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'बिहार में बाढ़ की विभीषिका का स्थायी समाधान नेपाल सरकार से बातचीत के बाद ही संभव' - पटना न्यूज

बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन मंत्री लक्ष्मेश्वर राय बाढ़ की विभीषिका से बचने के सवाल पर बचते नजर आए. उन्होंने माना कि नेपाल से जरूरत से ज्यादा पानी छोड़े जाने के कारण ही बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई है.

लक्ष्मेश्वर राय, आपदा प्रबंधन मंत्री
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Published : Jul 17, 2019, 4:48 PM IST

पटना: राज्य के 12 जिलों में बाढ़ के कारण स्थिति गंभीर है. विधानसभा के सत्र में प्रत्येक दिन विपक्ष सरकार को घेर रहा है. वहीं, सरकार की तरफ से राहत और बचाव कार्य को लेकर जबाव भी दिये जा रहे हैं. इस बाढ़ के कारण 25 लाख की आबादी प्रभावित है, तो अब तक 65 लोगों की डूबने से मौत हो चुकी है. लेकिन हर साल आने वाले इस बाढ़ को लेकर सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है, कि किस तरह से इस विभीषिका से बचा जाए.

बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन मंत्री लक्ष्मेश्वर राय बाढ़ की विभीषिका से बचने के सवाल पर बचते नजर आए. उन्होंने माना कि नेपाल से जरूरत से ज्यादा पानी छोड़े जाने के कारण ही बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई है. उन्होंने कहा कि बाढ़ आने के बाद राहत और बचाव कार्य किये जा रहे है. बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम भेज दी गई है. बाढ़ पीड़ितों के बीच स्वास्थ्य कैंप लगाया गया है. उनके खाने के लिए सामुदायिक रसोई का निर्माण कराया गया है. वहीं, इस बाढ़ की स्थिति पर सीएम नीतीश कुमार खुद मानिटरिंग कर रहे हैं.

लक्ष्मेश्वर राय, आपदा प्रबंधन मंत्री

'बाढ़ पीड़ितों को बेसहारा नहीं छोड़ने वाली सरकार'

आपदा प्रबंधन मंत्री ने नेपाल से पानी छोड़े जाने को लेकर कहा कि जब तक नेपाल सरकार से इस मामले पर सार्थक बातचीत नहीं होती है. तब तक इस स्थिति पर नियंत्रण पाना मुश्किल है. वहीं, उन्होंने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि विपक्ष को सरकार के द्वारा चलाये जा रहे राहत और बचाव कार्य से कोई मतलब ही नहीं है. लेकिन नीतीश सरकार एक भी बाढ़ पीड़ित को बेसहारा नहीं छोड़ने वाली है.

पटना: राज्य के 12 जिलों में बाढ़ के कारण स्थिति गंभीर है. विधानसभा के सत्र में प्रत्येक दिन विपक्ष सरकार को घेर रहा है. वहीं, सरकार की तरफ से राहत और बचाव कार्य को लेकर जबाव भी दिये जा रहे हैं. इस बाढ़ के कारण 25 लाख की आबादी प्रभावित है, तो अब तक 65 लोगों की डूबने से मौत हो चुकी है. लेकिन हर साल आने वाले इस बाढ़ को लेकर सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है, कि किस तरह से इस विभीषिका से बचा जाए.

बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन मंत्री लक्ष्मेश्वर राय बाढ़ की विभीषिका से बचने के सवाल पर बचते नजर आए. उन्होंने माना कि नेपाल से जरूरत से ज्यादा पानी छोड़े जाने के कारण ही बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई है. उन्होंने कहा कि बाढ़ आने के बाद राहत और बचाव कार्य किये जा रहे है. बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम भेज दी गई है. बाढ़ पीड़ितों के बीच स्वास्थ्य कैंप लगाया गया है. उनके खाने के लिए सामुदायिक रसोई का निर्माण कराया गया है. वहीं, इस बाढ़ की स्थिति पर सीएम नीतीश कुमार खुद मानिटरिंग कर रहे हैं.

लक्ष्मेश्वर राय, आपदा प्रबंधन मंत्री

'बाढ़ पीड़ितों को बेसहारा नहीं छोड़ने वाली सरकार'

आपदा प्रबंधन मंत्री ने नेपाल से पानी छोड़े जाने को लेकर कहा कि जब तक नेपाल सरकार से इस मामले पर सार्थक बातचीत नहीं होती है. तब तक इस स्थिति पर नियंत्रण पाना मुश्किल है. वहीं, उन्होंने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि विपक्ष को सरकार के द्वारा चलाये जा रहे राहत और बचाव कार्य से कोई मतलब ही नहीं है. लेकिन नीतीश सरकार एक भी बाढ़ पीड़ित को बेसहारा नहीं छोड़ने वाली है.

Intro:नेपाल से छोड़े गए पानी का कुप्रबंधन है बाढ़ का कारण।
राज्य के 12 जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर है। विधान मंडल के सत्र में रोजाना इस विषय पर विपक्ष सरकार को घेरने में जुटी है।
वहीं सरकार बचाओ कार्ड का आंकड़ा पेश करने से नहीं थक रही।
लेकिन सवाल आज भी यही है खड़ा है कि आखिर कब तक बिहार को इस बाढ़ की विभीषिका झेलनी होगी।
ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में आपदा प्रबंधन मंत्री लक्ष्मेश्वर राय ने दिए बाढ़ से जुड़े सवालों के जवाब।


Body:आपदा प्रबंधन मंत्री ने कहा कि विपक्ष बिला वजह सवाल खड़ा कर रहा है नीतीश सरकार एक भी बाढ़ पीड़ित को बेसहारा नहीं छोड़ने वाली।
बाढ़ ग्रस्त इलाकों में शिविर राहत कैंप और समुदायक किचन चलाए जा रहे हैं।



Conclusion:लेकिन विपक्ष को इन कार्यों कार्यों से कोई मतलब नहीं वे तो सिर्फ राजनीति करने में लगे हैं।
गौरतलब है कि कमोबेश हर वर्ष सीमांचल मिक्स अंचल के जिलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती ही है। नेपाल से छोड़े गए पानी का कुप्रबंधन इस बार का कारण बन गया है। हालांकि आपदा प्रबंधन मंत्री यह जरूर मानते हैं कि नेपाल द्वारा छोड़े गए पानी का अगर प्रबंधन कर दिया जाए तो इस स्थिति से निपटा जा सकता है।
लेकिन शायद सरकार भी इस समस्या से निपटने के लिए गंभीर नहीं है।
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