पटना: देश में बिहार अकेला राज्य है, जहां पूर्ण शराब बंदी लागू है. नीतीश कुमार ने शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करवाने के लिए कड़े कानून बनाए थे. हालांकि बाद में कुछ संशोधन हुए. राज्य के अंदर शराबबंदी कानून ठीक से लागू हो और दोषियों को सजा मिले, इसके लिए 12 अप्रैल 2017 को स्पेशल कोर्ट के गठन का निर्णय लिया गया. स्पेशल कोर्ट सिर्फ शराबबंदी से जुड़े मामलों की ही सुनवाई करती है.
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स्पेशल कोर्ट का गठन
बिहार में पूर्ण शराब बंदी लागू है. शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. न्यायालय पर पहले से ही दबाव ज्यादा था और शराबबंदी कानून लागू होने के बाद देश में मामलों की भरमार हो गई. ऐसे में सरकार ने राज्य के अंदर स्पेशल कोर्ट के गठन का फैसला लिया. बिहार के सभी 38 जिलों में स्पेशल कोर्ट का गठन किया गया. पहला विशेष न्यायालय पटना सिविल कोर्ट में गठित किया गया.
पुलिस अधिकारियों को किया गया बर्खास्त
पटना उच्च न्यायालय ने निचली अदालत को निर्देशित किया कि शराबबंदी से जुड़े मामलों की सुनवाई स्पीडी ट्रायल के तहत की जाए. विशेष न्यायालय में सिर्फ शराबबंदी से जुड़े मामलों की सुनवाई ही की गई. शराबबंदी कानून के तहत 4 साल के दौरान कुल 39467 मामले दर्ज हुए और 48187 गिरफ्तारियां हुई. इस दौरान लापरवाही बरतने के आरोप में 95 पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त भी किया गया. 4 साल के दौरान सिर्फ 108 लोगों को ही शराब बंदी कानून के तहत सजा दिलाई जा सके.
शराब को किया गया नष्ट
चार साल के दौरान कुल 28 लाख 91 हजार 731 लीटर शराब की बरामदगी हुई. 6 हजार 316 दोपहिया वाहन बरामद किए गए. कुल बरामद वाहनों की संख्या 9519 रही. सरकार के आदेश पर 26 लाख 3 हजार 956 लीटर शराब को नष्ट भी किया गया.
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सरकार ने विशेष न्यायालय तो गठित किए, लेकिन जिस तरीके से शराबबंदी कानून को लेकर मामले हर रोज दर्ज हो रहे हैं, इससे न्यायालय के सामने बड़ी संकट है. जितने संसाधन न्यायालय के सामने हैं, उससे शराब बंदी कानून से जुड़े मामलों की सुनवाई में कई साल लग जाएंगे.