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पद्मश्री मिलने पर बोलीं शांति जैन- समय पर ये सम्मान मिलता तो ज्यादा अच्छा होता - Folk songs and folk literature

पद्मश्री से सम्मानित शांति जैन ने कहा कि बिहार के धरोहर वशिष्ट बाबू को पद्मश्री से भी ऊंचा सम्मान मिलना चाहिए था, क्योंकि वो इससे ज्यादा के हकदार थे.

पटना
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Published : Jan 26, 2020, 4:56 PM IST

Updated : Jan 26, 2020, 9:52 PM IST

पटना: लोकगीत और लोक साहित्य के क्षेत्र में पिछले कई सालों से काम करने वाली शांति जैन को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा. पद्मश्री मिलने की खुशी शांति जैन के चेहरे पर साफ तौर से दिखी. इस सम्मान के मिलने पर उन्होंने कहा कि ये उन्हें कुछ देर से मिला है, अगर समय पर मिलता जो ज्यादा अच्छा होता.

पटना
पूर्व राष्ट्रपति से सम्मान प्राप्त करती शांति जैन

राजधानी के लोहानीपुर गिरी अपार्टमेंट की चौथी मंजिल पर रहने वाली शांति जैन ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि बिहार के धरोहर वशिष्ट बाबू को पद्मश्री से भी ऊंचा सम्मान मिलना चाहिए था, क्योंकि वो इससे ज्यादा के हकदार थे. बता दें कि लोक गीत और लोक साहित्य के क्षेत्र में शांति जैन को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है.

शांति जैन से खास बातचीत

बिहार सरकार से नहीं मिला कोई सम्मान
शांति जैन ने बताया कि अभी तक कविता की उनकी कुल 12 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है. लोक साहित्य की 14 पुस्तकें बाजारों में उपलब्ध है. पद्मश्री से सम्मानित शांति जैन बताती हैं कि अब तक उनकी 32 से 34 पुस्तकें बाजार में प्रकाशित हो चुकी हैं. लेकिन आज तक उन्हें बिहार सरकार से कोई सम्मान नहीं मिला है. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर कई बार उन्हें लोक संगीत और लोक साहित्य को लेकर सम्मानित किया गया है.

पटना: लोकगीत और लोक साहित्य के क्षेत्र में पिछले कई सालों से काम करने वाली शांति जैन को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा. पद्मश्री मिलने की खुशी शांति जैन के चेहरे पर साफ तौर से दिखी. इस सम्मान के मिलने पर उन्होंने कहा कि ये उन्हें कुछ देर से मिला है, अगर समय पर मिलता जो ज्यादा अच्छा होता.

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पूर्व राष्ट्रपति से सम्मान प्राप्त करती शांति जैन

राजधानी के लोहानीपुर गिरी अपार्टमेंट की चौथी मंजिल पर रहने वाली शांति जैन ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि बिहार के धरोहर वशिष्ट बाबू को पद्मश्री से भी ऊंचा सम्मान मिलना चाहिए था, क्योंकि वो इससे ज्यादा के हकदार थे. बता दें कि लोक गीत और लोक साहित्य के क्षेत्र में शांति जैन को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है.

शांति जैन से खास बातचीत

बिहार सरकार से नहीं मिला कोई सम्मान
शांति जैन ने बताया कि अभी तक कविता की उनकी कुल 12 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है. लोक साहित्य की 14 पुस्तकें बाजारों में उपलब्ध है. पद्मश्री से सम्मानित शांति जैन बताती हैं कि अब तक उनकी 32 से 34 पुस्तकें बाजार में प्रकाशित हो चुकी हैं. लेकिन आज तक उन्हें बिहार सरकार से कोई सम्मान नहीं मिला है. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर कई बार उन्हें लोक संगीत और लोक साहित्य को लेकर सम्मानित किया गया है.

Intro:लोकगीत और लोक साहित्य क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से काम करने वाली शांति जैन को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जाना है और पद्मश्री मिलने की खुशी शांति जैन के चेहरे पर साफ तौर से झलक रही है हालांकि वह कहती है यह सम्मान उन्हें कुछ देर से भी मिला पर मिला तो सही वही पटना के लोहानीपुर गिरी अपार्टमेंट के चौथे मंजिल पर रहने वाली शांति जैन ने ईटीवी भारत से खास बात करते हुए कहा कि बिहार के धरोहर वशिष्ट बाबू को पद्मश्री से भी ऊंचा सम्मान मिलना चाहिए था...


Body:दरअसल लोक गीत और लोक साहित्य के क्षेत्र में वर्षों से काम करने वाली शांति जयंती 2019 पद्म श्री सम्मान से सम्मानित किया जाना है छठ महापर्व पर किताब लिखने वाली यह पहली महिला लेखिका है कहा जाता है कि अपने आखिरी दिन में लोकनायक जयप्रकाश नारायण इन्हीं के भजन सुनकर सोते थे इनके भजन सुने बिना उन्हें नींद नहीं आती थी शांति जैन कहती हैं कि उन्हें यह सम्मान देर से मिला पर काम करने वालों को आज ना कल सम्मान मिलता ही है....

शांति जैन बताती है की कविता कि उनकी कुल अब तक 12 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है लोक साहित्य के 14 पुस्तकें बाजारों में उपलब्ध है पदम श्री शांति जैन बताती हैं कि अब तक उनकी 32 से 34 पुस्तके बाजार में प्रकाशित हो चुकी हैं पद्मश्री बताती है कि आज तक उन्हें बिहार से कोई सम्मान नहीं मिला हालांकि राष्ट्रीय लेबल पर कई बार उन्हें लोक संगीत और लोक साहित्य को लेकर सम्मानित किया गया.....


Conclusion:पद्मश्री शांति जैन बताती हैं कि बचपन में लोक साहित्य और लोक संगीत से उनकी रुचि जुड़ गई थी 6 साल की आयु से हैं वह फिल्मी गीतों की धुन पर अपने शब्दों को बैठा कर रचनाएं बनाया करती थी 8 और 9 साल की होते होते उनकी पहली कहानी सूरत से निकलने वाली एक पत्रिका में प्रकाशित हुई और 1977 से उनकी किताबें आम लोगों के लिए बाजारों में उपलब्ध हो गई शांति जैन जी बताती हैं कि उनके गीत ऑल इंडिया रेडियो से अप्रूव्ड है पूरे भारत में जो आज भी ऑल इंडिया रेडियो बजाया करता है....

आपको बताते चलें कि शांति जैन एचडी जैन कॉलेज आरा से संस्कृत की विभागाध्यक्ष के पद से अवकाश प्राप्त इन दिनों साहित्य की पुस्तक लिखने में व्यस्त रहती हैं ईटीवी भारत में जब गणतंत्र दिवस के दिन इनसे संपर्क किया तो उस समय भी अपने आवास पर साहित्य की पुस्तक ही लिखती पाई गई....

पद्मश्री शांति जैन बताती हैं की लोकगीतों में उनकी रुचि तो बचपन से ही थी और लोक साहित्य में उनकी रुचि किशोरावस्था के बाद बढ़ती गई और लोक साहित्य पर पहली पुस्तक लिखने का संगीत नाटक अकादमी से उन्हें पहला प्रस्ताव आया यह एक चुनौती की तरह था और मैंने चुनौती को स्वीकार करते हुए मैंने चैती पर डेढ़ सौ पन्ने की पहली पुस्तक लिख डाली और उसे पुस्तक ने राजभाषा का पहला पुरस्कार दिलवाया और उसके बाद धीरे-धीरे पद्मश्री शांति जैन की रुचि लोक साहित्य की ओर मुड़ गई....

शांति जैन जी कहती है कि अगर कोई किसी क्षेत्र में अच्छा कर रहा है तो उसको समय से तवज्जो जरूर मिलनी चाहिए जैसे जीनियस ओके जीनियस डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह को उनके जीते जी सम्मान नहीं मिल पाया शांति जैन ने कहा वशिष्ठ नारायण सिंह को पद्म विभूषण से ऊपर का पद्म भूषण का सम्मान मिलना चाहिए....।।
Last Updated : Jan 26, 2020, 9:52 PM IST
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