार को बिना पूर्व सूचना और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किए बिना हटाया गया था.
अपराजिता कृष्णा की नियुक्त को गलत ठहराया : संजय कुमार को 20 जून 2024 को बर्खास्त कर उनकी जगह डॉ. अपराजिता कृष्णा को नियुक्त किया गया था. कोर्ट ने पाया कि उनकी नियुक्ति बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 की धारा 15 के अनुरूप नहीं थी. साथ ही वे इस पद के लिए आवश्यक योग्यता भी नहीं रखती थीं.
राज्य सरकार को दिया गया आदेश : कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि रजिस्ट्रार की नियुक्ति के लिए पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए थी, जिसमें पैनल से योग्य उम्मीदवारों के नाम मांगे जाते. कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि संजय कुमार को तुरंत उनके पद पर बहाल किया जाए.
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