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Bihar Shikshak Niyojan: TET शिक्षक संघ ने नई शिक्षक नियमावली रद्द करवाने को लेकर दायर की याचिका

बिहार में नई शिक्षक नियमावली को लेकर छात्र संघ आर-पार के मुड में है. अब ये मामला पटना हाईकोर्ट में पहुंच गया है. टीईटी शिक्षक संघ की ओर से इसे रद्द करने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई है.

पटना हाईकोर्ट
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Published : May 19, 2023, 7:13 PM IST

नई शिक्षक नियमावली को रद्द करने की मांग को लेकर याचिका दाखिल

पटना: नई शिक्षक नियमावली (New Teachers Manual) का मामला अब पटना हाईकोर्ट में पहुंच गया है. टीईटी शिक्षक संघ ने इसे रद्द करने को लेकर शुक्रवार को पटना हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दिया है. टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा कि टीईटी शिक्षक संघ की ओर से अध्यापक नियमावली 2023 को रद्द करते हुए शिक्षा के अधिकार कानून के तहत शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण 2 लाख टीईटी शिक्षकों को जॉइनिंग डेट से राज्य कर्मी का दर्जा देने हेतु हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है.

ये भी पढे़ं- Bihar Shikshak Niyojan: 'जो पढ़ाने का काम करेंगे, आमदनी भी बढ़ाएंगे'.. शिक्षक नियोजन नीति पर बोले CM नीतीश

नई शिक्षक नियमावली का मामला: टीईटी शिक्षक संघ की ओर से प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम, औरंगाबाद से चंदशेखर वर्मा, किशनगंज से फासीह अहमद और यूपी के गाजीपुर जिले के रहने वाले हैदर खान ने भी टीईटी शिक्षकों को जॉइनिंग डेट से राज्य कर्मी का दर्जा देने हेतु दायर याचिका में याचिकाकर्ता बने हैं. याचिका की सुनवाई गर्मी छुट्टी के तत्काल बाद ही संभव है. क्योंकि शुक्रवार से 18 जून तक हाईकोर्ट में गर्मी की छुट्टी हो गई है.

"अध्यापक नियमावली 2023 पूरी तरह से और संवैधानिक एवं कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन करने वाली नियमावली है. इस नियमावली को जारी करने में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के दिए गए पूर्व के फैसले की भी अनदेखी की गई है और ऐसे कई सारे बिंदु इसमें जोड़े गए हैं, जो पूरी तरीके से असंवैधानिक एवं न्यायिक दृष्टिकोण से अनुचित है. इसलिए इसके विरुद्ध हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना आवश्यक हो गया था. हमने कई स्तर पर सरकार से वार्ता करने की कोशिश की. लेकिन जब सरकार एवं शिक्षा विभाग की के द्वारा हमारी बातों को नहीं चुना गया. तब हम लोग मजबूर होकर हाईकोर्ट में आज यह याचिका दाखिल कर रहे हैं. हमें उच्च न्यायालय पर पूरा भरोसा है. हम पूरी तरह से आश्वस्त है कि वर्तमान नियमावली रद्द होगी और टीईटी परीक्षा पास शिक्षकों को जॉइनिंग के डेट से राज्य कर्मी का दर्जा मिलेगा."- अमित विक्रम, प्रदेश अध्यक्ष, टीईटी शिक्षक संघ

संघ की ओर से कई बिंदुओं पर आपत्ति दर्ज कराया गया: अध्यापक नियमावली 2023 पर आपत्तियां को गिनाते हुए अमित विक्रम ने कहा कि CWJC- 2796/2022 में पारित आदेश का उल्लंघन इस नियमावली में किया गया है. नियमावली 2012 एवं 2020 में प्रारंभिक शिक्षकों के 3 ग्रेड बताए गए थे. बेसिक, स्नातक और मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक लेकिन अध्यापक ने वर्ष 2023 में प्रधानाध्यापक पद का जिक्र ही नहीं है. जबकि इसे प्रमोशन से भरा जाना था. इसके अलावा इस नियमावली में प्रोन्नति का कोई प्रावधान नहीं है.

हाईकोर्ट ने नियमावली के खिलाफ याचिका दायर: शिक्षक संघ के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि नियमावली की कंडिका 4 में लिखा गया है कि सभी सीटों को सीधी भर्ती से भरा जाएगा. जबकि पूर्व में स्नातक ग्रेड के 50% पद प्रमोशन से भरे जाते थे. वहीं कंडिका 5(iii) लिखा गया है कि पूर्व से नियोजित शिक्षक यदि दक्षता परीक्षा भी पास हो तो उन्हें टीईटी की परीक्षा से छूट मिलेगी. क्या NCTE नई बहाली में टीईटी परीक्षा से छूट देने को स्वीकृति दी है? वैसे ही कंडिका 5 (iv) में लिखा गया है कि विषय विशेष शिक्षकों की योग्यता अलग से बिहार सरकार निर्धारित करेगी.

प्रदेश अध्यक्ष ने उठाए कई सवाल: शिक्षक संघ के अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा कि, क्या बिहार सरकार को अलग से योग्यता निर्धारित करने का अधिकार है? क्या एनसीटीई से उसकी स्वीकृति ली जाएगी? जबकि कंडिका 55 में लिखा गया है कि उम्र सीमा में छूट दी जाएगी. इसका क्या आधार है? इसका निर्णय अलग से क्या और कैसे लिया जाएगा? यह भी स्पष्ट नहीं है. उन्होंने अन्य मुद्दों को गिनाते हुए कहा कि कंडिका 7(iv) एवं 7(v) में यह लिखा गया है कि परीक्षा का पाठ्यक्रम का निर्धारण और पैटर्न का निर्धारण आयोग द्वारा किया जाएगा. क्या इसमें NCTE द्वारा तय मानकों का पालन होगा. क्या NCTE के पाठ्यक्रम का पालन किया जाएगा और उसी पैटर्न पर परीक्षा ली जाएगी? यह भी स्पष्ट नहीं है.

कई चीजों का नहीं है उल्लेख: क्वालीफाइंग मार्क्स तय करने की प्रक्रिया क्या होगी? क्या पूर्व से कार्यरत शिक्षकों और शिक्षक अभ्यर्थियों के लिए अलग-अलग अहर्तांक होंगे? इंडिका 7(iii) में केवल तीन बार परीक्षा में भाग ले सकने की बाध्यता लगाई गई है. इसका क्या आधार है? क्या बीपीएससी या अन्य आयोग द्वारा ली जाने वाली परीक्षा में इस तरह की कोई बाध्यता है? उन्होंने यह भी कहा कि कंडिका 8 में बताया गया है कि पंचायती राज संस्थाएं एवं नगर निकाय संस्था के अंतर्गत नियुक्त कार्यों के लिए अलग से प्रक्रिया निर्धारण किया जा सकेगा. इस प्रक्रिया का भी इसमें कहीं कोई उल्लेख नहीं है.

क्या अलग से प्रक्रिया निर्धारण में शिक्षकों की वरीयता और उनके सेवा अवधि का संरक्षण किया जाएगा? जो पे स्ट्रक्चर का निर्धारण किया गया है, उसमें केवल शुरुआती मूल वेतन बताया गया है और वह मूल वेतन राज्य कर्मियों के लिए देय पे स्ट्रक्चर के किसी लेवल में वर्णित नहीं है. नए पे स्केल की जरूरत क्यों और इसका संवैधानिक अधिकार क्या है? यदि सरकार राज्य कर्मियों के संभाल शिक्षकों की बहाली कर रही है तो पूर्व से कार्यरत राज्य कर्मी शिक्षकों के समान ही वेतनमान एवं अन्य भत्ते दिए जाने चाहिए.

"दर्ज की गई आपत्तियों के आलोक में नई अध्यापक ने वाली तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए. जब तक सुनवाई पूरी नहीं हो जाती है. इसके तहत कोई अधिसूचना या एडवर्टाइजमेंट नहीं निकाला जाए. साथ ही टीईटी शिक्षक संघ शिक्षा के अधिकार कानून के तहत तरीके के मानकों के आधार पर बनाए गए बिहार राज्य पंचायती राज एवं नगर निकाय संस्था शिक्षक नियोजन 2012 के तहत नियुक्त शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करता है."- अमित विक्रम, प्रदेश अध्यक्ष, टीईटी शिक्षक संघ

दिए जाएं सभी प्रकार के लाभ: अमित विक्रम ने यह भी कहा कि उक्त संगठन से जुड़े हुए शिक्षक नियोजन के समय से ही शिक्षा के अधिकार कानून में वर्णित सभी मानदंडों को पूरा करते हैं. उस वक्त गलत तरीके से इन्हें राज्य कर्मी के तौर पर बहाल करने के बजाय पंचायती राज एवं नगर निकाय संस्थाओं के तहत बहाल कर दिया गया था. अब जबकि सरकार राज्य कर्मियों के तौर पर ही समाहित करने के लिए नियमावली का निर्धारण कर रही है तो 2012 नियमावली के तहत एवं शिक्षा के अधिकार कानून का पालन करने वाले सभी शिक्षकों को जॉइनिंग डेट से ही राज्य कर्मी का दर्जा देते हुए सभी प्रकार के लाभ दिए जाएं.

नई शिक्षक नियमावली को रद्द करने की मांग को लेकर याचिका दाखिल

पटना: नई शिक्षक नियमावली (New Teachers Manual) का मामला अब पटना हाईकोर्ट में पहुंच गया है. टीईटी शिक्षक संघ ने इसे रद्द करने को लेकर शुक्रवार को पटना हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दिया है. टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा कि टीईटी शिक्षक संघ की ओर से अध्यापक नियमावली 2023 को रद्द करते हुए शिक्षा के अधिकार कानून के तहत शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण 2 लाख टीईटी शिक्षकों को जॉइनिंग डेट से राज्य कर्मी का दर्जा देने हेतु हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है.

ये भी पढे़ं- Bihar Shikshak Niyojan: 'जो पढ़ाने का काम करेंगे, आमदनी भी बढ़ाएंगे'.. शिक्षक नियोजन नीति पर बोले CM नीतीश

नई शिक्षक नियमावली का मामला: टीईटी शिक्षक संघ की ओर से प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम, औरंगाबाद से चंदशेखर वर्मा, किशनगंज से फासीह अहमद और यूपी के गाजीपुर जिले के रहने वाले हैदर खान ने भी टीईटी शिक्षकों को जॉइनिंग डेट से राज्य कर्मी का दर्जा देने हेतु दायर याचिका में याचिकाकर्ता बने हैं. याचिका की सुनवाई गर्मी छुट्टी के तत्काल बाद ही संभव है. क्योंकि शुक्रवार से 18 जून तक हाईकोर्ट में गर्मी की छुट्टी हो गई है.

"अध्यापक नियमावली 2023 पूरी तरह से और संवैधानिक एवं कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन करने वाली नियमावली है. इस नियमावली को जारी करने में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के दिए गए पूर्व के फैसले की भी अनदेखी की गई है और ऐसे कई सारे बिंदु इसमें जोड़े गए हैं, जो पूरी तरीके से असंवैधानिक एवं न्यायिक दृष्टिकोण से अनुचित है. इसलिए इसके विरुद्ध हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना आवश्यक हो गया था. हमने कई स्तर पर सरकार से वार्ता करने की कोशिश की. लेकिन जब सरकार एवं शिक्षा विभाग की के द्वारा हमारी बातों को नहीं चुना गया. तब हम लोग मजबूर होकर हाईकोर्ट में आज यह याचिका दाखिल कर रहे हैं. हमें उच्च न्यायालय पर पूरा भरोसा है. हम पूरी तरह से आश्वस्त है कि वर्तमान नियमावली रद्द होगी और टीईटी परीक्षा पास शिक्षकों को जॉइनिंग के डेट से राज्य कर्मी का दर्जा मिलेगा."- अमित विक्रम, प्रदेश अध्यक्ष, टीईटी शिक्षक संघ

संघ की ओर से कई बिंदुओं पर आपत्ति दर्ज कराया गया: अध्यापक नियमावली 2023 पर आपत्तियां को गिनाते हुए अमित विक्रम ने कहा कि CWJC- 2796/2022 में पारित आदेश का उल्लंघन इस नियमावली में किया गया है. नियमावली 2012 एवं 2020 में प्रारंभिक शिक्षकों के 3 ग्रेड बताए गए थे. बेसिक, स्नातक और मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक लेकिन अध्यापक ने वर्ष 2023 में प्रधानाध्यापक पद का जिक्र ही नहीं है. जबकि इसे प्रमोशन से भरा जाना था. इसके अलावा इस नियमावली में प्रोन्नति का कोई प्रावधान नहीं है.

हाईकोर्ट ने नियमावली के खिलाफ याचिका दायर: शिक्षक संघ के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि नियमावली की कंडिका 4 में लिखा गया है कि सभी सीटों को सीधी भर्ती से भरा जाएगा. जबकि पूर्व में स्नातक ग्रेड के 50% पद प्रमोशन से भरे जाते थे. वहीं कंडिका 5(iii) लिखा गया है कि पूर्व से नियोजित शिक्षक यदि दक्षता परीक्षा भी पास हो तो उन्हें टीईटी की परीक्षा से छूट मिलेगी. क्या NCTE नई बहाली में टीईटी परीक्षा से छूट देने को स्वीकृति दी है? वैसे ही कंडिका 5 (iv) में लिखा गया है कि विषय विशेष शिक्षकों की योग्यता अलग से बिहार सरकार निर्धारित करेगी.

प्रदेश अध्यक्ष ने उठाए कई सवाल: शिक्षक संघ के अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा कि, क्या बिहार सरकार को अलग से योग्यता निर्धारित करने का अधिकार है? क्या एनसीटीई से उसकी स्वीकृति ली जाएगी? जबकि कंडिका 55 में लिखा गया है कि उम्र सीमा में छूट दी जाएगी. इसका क्या आधार है? इसका निर्णय अलग से क्या और कैसे लिया जाएगा? यह भी स्पष्ट नहीं है. उन्होंने अन्य मुद्दों को गिनाते हुए कहा कि कंडिका 7(iv) एवं 7(v) में यह लिखा गया है कि परीक्षा का पाठ्यक्रम का निर्धारण और पैटर्न का निर्धारण आयोग द्वारा किया जाएगा. क्या इसमें NCTE द्वारा तय मानकों का पालन होगा. क्या NCTE के पाठ्यक्रम का पालन किया जाएगा और उसी पैटर्न पर परीक्षा ली जाएगी? यह भी स्पष्ट नहीं है.

कई चीजों का नहीं है उल्लेख: क्वालीफाइंग मार्क्स तय करने की प्रक्रिया क्या होगी? क्या पूर्व से कार्यरत शिक्षकों और शिक्षक अभ्यर्थियों के लिए अलग-अलग अहर्तांक होंगे? इंडिका 7(iii) में केवल तीन बार परीक्षा में भाग ले सकने की बाध्यता लगाई गई है. इसका क्या आधार है? क्या बीपीएससी या अन्य आयोग द्वारा ली जाने वाली परीक्षा में इस तरह की कोई बाध्यता है? उन्होंने यह भी कहा कि कंडिका 8 में बताया गया है कि पंचायती राज संस्थाएं एवं नगर निकाय संस्था के अंतर्गत नियुक्त कार्यों के लिए अलग से प्रक्रिया निर्धारण किया जा सकेगा. इस प्रक्रिया का भी इसमें कहीं कोई उल्लेख नहीं है.

क्या अलग से प्रक्रिया निर्धारण में शिक्षकों की वरीयता और उनके सेवा अवधि का संरक्षण किया जाएगा? जो पे स्ट्रक्चर का निर्धारण किया गया है, उसमें केवल शुरुआती मूल वेतन बताया गया है और वह मूल वेतन राज्य कर्मियों के लिए देय पे स्ट्रक्चर के किसी लेवल में वर्णित नहीं है. नए पे स्केल की जरूरत क्यों और इसका संवैधानिक अधिकार क्या है? यदि सरकार राज्य कर्मियों के संभाल शिक्षकों की बहाली कर रही है तो पूर्व से कार्यरत राज्य कर्मी शिक्षकों के समान ही वेतनमान एवं अन्य भत्ते दिए जाने चाहिए.

"दर्ज की गई आपत्तियों के आलोक में नई अध्यापक ने वाली तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए. जब तक सुनवाई पूरी नहीं हो जाती है. इसके तहत कोई अधिसूचना या एडवर्टाइजमेंट नहीं निकाला जाए. साथ ही टीईटी शिक्षक संघ शिक्षा के अधिकार कानून के तहत तरीके के मानकों के आधार पर बनाए गए बिहार राज्य पंचायती राज एवं नगर निकाय संस्था शिक्षक नियोजन 2012 के तहत नियुक्त शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करता है."- अमित विक्रम, प्रदेश अध्यक्ष, टीईटी शिक्षक संघ

दिए जाएं सभी प्रकार के लाभ: अमित विक्रम ने यह भी कहा कि उक्त संगठन से जुड़े हुए शिक्षक नियोजन के समय से ही शिक्षा के अधिकार कानून में वर्णित सभी मानदंडों को पूरा करते हैं. उस वक्त गलत तरीके से इन्हें राज्य कर्मी के तौर पर बहाल करने के बजाय पंचायती राज एवं नगर निकाय संस्थाओं के तहत बहाल कर दिया गया था. अब जबकि सरकार राज्य कर्मियों के तौर पर ही समाहित करने के लिए नियमावली का निर्धारण कर रही है तो 2012 नियमावली के तहत एवं शिक्षा के अधिकार कानून का पालन करने वाले सभी शिक्षकों को जॉइनिंग डेट से ही राज्य कर्मी का दर्जा देते हुए सभी प्रकार के लाभ दिए जाएं.

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