पटनाः बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) का मानसून सत्र (Monsoon Session) सोमवार से शुरू हो रहा है. इस सत्र के काफी हंगामेदार होने की आशंका है. क्योंकि कोविड महामारी (Covid Pandemic) के दौरान मचे हाहाकार, बढ़ती महंगाई, चरम पर बेरोजगारी सहित पिछले सत्र के दौरान विधायकों के साथ हुई मारपीट को विपक्ष भूला नहीं है.
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) तो लगातार सीएम नीतीश (CM Nitish Kumar) से ये सवाल पूछ रहे हैं कि सफेद दाढ़ी वाले और नालंदा के वो अधिकारी कौन हैं, जिनकी गलत सूचना के बाद विधायकों के साथ क्रूर रवैया अपनाया गया.
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मॉनसून सत्र की पूर्व संध्या पर राबड़ी आवास में महागठबंधन विधायक दल की हुई बैठक के बाद तेजस्वी यादव ने सबसे पहले 23 मार्च का जिक्र किया, जिस दिन सत्र के दौरान सदन में विधायकों पर लाठियां बरसाई गई, उन्हें घसीटा गया. तेजस्वी ने कहा कि इस मामले में उचित कार्रवाई क्यों नहीं की गई, इसका जवाब देना चाहिए.
"लोकतंत्र के मंदिर में विधायकों को नीतीश कुमार के इशारे पर पिटाई की गई. महिला विधायकों के साथ दुर्व्यवहार किया गया. उस दृश्य को सबने देखा और वो काला दिन आज भी हमें याद है. उस दिन को हम काला अध्याय के रूप में मानते हैं. इस मामले के दोषियों पर कार्रवाई करने को लेकर हमने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भी लिखा था, लेकिन इस मामले में कार्रवाई के नाम पर महज दो पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया. नीतीश कुमार के राज में यही हो रहा है कि छोटी मछलियों को पकड़ो और बड़ी मछलियों को छोड़ दो. यह गलत परंपरा की शुरुआत है."- तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष
"सब लोग जानते हैं कि नीतीश कुमार के इशारे के बिना यह सब कुछ नहीं हुआ है. आखिर वो सफेद बाल और दाढ़ी वाला कौन है, जो अधिकारियों को जानकारी देते हैं. वो किसका ऑर्डर लेकर जानकारी पहुंचाते हैं. उस नालंदा मॉडल के अधिकारी पर कार्रवाई नहीं की जाती है. लोकतंत्र के मंदिर में जब विधायकों को पीटा जाता है, तो उसकी क्या मर्यादा रह जाएगी."- तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष
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राजनीतिक जानकारों की मानें तो सफेद दाढ़ी और बाल वाले वो एमएलसी और पार्टी के मुख्य सचेतक संजय गांधी हैं. कहा जाता है कि बिहार सरकार के मुख्य फैसलों से पहले सबसे ज्यादा चिंतित होने वाले नीतीश कुमार के सिपहसलारों में से एक संजय गांधी हैं. अपनी पार्टी, सरकार या फिर विपक्ष सभी पर नजर रखने में इनकी खास भूमिका होती है.
पल-पल की रिपोर्ट और हलचल की जानकारी ये नीतीश तक पहुंचाते हैं. जानकार बताते हैं कि अगर ये किसी नेता से मिलने जाते हैं, तो समझा जाता है कि नीतीश कुमार का कोई खास संदेश उस तक पहुंचाना है.
वहीं नालंदा मॉडल के अधिकारी के रूप में राजनीतिक विशेषज्ञों का ध्यान नीतीश कुमार के खास और चहेते आईएएस अफसर चंचल कुमार की ओर जाता है. नीतीश कुमार ब्यूरोक्रेसी के खासे पसंदीदा नेताओं में से एक हैं. IIT कानपुर से एमटेक चंचल कुमार 1992 बैच के आईएएस अधिकारी है. बिहार की ब्यूरोक्रेसी में सबसे पावरफुल माने जाते हैं.
नीतीश कुमार जब रेल मंत्री (1998-99) थे, तब से ही उनके साथ हैं. अक्सर 2-3 विभागों को संभालते हैं. मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव पद पर इनकी तैनाती सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. बिहार में कई योजनाओं को लागू करने के पीछे इनका दिमाग माना जाता है। इनके बारे में कहा जाता है कि ये ब्यूरोक्रेट के साथ अच्छे टेक्नोक्रेट भी हैं.
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