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सुशील मोदी ने जातीय जनगणना पर केंद्र के फैसले को बताया सही, कहा- राज्य सरकार चाहे तो अपने स्तर से करा ले - जातीय जनणगना परसुशील कुमार मोदी का बयान

बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने कहा कि आरजेडी (RJD) के लोग कहते हैं कि जातीय जनगणना (Caste Census) के लिए सिर्फ एक कॉलम ही तो जोड़ना है, तो मैं कहना चाहता हूं कि ऐसा कर देने से नहीं हो जाएगा. उन्होंने कहा कि इस बार डिजिटल तरीके से जनगणना होनी है, ऐसे में साथ-साथ जातीय जनगणना संभव नहीं है.

सुशील कुमार मोदी
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Published : Sep 29, 2021, 5:38 PM IST

पटना: बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने एक बार फिर जातीय जनगणना (Caste Census) पर केंद्र सरकार (Central Government) के रुख का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि केंद्र तो अपनी असमर्थता जता दी है, अब अगर बिहार सरकार (Bihar Government) चाहे तो वह अपने खर्चे पर जाति आधारित जनगणना करा सकती है.

ये भी पढ़ें: कभी नीतीश की हर बात पर हां में हां मिलाते थे सुशील मोदी, केंद्र में जाते ही दिखाने लगे 'आंख'!

बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि जनगणना को लेकर केंद्र सरकार ने तैयारी कर ली है. इस बार डिजिटली इसको किया जाएगा और 3 साल पहले से ही इसकी तैयारी होती है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 में जब जातीय जनगणना को लेकर बातें सामने आई थी तो पता चला कि 46 लाख से ज्यादा जातियां यहां है, जिसकी गणना असंभव है.

सुशील कुमार मोदी का बयान

बीजेपी नेता ने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति (SC-ST) की गणना होती है. इसका मुख्य कारण है कि चुनाव में उनके लिए सीट आरक्षित है. सभी पिछड़े वर्ग की गणना हो, ये संभव नहीं है.

ये भी पढ़ें: RJD ने कहा- जातीय जनगणना पर गृहमंत्री से क्या बात हुई CM नीतीश करें खुलासा

सुशील मोदी ने कहा कि कई राज्यों ने अपने खर्चे पर जातीय जनगणना करायी है. कर्नाटक हो या तेलंगाना, इन राज्यों ने ऐसा कराया है. अगर कोई राज्य चाहता है कि जातीय जनगणना हो तो अपने खर्चे से करवा सकता है. उन्होंने कहा कि आरजेडी (RJD) के लोग कहते हैं कि इसमें एक कॉलम सिर्फ जोड़ना है, वैसा नहीं होता है. उन्हें जनगणना के बारे में क्या जानकारी है, इसीलिए ये मान के चालिए जिस तरह केंद्र ने बताया है वो साफ स्पष्ट है कि केंद्र ने अपनी मंशा भी बता दी है और मजबूरी भी जता दिया है.

आपको बताएं कि केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा गया है कि वह 2021 की जनगणना में जाति के आधार पर जनगणना का निर्देश नहीं दे. इधर, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने भी केंद्र सरकार को कहा है कि पिछड़े वर्गों की गणना प्रशासनिक पर मुश्किल है. इससे जनगणना की पूर्णता और सटीकता दोनों को नुकसान होगा. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, 'पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर' है और जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना सतर्क नीति निर्णय है.'

पटना: बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने एक बार फिर जातीय जनगणना (Caste Census) पर केंद्र सरकार (Central Government) के रुख का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि केंद्र तो अपनी असमर्थता जता दी है, अब अगर बिहार सरकार (Bihar Government) चाहे तो वह अपने खर्चे पर जाति आधारित जनगणना करा सकती है.

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बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि जनगणना को लेकर केंद्र सरकार ने तैयारी कर ली है. इस बार डिजिटली इसको किया जाएगा और 3 साल पहले से ही इसकी तैयारी होती है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 में जब जातीय जनगणना को लेकर बातें सामने आई थी तो पता चला कि 46 लाख से ज्यादा जातियां यहां है, जिसकी गणना असंभव है.

सुशील कुमार मोदी का बयान

बीजेपी नेता ने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति (SC-ST) की गणना होती है. इसका मुख्य कारण है कि चुनाव में उनके लिए सीट आरक्षित है. सभी पिछड़े वर्ग की गणना हो, ये संभव नहीं है.

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सुशील मोदी ने कहा कि कई राज्यों ने अपने खर्चे पर जातीय जनगणना करायी है. कर्नाटक हो या तेलंगाना, इन राज्यों ने ऐसा कराया है. अगर कोई राज्य चाहता है कि जातीय जनगणना हो तो अपने खर्चे से करवा सकता है. उन्होंने कहा कि आरजेडी (RJD) के लोग कहते हैं कि इसमें एक कॉलम सिर्फ जोड़ना है, वैसा नहीं होता है. उन्हें जनगणना के बारे में क्या जानकारी है, इसीलिए ये मान के चालिए जिस तरह केंद्र ने बताया है वो साफ स्पष्ट है कि केंद्र ने अपनी मंशा भी बता दी है और मजबूरी भी जता दिया है.

आपको बताएं कि केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा गया है कि वह 2021 की जनगणना में जाति के आधार पर जनगणना का निर्देश नहीं दे. इधर, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने भी केंद्र सरकार को कहा है कि पिछड़े वर्गों की गणना प्रशासनिक पर मुश्किल है. इससे जनगणना की पूर्णता और सटीकता दोनों को नुकसान होगा. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, 'पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर' है और जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना सतर्क नीति निर्णय है.'

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