नई दिल्ली: बाजार में खराब गुणवत्ता वाली दवाओं का पता लगाने की अपनी प्रक्रिया को तेज करते हुए भारत की ड्रग रेगूलेटरी (CDSCO) ने दिसंबर के महीने में विभिन्न दवा कंपनियों द्वारा निर्मित 135 दवाओं की पहचान स्टैंडर्ड क्वालिटी (NSQ) के रूप में नहीं की है. इसके साथ, पिछले तीन महीनों में मानक गुणवत्ता के नहीं पाई गई दवाओं की कुल संख्या 336 हो गई.
दिलचस्प बात यह है कि सेफपोडोक्साइम टैबलेट आईपी 200 मिलीग्राम, एक एंटीबायोटिक जो बैक्टीरिया के कारण होने वाले कुछ संक्रमणों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है और जन औषधि केंद्रों को वितरित किया जाता है. यह भी दिसंबर में स्टैंडर्ड क्वालिटी का नहीं पाया गया है. यह स्पेसिफिक दवा गुजरात स्थित भारत पैरेंटरल्स लिमिटेड द्वारा निर्मित की गई थी.
सामान्य NSQ दवाएं
अन्य सामान्य दवाएं, जिन्हें मानक गुणवत्ता के रूप में नहीं पहचाना गया है, उनमें डाइवलप्रोएक्स एक्सटेंडेड-रिलीज टैबलेट IP, मेटफॉर्मिन हाइड्रोक्लोर IDE टैबलेट IP, जिंक सल्फेट डिस्पर्सिबल टैबलेट IP, मेटफ़ॉर्मिन टैबलेट IP 500 mg, एमोक्सीमून CV-625, पैरासिटामोल टैब IP 500 mg आदि शामिल हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय की कार्रवाई
ऐसी दवाओं का पता लगाने की प्रक्रिया को रूटीन रेगूलेटरी सर्विलांस एक्टिविटी बताते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि जो दवाएं मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं है और नकली दवाओं की सूची मासिक आधार पर CDSCO पोर्टल पर प्रदर्शित की जा रही है.
मंत्रालय ने कहा, "दिसंबर 2024 के महीने के लिए केंद्रीय औषधि प्रयोगशालाओं ने 51 दवा नमूनों की पहचान मानक गुणवत्ता (NSQ) के अनुरूप नहीं की है. वहीं, स्टेट ड्रग्स टेस्टिंग रेगूलेटरी ने भी 84 दवा नमूनों की पहचान मानक गुणवत्ता (NSQ) के अनुरूप नहीं की है."
बता दें कि एनएसक्यू और नकली दवाओं की पहचान करने की यह कार्रवाई राज्य नियामकों के सहयोग से नियमित आधार पर की जाती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन दवाओं की पहचान की जाए और उन्हें बाजार से हटाया जाए.
इस पहले 111 दवाओं की नहीं थी मानक गुणवत्ता नवंबर में 111 दवाएं मानक गुणवत्ता की नहीं पाई गईं और अक्टूबर में 90 दवाएं खराब गुणवत्ता की पाई गईं थीं. नवंबर में केंद्रीय औषधि प्रयोगशालाओं ने 41 दवा नमूनों की पहचान की थी और राज्य औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं ने 70 दवाओं के नमूनों की पहचान मानक गुणवत्ता के नहीं के रूप में की थी. नवंबर महीने में कुल 111 दवाएं पाई गईं.
एक्सपर्ट का क्या कहना है?
इस मुद्दे पर बात करते हुए प्रसिद्ध हेल्थ एक्सपर्ट डॉ तामोरिश कोले ने निष्कर्षों को गंभीर बताया. इंटरनेशनल फेडरेशन फॉर इमरजेंसी मेडिसिन की क्लिनिकल प्रैक्टिस कमेटी के अध्यक्ष कोले ने कहा, "दर्द निवारक, एंटीबायोटिक्स जैसी दवाएं भारत में काउंटर दवाओं के रूप में आम हैं और यह एक गंभीर मुद्दा है. स्वास्थ्य मंत्रालय को इस मामले से बहुत सख्ती से निपटना चाहिए."
डॉ कोले ने कहा कि आम जनता को भी सतर्क रहने और दवाओं के अनियंत्रित उपयोग से बचने की आवश्यकता है. उन्होंने सुझाव दिया कि फार्मेसी से कोई भी बिना डॉक्टर के पर्चे वाली दवा लेने से पहले हमेशा डॉक्टर से सलाह लें. उन्होंने कहा, "उचित दवा लोगों को खराब गुणवत्ता वाली दवाओं के किसी भी अप्रिय प्रभाव से बचा सकती है."