पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण इस बार बड़ी संख्या में लोगों की जान ले रहा है. ऐसे लॉकडाउन के कारण संक्रमण की दर घटी है, लेकिन वैक्सीनेशन के मामले में बिहार अभी भी काफी पीछे है. बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ के आसपास है और उसमें 8 करोड़ के आसपास युवा आबादी है 18 साल से 44 वर्ष तक के युवा की आबादी 5.47 करोड़ है.
ये भी पढ़ें- सुशासन बाबू, आपके राज में कोरोना नहीं, ये प्राइवेट अस्पताल वाले मार डालेंगे
'वैक्सीन से ही कोरोना पर जीत संभव'
विशेषज्ञ कहते हैं कि बिहार में जिस रफ्तार से टीकाकरण हो रहा है, ऐसे में सबके वैक्सीनेशन में लंबा समय लग जाएगा. बिहार में धीमा वैक्सीनेशन कार्यक्रम को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी नीतीश कुमार पर लगातार निशाना साध रहे हैं. विशेषज्ञ भी कहते हैं कि वैक्सीन से ही कोरोना महामारी पर हम जीत हासिल कर सकते हैं.
जनवरी से जारी है कोरोना वैक्सीनेशन
बिहार में जनवरी से ही वैक्सीनेशन का काम शुरू है और अब तक 90 लाख 14 हजार 237 लोगों का टीकाकरण हो चुका है, जिसमें 71 लाख 35 हजार 489 को पहला डोज दिया गया है, वहीं 18 लाख 81 हजार 367 लोगों को दोनों डोज दिया जा चुका है. बिहार में टीकाकरण का कार्य 16 जनवरी से ही शुरू है. एक मई से 18 से 44 वर्ष के लोगों का भी टीकाकरण शुरू हुआ है.
बिहार में कोरोना वैक्सीन की कमी
वैक्सीन नहीं होने के कारण बिहार में 1 सप्ताह के बाद ही वैक्सीनेशन शुरू हुआ, लेकिन वो भी बहुत धीमी गति से चल रहा है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 18 से 44 वर्ष के 5 करोड़ 47 लाख युवाओं को वैक्सीन मुफ्त में लगाया जाएगा और उसके लिए 10 करोड़ 94 लाख डोज की जरूरत होगी.
टीकाकरण की धीमी रफ्तार
विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है की वैक्सीन की जो रफ्तार बिहार में है, वह संतोषजनक नहीं है, क्योंकि कोरोना संक्रमण को रोकना है तो वैक्सीनेशन एक बड़ा टूल है. इससे हम अपने स्वास्थ्य व्यवस्था पर आने वाले दबाव को भी रोक सकते हैं.
ये भी पढ़ें- कोरोना से लड़ाई में मील का पत्थर साबित होगी DRDO की एंटी कोविड दवा 2-डीजी: मंगल पांडे
''बिहार में 13 करोड़ से अधिक आबादी है और उसमें 8 करोड़ से अधिक युवा हैं और उसके लिए 16 करोड डोज की जरूरत पड़ेगी, इसलिए वैक्सीन का प्रोडक्शन जल्द से जल्द बढ़ाना होगा. डॉ. दिवाकर का ये भी कहना है कि वैक्सीन की बर्बादी को भी कम करना होगा''- डॉ. दिवाकर तेजस्वी, विशेषज्ञ चिकित्सक
''पूरे देश में अभी मात्र 3% आबादी को ही दो डोज लगे हैं और 9 से 10% के बीच की आबादी को एक डोज लग चुका है. ऐसे में वैक्सीन का उत्पादन अधिक से अधिक हो यह जरूरी है और उससे भी अधिक जरूरी है कि गांव में सही ढंग से लोगों को वैक्सीन लग सके, उसके लिए भी तैयारी करनी होगी. वैक्सीन से ही हम कोरोना महामारी पर जीत हासिल कर सकते हैं.''- डॉ. राजीव रंजन, विशेषज्ञ चिकित्सक
''वैक्सीन का प्रोडक्शन लगातार देश में बढ़ रहा है, लेकिन विपक्षी दलों के रवैए के कारण कई तरह की गलतफहमियां पैदा हो रही हैं. ऐसे मौके में सबको पॉजिटिव सोच के साथ आगे आने की जरूरत है.''- डॉ. सुनील सिंह, अध्यक्ष, जदयू चिकित्सा प्रकोष्ठ
''जिस रफ्तार से अभी बिहार में टीकाकरण हो रहा है, यदि इसी तरह होता रहा तो सबको वैक्सीनेट करने में कई साल लग जाएंगे. इसलिए जरूरी है कि देश में वैक्सीन का उत्पादन बढ़े. साथ ही बिहार सरकार को यदि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहल करनी पड़े तो करना चाहिए.''- विद्यार्थी विकास, प्रोफेसर, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट
देश में कोविशिल्ड की कमी
देश में फिलहाल कोवैक्सीन और कोविशिल्ड लोगों को दिया जा रहा है. कोविशिल्ड की कमी के कारण दूसरा डोज अब 12 से 16 सप्ताह में देने का फैसला लिया गया है. जबकि पहले यह 6 से 8 सप्ताह में दिया जाता रहा था, लेकिन वैक्सीन की कमी और विशेषज्ञों के अनुसार दूसरा डोज में ड्यूरेशन अधिक होने से असर ज्यादा होता है.
वैक्सीन की हो रही बर्बादी
एक तरफ बिहार सहित पूरे देश में वैक्सीन की काफी कमी है तो वहीं, वैक्सीन की बर्बादी भी खूब हो रही है. बर्बादी के मामले में बिहार देश के टॉप 5 राज्यों में शामिल है. बिहार को 95 लाख से अधिक वैक्सीन का डोज मिली हैं और उसमें से 5 लाख से अधिक बर्बाद हो चुका है.
मुफ्त टीकाकरण में करोड़ों का खर्च
महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात और दिल्ली सहित कई राज्यों में बिहार से अधिक टीकाकरण हुआ है. ऐसे में बिहार सरकार की तरफ से भी वैक्सीनेशन तेज करने के लिए एक करोड़ से अधिक का ऑर्डर दिया गया है. बिहार में मुफ्त टीकाकरण पर 4 हजार करोड़ से अधिक की राशि खर्च होगी. अभी हाल ही में कैबिनेट ने 1000 करोड़ की राशि इसके लिए स्वीकृत कर दिया है.
ये भी पढ़ें- गंडक नदी पर UP सरकार के चैनल निर्माण कार्य पर CM नीतीश ने लिया संज्ञान, जांच के दिए आदेश
वैक्सीनेशन को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार नीतीश सरकार पर निशाना साध रहे हैं, तो वहीं पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ग्लोबल टेंडर का सुझाव भी दे रहे हैं. ऐसे में जानकार बताते हैं कि सितंबर के बाद से देश में टीकाकरण का उत्पादन काफी बढ़ेगा और कई कंपनियों के टीके बाजार में आ जाएंगे उससे राहत मिलेगी.