पटनाः बिहार कर्मचारी चयन आयोग (Bihar Staff Selection Commission) द्वारा साल 2014 में विभिन्न विभागों के लिए 13120 पदों के लिए प्रथम इंटर स्तरीय बहाली निकाली गई थी, लेकिन यह बहाली प्रक्रिया 8 वर्षों बाद भी लंबित है. अभी तक फाइनल रिजल्ट प्रकाशित नहीं हुआ है, ना ही इस वैकेंसी के आलोक में विभागों में नियुक्ति हुई है ऐसे में इस वैकेंसी में शामिल होने वाले छात्र आक्रोशित हैं. यही वजह है कि अब ये छात्र (Student Protest Will Be At Bihar SSC Office) 28 जून को बिहार एसएससी कार्यालय का घेराव करने की तैयारी में हैं.
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2017 में हुई थी पीटी परीक्षाः दरअसल 2014 में जब बिहार एसएससी ने 13120 पदों के लिए वैकेंसी निकाली थी तब वैकेंसी निकलने के ढाई वर्ष बाद साल 2017 में इसकी पीटी परीक्षा हुई थी. इस परीक्षा में क्वेश्चन पेपर वायरल हो गया और पेपर लिक के कारण परीक्षा रद्द हो गई. आयोग के तत्कालीन सचिव परमेश्वर राम और सुधीर कुमार जैसे कई लोगों को गिरफ्तार करके जेल भी भेजा गया था और फिर दोबारा 2018 में पीटी की परीक्षा आयोजित की गई. इसके बाद फिर डेढ़ वर्षो बाद छात्रों के आंदोलन के बाद पीटी परीक्षा का रिजल्ट साल 2020 के जनवरी में जारी हुआ और फिर 25 दिसंबर 2020 को मुख्य परीक्षा आयोजित की गई. जिसमें 63000 परीक्षार्थी शामिल हुए.
25 फरवरी 2021 को आया था मेंस का रिजल्टः बिहार एसएससी के 1320 पदों के लिए 2014 में निकली वैकेंसी के मेंस परीक्षा का रिजल्ट 25 फरवरी 2021 को आया और इसमें 52000 परीक्षार्थियों को सफल घोषित किया गया. इसके बाद 13 जुलाई से 13 अगस्त 2021 के बीच टंकण, आशुलिपि और शारीरिक दक्षता परीक्षा आयोजित की गई. फिर 19 सितंबर 2021 को 1218 नए अभ्यर्थियों को फिर से पीटी का रिजल्ट जारी किया और इन लोगों के लिए 18 अक्टूबर को मुख्य परीक्षा आयोजित किया गया, जिसका 23 अक्टूबर 2021 को रिजल्ट प्रकाशित हुआ जिसमें 727 अभ्यर्थी सफल हुए. इन लोगों का 15 दिसंबर से 25 दिसंबर 2021 तक काउंसलिंग और शारीरिक दक्षता परीक्षा आयोजित की गई. जिसके बाद नॉन क्रीमी लेयर सर्टिफिकेशन के मुद्दे पर पटना हाईकोर्ट में जो पहले से केस चल रहा था उसे, पेटीशनर ने वापस ले लिया और सरकार ने न्यू नॉन क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट को मान्य करते हुए 2013-14 के आय के आधार पर न्यू नॉन क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट वाले अभ्यर्थियों के लिए बिहार कर्मचारी चयन आयोग को नॉन क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट बनाने का निर्देश दिया.
2014 में निकाली गई थी इंटर स्तरीय वैकेंसीः 14 जून तक ऐसे अभ्यर्थियों का नंन क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट को आयोग की वेबसाइट पर अपलोड करने और 20 जून तक आयोग को स्पीड पोस्ट करने का समय दिया गया. जिसके बाद अब हजारों परीक्षार्थी फाइनल रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं. इसी रिजल्ट की मांग को लेकर के 28 जून को अभ्यर्थी बिहार एसएससी कार्यालय का घेराव करने जा रहे हैं. बिहार एसएससी के अभ्यर्थियों की लड़ाई लड़ने वाले छात्र नेता दिलीप कुमार बताते हैं कि 2014 में 13120 पदों के लिए प्रथम इंटर स्तरीय वैकेंसी निकाली गई. लेकिन यह बहाली 8 साल बाद भी पूरी नहीं हुई है. बहाली का नोटिफिकेशन निकलने के बाद परीक्षा के लिए अभ्यर्थियों को संघर्ष करना पड़ा इसके बाद परीक्षा हुआ तो फिर रिजल्ट के लिए संघर्ष करना पड़ा फिर रिजल्ट आया तो मेंस परीक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ा और अब मींस परीक्षा का फाइनल रिजल्ट के लिए भी छात्रों का संघर्ष जारी है.
"बीते 5 वर्षों की बात करें तो आयोग ने बमुश्किल 4000 नौकरियां युवाओं को दी है जिसमें स्टेनोग्राफर और नर्सेज के पद शामिल है ऐसे में आयोग की प्रासंगिकता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब आयोग 8 वर्षों में किसी नौकरी के लिए बहाली नहीं करा पा रहा है तो आयोग के बने रहने का कोई मतलब नहीं है. रिटायर्ड अधिकारी को आयोग का सचिव बना दिया गया है जो शिथिलता से काम करते हैं, ऐसे में सरकार को चाहिए कि जब आयोग प्रदेश में नौकरी देने में सक्षम नहीं है तो इस आयोग को भंग कर दिया जाए क्योंकि हर साल आयोग के अधिकारियों के वेतन और आयोग के भवन के रखरखाव समेत तमाम क्रियाकलापों में करोड़ों रुपये सरकार के खर्च होते हैं"- दिलीप कुमार, छात्र नेता
इससे पहले भी हो चुका है प्रदर्शनः बता दें कि इससे पहले भी रिजल्ट नहीं निकलने के कारण कई बार छात्रों ने कर्मचारी चयन आयोग के पास हंगामा किया है. काफी साल बीत जाने के बाद भी नतीजा नहीं आने के कारण छात्रों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है. एक बार फिर 2014 से नोकरी की आस लगाए ये छात्र अब 28 जून को अपनी एकता का प्रदर्शन करते हुए बिहार एसएससी कार्यालय का घेराव करेंगे और अविलंब रिजल्ट प्रकाशित करने की मांग करेंगे. वहीं, छात्र नेता का कहना है कि बिहार में कर्मचारी चयन आयोग जब भी कोई वैकेंसी लाता है तो बहाली की पूरी प्रक्रिया करने में कई वर्षों का लंबा समय लगा देता है, जिससे प्रदेश के काफी संख्या में युवाओं का भविष्य बर्बाद होता है.