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बिहार के लिए जनसंख्या विकास की कुंजी! कानून के बजाय वैकल्पिक उपाय की मांग

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Published : Jul 14, 2021, 10:21 PM IST

Updated : Jul 14, 2021, 10:35 PM IST

ना सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश में आबादी (Population Growth) बेहिसाब बढ़ रही है. उसके साथ ही प्राकृतिक संसाधनों पर बोझ भी बढ़ रहा है. बिहार की जनसंख्या दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है. देखिए रिपोर्ट...

पटना
पटना

पटना: बढ़ती जनसंख्या (Population Growth) देश के लिए नासूर बन चुकी है. बिहार जैसे राज्य संसाधनों पर दबाव के चलते कराह रहे हैं. जनसंख्या नियंत्रण (Population Control) के लिए एक ओर जहां कानून बनाने की वकालत हो रही है, वहीं दूसरी तरफ जनसंख्या नियंत्रण के समाजशास्त्रीय विकल्प को अपनाने की मांग उठने लगी है.

ये भी पढ़ें- Pressure Politics: जनसंख्या नियंत्रण कानून के बहाने नीतीश पर दबाव बनाने की कोशिश में BJP, पढ़ें इनसाइड स्टोरी

बिहार की जनसंख्या दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है. साल 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार की आबादी 10 करोड़ 40 लाख 99 हजार थी, जो 2021 में बढ़कर 13 करोड़ पर पहुंच चुकी है. बिहार का जनसंख्या घनत्व प्रति वर्ग किलोमीटर 1106 व्यक्ति है. जनसंख्या घनत्व के मामले में बिहार तीसरे स्थान पर है. देश की जनसंख्या वृद्धि दर जहां 17.7 प्रतिशत है. बिहार की जनसंख्या वृद्धि दर 25.4 प्रतिशत है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

वर्तमान में बिहार की प्रजनन दर 2.9 प्रतिशत है, वहीं राष्ट्रीय स्तर पर प्रजनन दर 1.7 प्रतिशत है. शहरी इलाकों में प्रजनन दर 2.35 प्रतिशत है और ग्रामीण इलाकों में प्रजनन दर 3.11 प्रतिशत है. देश को विकास की पटरी पर लाने के लिए जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कानून बनाने की वकालत शुरु हो गई है, तो बुद्धिजीवियों की राय जनसंख्या नियंत्रण को लेकर अलग है.

अर्थशास्त्री विद्यार्थी विकास का मानना है कि शहरी इलाकों में प्रजनन दर कम है, जबकि ग्रामीण इलाकों में ज्यादा है. जो महिलाएं नौकरी में है, उनका प्रजनन दर भी कम है. जो महिलाएं ग्रेजुएट हो जाती हैं उनका प्रजनन दर 2% के आसपास है. जो महिला पढ़ी-लिखी नहीं है, उनमें प्रजनन दर अधिक है.

''जनसंख्या को बोझ मानने के बजाय संसाधन मानना चाहिए और उसका सकारात्मक उपयोग किया जाना चाहिए. जहां तक जनसंख्या नियंत्रण का सवाल है, तो जनसंख्या नियंत्रण के लिए शिक्षा और रोजगार अहम पहलू हैं. जो महिलाएं रोजगार में होती है, उनका प्रजनन दर 2% से कम होता है.''- विद्यार्थी विकास, अर्थशास्त्री

देखिए रिपोर्ट

''जनसंख्या हमेशा विकास में बाधक नहीं होती है. सरकार की नीतियां अगर सही हो तो जनसंख्या का सकारात्मक इस्तेमाल भी किया जा सकता है. सरकार की आर्थिक नीति ठीक हो, रोजगार के अवसर पैदा हो और स्किल डेवलपमेंट किया जाए तो जनसंख्या विकास की गति को पटरी पर ला सकती है.''- बीएन प्रसाद, समाजशास्त्री

''आबादी और जनसंख्या घनत्व के मामले में बिहार अव्वल है. लिहाजा संसाधनों पर दबाव बढ़ा है. जनसंख्या नियंत्रण हो इसके लिए मानव संसाधन को गुणवत्तापूर्ण बनाने की जरूरत है. इसके अलावा शिक्षा में सुधार और रोजगार के अवसर पैदा होने से जनसंख्या काबू में की जा सकती है. औद्योगिक क्षेत्र और सर्विस सेक्टर में तेजी से सुधार किए जाने की जरूरत है. सुधारात्मक कार्य के जरिए जनसंख्या कंट्रोल की जा सकती है.''- राकेश तिवारी, डेमोग्राफी के जानकार

ये भी पढ़ें- बिहार में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर NDA में तकरार! विपक्ष से ज्यादा नीतीश पर BJP हमलावर

ये भी पढ़ें- बिहार में बोले नित्यानंद राय- 'जनसंख्या नियंत्रण के लिए यूपी CM योगी का मॉडल बेहद जरूरी'

ये भी पढ़ें- ये तो होना ही था! जनसंख्या नियत्रंण नीति पर नीतीश कुमार और रेणु देवी आमने-सामने

पटना: बढ़ती जनसंख्या (Population Growth) देश के लिए नासूर बन चुकी है. बिहार जैसे राज्य संसाधनों पर दबाव के चलते कराह रहे हैं. जनसंख्या नियंत्रण (Population Control) के लिए एक ओर जहां कानून बनाने की वकालत हो रही है, वहीं दूसरी तरफ जनसंख्या नियंत्रण के समाजशास्त्रीय विकल्प को अपनाने की मांग उठने लगी है.

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बिहार की जनसंख्या दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है. साल 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार की आबादी 10 करोड़ 40 लाख 99 हजार थी, जो 2021 में बढ़कर 13 करोड़ पर पहुंच चुकी है. बिहार का जनसंख्या घनत्व प्रति वर्ग किलोमीटर 1106 व्यक्ति है. जनसंख्या घनत्व के मामले में बिहार तीसरे स्थान पर है. देश की जनसंख्या वृद्धि दर जहां 17.7 प्रतिशत है. बिहार की जनसंख्या वृद्धि दर 25.4 प्रतिशत है.

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वर्तमान में बिहार की प्रजनन दर 2.9 प्रतिशत है, वहीं राष्ट्रीय स्तर पर प्रजनन दर 1.7 प्रतिशत है. शहरी इलाकों में प्रजनन दर 2.35 प्रतिशत है और ग्रामीण इलाकों में प्रजनन दर 3.11 प्रतिशत है. देश को विकास की पटरी पर लाने के लिए जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कानून बनाने की वकालत शुरु हो गई है, तो बुद्धिजीवियों की राय जनसंख्या नियंत्रण को लेकर अलग है.

अर्थशास्त्री विद्यार्थी विकास का मानना है कि शहरी इलाकों में प्रजनन दर कम है, जबकि ग्रामीण इलाकों में ज्यादा है. जो महिलाएं नौकरी में है, उनका प्रजनन दर भी कम है. जो महिलाएं ग्रेजुएट हो जाती हैं उनका प्रजनन दर 2% के आसपास है. जो महिला पढ़ी-लिखी नहीं है, उनमें प्रजनन दर अधिक है.

''जनसंख्या को बोझ मानने के बजाय संसाधन मानना चाहिए और उसका सकारात्मक उपयोग किया जाना चाहिए. जहां तक जनसंख्या नियंत्रण का सवाल है, तो जनसंख्या नियंत्रण के लिए शिक्षा और रोजगार अहम पहलू हैं. जो महिलाएं रोजगार में होती है, उनका प्रजनन दर 2% से कम होता है.''- विद्यार्थी विकास, अर्थशास्त्री

देखिए रिपोर्ट

''जनसंख्या हमेशा विकास में बाधक नहीं होती है. सरकार की नीतियां अगर सही हो तो जनसंख्या का सकारात्मक इस्तेमाल भी किया जा सकता है. सरकार की आर्थिक नीति ठीक हो, रोजगार के अवसर पैदा हो और स्किल डेवलपमेंट किया जाए तो जनसंख्या विकास की गति को पटरी पर ला सकती है.''- बीएन प्रसाद, समाजशास्त्री

''आबादी और जनसंख्या घनत्व के मामले में बिहार अव्वल है. लिहाजा संसाधनों पर दबाव बढ़ा है. जनसंख्या नियंत्रण हो इसके लिए मानव संसाधन को गुणवत्तापूर्ण बनाने की जरूरत है. इसके अलावा शिक्षा में सुधार और रोजगार के अवसर पैदा होने से जनसंख्या काबू में की जा सकती है. औद्योगिक क्षेत्र और सर्विस सेक्टर में तेजी से सुधार किए जाने की जरूरत है. सुधारात्मक कार्य के जरिए जनसंख्या कंट्रोल की जा सकती है.''- राकेश तिवारी, डेमोग्राफी के जानकार

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Last Updated : Jul 14, 2021, 10:35 PM IST
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