बेंगलुरु: 76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने देश भर के नागरिकों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं. इस दौरान उन्होंने एक कड़ा संदेश देते हुए भारत में लोकतंत्र की मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त की. अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने 75 साल पहले संविधान को अपनाने के बाद से देश की प्रगति को स्वीकार किया, लेकिन आज की अफसोसजनक स्थिति के बारे में भी चिंता जताई.
उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक राष्ट्र होने के सात दशकों से भी अधिक समय बाद भी भारत खुद को एक खतरनाक स्थिति में पाता है, जहां संविधान और लोकतंत्र की नींव ही खतरे में है.मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इन मूल सिद्धांतों की रक्षा के लिए चल रहे संघर्ष पर जोर देते हुए कहा, "संविधान को अपनाने के 75 साल बाद भी, हम अब ऐसी स्थिति का सामना कर रहे हैं, जहाँ हमें लोकतंत्र और संविधान के मूल्यों को बचाए रखने के लिए लड़ना होगा."
उन्होंने मौजूदा संकट को भारत के शासन के तीन महत्वपूर्ण स्तंभों - कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के कमजोर होने का परिणाम बताया. उनके अनुसार सरकार की इन शाखाओं में लगातार समझौता हो रहा है, कार्यपालिका सत्तावादी नियंत्रण में काम कर रही है, विधायिका वित्तीय प्रभाव से प्रभावित हो रही है और न्यायपालिका को डरा-धमकाकर अपने अधीन करने का प्रयास किया जा रहा है.
'कार्यपालिका को कमजोर किया जा रहा है'
उन्होंने देश के वर्तमान खतरनाक प्रक्षेपवक्र की चेतावनी देते हुए कहा, "सच्चाई यह है कि कार्यपालिका को तानाशाही ताकतों द्वारा कमजोर किया जा रहा है, विधायिका को खरीदा जा रहा है और न्यायपालिका को नियंत्रित करने के प्रयास जारी हैं. जब ये स्तंभ कमजोर होते हैं, तो हमारा लोकतंत्र खुद खतरे में पड़ जाता है."
'आंतरिक खतरों से लोकतंत्र को बचाएं'
मुख्यमंत्री ने प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी पर प्रकाश डाला कि वे आगे आएं और इन आंतरिक खतरों से लोकतंत्र को बचाएं. अतीत में देश को एकजुट करने वाले स्वतंत्रता संग्राम की तुलना करें. उन्होंने भारत के भीतर संविधान विरोधी ताकतों का सामना करने के लिए सामूहिक प्रयास का आग्रह किया.
सीएम ने कहा कि जिस तरह हमने अपनी एकता को बनाए रखने के लिए बाहरी दुश्मनों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, उसी तरह हमें अब उन लोगों के खिलाफ एकजुट होना चाहिए जो हमारे संविधान को अंदर से नष्ट करना चाहते हैं. यह स्वतंत्रता के लिए हमारा दूसरा संघर्ष है.
सीएम ने संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए देशव्यापी संकल्प का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि गांधी और आंबेडकर के आदर्शों ने भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. हमारे पास अपने लोकतंत्र को बचाने के लिए जो हथियार हैं, वे गांधीजी और आंबेडकर के विचार और मूल्य हैं. इन सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रेन्यु करने का समय आ गया है.
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