पटना: बिहार के प्राथमिक, मध्य और माध्यमिक स्कूलों में नियोजन की प्रक्रिया पिछले कई महीनों से चल रही है. माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों की नियुक्तियों को लेकर कई बार अभ्यर्थी सवाल उठा चुके हैं. एसटीईटी पास अभ्यर्थी छठे चरण में उत्क्रमित विद्यालयों की रिक्तियों को जोड़ने की मांग कर रहे हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में अभ्यर्थियों ने कहा कि सरकार ने हमें रोड पर भटकने के लिए छोड़ दिया है.
'रिक्तियों की संख्या काफी कम'
इन अभ्यर्थियों का कहना है कि वह 2011-12 में एसटीईटी और बी.एड परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भी नियोजन से आज तक वंचित हैं. एसटीईटी पास अभ्यर्थी धनंजय कुमार ने कहा कि अपनी मांगों को लेकर शिक्षा मंत्री, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव और मुख्यमंत्री सचिवालय में अपनी मांग रख चुके हैं. लेकिन कहीं से कोई रिस्पांस नहीं मिल रहा है. बीजेपी कार्यालय में ज्ञापन देने पहुंचे धनंजय कुमार ने कहा कि छठे चरण में माध्यमिक शिक्षकों के नियोजन में भी उत्क्रमित विद्यालयों की खाली सीटों को नहीं जोड़ा गया है. नियोजन में सिर्फ मृत और सेवानिवृत्त को ही खाली सीट का आधार बनाया गया है. जिसके कारण खाली सीटों की संख्या काफी कम है.
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'मामले को गंभीरता से नहीं ले रही सरकार'
शिक्षक अभ्यर्थियों ने कहा कि शिक्षा मंत्री ने खुद यह स्वीकार किया है कि राज्य के 5520 उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों में बच्चों का नामांकन तो हो रहा है. लेकिन एक भी शिक्षक नहीं है. वहीं, एक अप्रैल 2020 से बिहार में 2950 उत्क्रमित हाई स्कूल खोले गए हैं. लेकिन इस स्कूलों में खाली सीट होने के बावजूद सरकार इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है.