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बदहाल है नीतीश और लालू को राजनेता बनाने वाली पटना युनिवर्सिटी, शिक्षकों तक का घोर अभाव

पटना विश्वविद्यालय (Patna University) में शिक्षकों की कमी के कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रभावित हुई है. विश्वविद्यालय अपनी गरिमा के अनुरूप पहचान खो चुका है, जिसकी बड़ी वजह शिक्षकों की कमी है. जिस पर अब वीसी का कहना है कि 206 गेस्ट फैकल्टी शिक्षक जल्द बहाल किए जाएंगे. पढ़ें रिपोर्ट...

पटना विश्वविद्यालय
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Published : Oct 4, 2021, 9:30 PM IST

पटना: बिहार में पटना विश्वविद्यालय (Patna University) को 'पूरब का ऑक्सफोर्ड' कहा जाता है. कभी यह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए देशभर में काफी प्रसिद्ध रहा है. यह विश्वविद्यालय देश का सातवां सबसे पुराना विश्वविद्यालय है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिन्हा और प्रदेश के वर्तमान शिक्षा मंत्री विजय चौधरी समेत सैकड़ों राजनेता और राजनयिक पटना विश्वविद्यालय के छात्र रह चुके हैं.

ये भी पढ़ें- PU में और बेहतर होगा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का स्तर, सिंडिकेट बैठक में 583.98 करोड़ का बजट पारित

लेकिन, वर्तमान स्थिति यह है कि यह विश्वविद्यालय अपनी गरिमा के अनुरूप पहचान खो चुका है. देश के टॉप 100 विश्वविद्यालयों में भी पटना विश्वविद्यालय का नाम नहीं है. इसकी सबसे बड़ी और प्रमुख वजह शिक्षकों की कमी है.

देखें रिपोर्ट

पटना विश्वविद्यालय में शिक्षकों की घोर कमी है. पटना विश्वविद्यालय के अंतर्गत 10 कॉलेज आते हैं, जिसमें पटना वाणिज्य कॉलेज, पटना कॉलेज, पटना साइंस कॉलेज, पटना लॉ कॉलेज, मगध महिला कॉलेज, पटना वीमेंस कॉलेज, बीएन कॉलेज, महिला ट्रेनिंग कॉलेज, पटना ट्रेनिंग कॉलेज और कला एवं शिल्प महाविद्यालय पटना शामिल हैं. पटना विश्वविद्यालय के सभी कॉलेजों में शिक्षकों की घोर कमी है. स्थिति ऐसी है कि पटना विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में एक भी स्थाई शिक्षक नहीं है.

ये भी पढ़ें- स्थापना दिवस के मंच से फिर उठी मांग, पीयू को मिले केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा

90 के दशक में केमिस्ट्री में जहां 35 प्रोफेसर हुआ करते थे, वर्तमान समय में 8 प्रोफेसर हैं. विश्वविद्यालय में शिक्षकों के 854 पद स्वीकृत हैं, जिनमें कई विभागों में गेस्ट फैकल्टी के शिक्षक होने के बावजूद 276 शिक्षकों के पद खाली हैं. विश्वविद्यालय में लगभग 60 फीसदी स्थाई शिक्षकों के पद खाली हैं.

शिक्षकों की कमी का नतीजा यह है कि 2019 से पटना विश्वविद्यालय में अब तक पीएचडी कोर्स के लिए नामांकन नहीं लिया गया है. ऐसे में पटना विश्वविद्यालय में गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा बुरी तरह प्रभावित हुई है और छात्र जो बड़ी उम्मीदों से पटना विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा के लिए नामांकन कराते हैं, उनके अंदर इस बात का असंतोष है कि शिक्षकों की कमी के वजह से उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है.

ये भी पढ़ें- अनोखा विरोध: 4 साल 1 महीना 15 दिन का वेतन नहीं मिला, PU पर बकाया है 3,67,220 रुपया

पटना साइंस कॉलेज से केमिस्ट्री में मास्टर्स कर रहे छात्र चंदन चंचल ने कहा कि उनके विभाग में भी शिक्षकों की काफी कमी है और शिक्षकों की कमी विश्वविद्यालय के सभी डिपार्टमेंट में है. शिक्षकों की कमी की वजह से उन्हें और उनके साथियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है, जिसके लिए उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था. उन्होंने बताया कि पटना साइंस कॉलेज में केमिस्ट्री डिपार्टमेंट की बात करें तो ऑर्गेनिक में 3 शिक्षक, फिजिकल में 1 शिक्षक और इनॉर्गेनिक में 1 शिक्षक हैं.

''उनके केमिस्ट्री डिपार्टमेंट में फिजिकल में 1 डेमोंस्ट्रेटर है, जबकि ऑर्गेनिक और इनॉर्गेनिक में एक भी डेमोंस्ट्रेटर नहीं है. विश्वविद्यालय प्रबंधन से उनकी मांग है कि शिक्षकों की कमी को जल्द दूर किया जाए, ताकि वह और उनके साथी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हासिल कर सकें.''- चंदन चंचल, छात्र

ये भी पढ़ें- विश्वविद्यालय के हॉस्टलों की दयनीय स्थिति पर HC नाराज, राज्य सरकार को दिया निर्देश

पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष मनीष कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय में शिक्षकों की घोर कमी है और इस मुद्दे को लेकर वह लगातार विभिन्न प्लेटफार्म पर उठाते रहे हैं. विश्वविद्यालय के वीसी से भी शिक्षकों की कमी जल्द दूर करने को लेकर कई बार मुलाकात की है, लेकिन अब तक कोई ठोस निदान नहीं हुआ है. स्थापना दिवस समारोह के दिन शिक्षा मंत्री भी विश्वविद्यालय में पहुंचे, लेकिन वह विश्वविद्यालय के इंफ्रास्ट्रक्चर और पुराने दौर की बातों को दोहराकर निकल गए, जबकि शिक्षकों की कमी के मुद्दे पर कुछ नहीं बोले.

''विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी का हाल सिर्फ पटना विश्वविद्यालय की नहीं पूरे बिहार के सभी विश्वविद्यालय की यही स्थिति है. राज्य सरकार ने कई वर्षों से विश्वविद्यालय में नियमित शिक्षकों की बहाली नहीं की है और इसका नतीजा यह है कि प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में काफी गिरावट आ गई है.''- मनीष कुमार, अध्यक्ष, छात्र संघ

ये भी पढ़ें- सदन में उठा पटना यूनिवर्सिटी में शिक्षकों की कमी और नैक ग्रेडिंग का मुद्दा

मनीष कुमार ने कहा कि पहले यूपीएससी का रिजल्ट आता था तो उसमें पटना विश्वविद्यालय के छात्रों का एक जलवा रहा करता था, लेकिन अब यूपीएससी का रिजल्ट आ रहा है तो उसमें पटना विश्वविद्यालय के छात्र ढूंढने पर नहीं मिल रहे हैं और कहीं ना कहीं इसके लिए सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी सरकार जल्द दूर नहीं करती है तो विश्वविद्यालय के छात्र सड़कों पर उतरकर आंदोलन का रुख अख्तियार करेंगे.

''विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी एक गंभीर मुद्दा है और इसे दूर करने के लिए वह दिन रात लगे हुए हैं. राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के द्वारा विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति की जानी है, लेकिन जब तक यह नहीं होता है तब तक के लिए विश्वविद्यालय की तरफ से उन्होंने 206 गेस्ट फैकल्टी शिक्षकों के लिए विज्ञापन दिया है.''- डॉ. गिरीश कुमार चौधरी, कुलपति, पटना विश्वविद्यालय

ये भी पढ़ें- एडमिशन के लिए बिहार बोर्ड के छात्रों के लिए 50% आरक्षण की मांग, PU के डीन बोले- 'अनुचित है ये मांग'

शिक्षकों की कमी के मुद्दे पर पटना विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश कुमार चौधरी ने कहा कि जब वह विश्वविद्यालय में रिसर्च की गुणवत्ता की बात करते हैं और खोई हुई गरिमा को वापस लाने की बात करते हैं तो ऐसे में शिक्षकों की कमी दूर करना उनके लिए एक प्रमुख मुद्दा है. विश्वविद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए फिलहाल वह गेस्ट फैकल्टी शिक्षकों के माध्यम से शिक्षकों की कमी को भरपाई करने का प्रयास कर रहे हैं और 206 गेस्ट फैकल्टी शिक्षक की नियुक्ति विश्वविद्यालय में आगामी 2 से 3 महीने में पूरी कर ली जाएगी और इसके लिए वह दिन रात लगे हुए हैं.

पटना: बिहार में पटना विश्वविद्यालय (Patna University) को 'पूरब का ऑक्सफोर्ड' कहा जाता है. कभी यह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए देशभर में काफी प्रसिद्ध रहा है. यह विश्वविद्यालय देश का सातवां सबसे पुराना विश्वविद्यालय है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिन्हा और प्रदेश के वर्तमान शिक्षा मंत्री विजय चौधरी समेत सैकड़ों राजनेता और राजनयिक पटना विश्वविद्यालय के छात्र रह चुके हैं.

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लेकिन, वर्तमान स्थिति यह है कि यह विश्वविद्यालय अपनी गरिमा के अनुरूप पहचान खो चुका है. देश के टॉप 100 विश्वविद्यालयों में भी पटना विश्वविद्यालय का नाम नहीं है. इसकी सबसे बड़ी और प्रमुख वजह शिक्षकों की कमी है.

देखें रिपोर्ट

पटना विश्वविद्यालय में शिक्षकों की घोर कमी है. पटना विश्वविद्यालय के अंतर्गत 10 कॉलेज आते हैं, जिसमें पटना वाणिज्य कॉलेज, पटना कॉलेज, पटना साइंस कॉलेज, पटना लॉ कॉलेज, मगध महिला कॉलेज, पटना वीमेंस कॉलेज, बीएन कॉलेज, महिला ट्रेनिंग कॉलेज, पटना ट्रेनिंग कॉलेज और कला एवं शिल्प महाविद्यालय पटना शामिल हैं. पटना विश्वविद्यालय के सभी कॉलेजों में शिक्षकों की घोर कमी है. स्थिति ऐसी है कि पटना विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में एक भी स्थाई शिक्षक नहीं है.

ये भी पढ़ें- स्थापना दिवस के मंच से फिर उठी मांग, पीयू को मिले केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा

90 के दशक में केमिस्ट्री में जहां 35 प्रोफेसर हुआ करते थे, वर्तमान समय में 8 प्रोफेसर हैं. विश्वविद्यालय में शिक्षकों के 854 पद स्वीकृत हैं, जिनमें कई विभागों में गेस्ट फैकल्टी के शिक्षक होने के बावजूद 276 शिक्षकों के पद खाली हैं. विश्वविद्यालय में लगभग 60 फीसदी स्थाई शिक्षकों के पद खाली हैं.

शिक्षकों की कमी का नतीजा यह है कि 2019 से पटना विश्वविद्यालय में अब तक पीएचडी कोर्स के लिए नामांकन नहीं लिया गया है. ऐसे में पटना विश्वविद्यालय में गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा बुरी तरह प्रभावित हुई है और छात्र जो बड़ी उम्मीदों से पटना विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा के लिए नामांकन कराते हैं, उनके अंदर इस बात का असंतोष है कि शिक्षकों की कमी के वजह से उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है.

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पटना साइंस कॉलेज से केमिस्ट्री में मास्टर्स कर रहे छात्र चंदन चंचल ने कहा कि उनके विभाग में भी शिक्षकों की काफी कमी है और शिक्षकों की कमी विश्वविद्यालय के सभी डिपार्टमेंट में है. शिक्षकों की कमी की वजह से उन्हें और उनके साथियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है, जिसके लिए उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था. उन्होंने बताया कि पटना साइंस कॉलेज में केमिस्ट्री डिपार्टमेंट की बात करें तो ऑर्गेनिक में 3 शिक्षक, फिजिकल में 1 शिक्षक और इनॉर्गेनिक में 1 शिक्षक हैं.

''उनके केमिस्ट्री डिपार्टमेंट में फिजिकल में 1 डेमोंस्ट्रेटर है, जबकि ऑर्गेनिक और इनॉर्गेनिक में एक भी डेमोंस्ट्रेटर नहीं है. विश्वविद्यालय प्रबंधन से उनकी मांग है कि शिक्षकों की कमी को जल्द दूर किया जाए, ताकि वह और उनके साथी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हासिल कर सकें.''- चंदन चंचल, छात्र

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पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष मनीष कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय में शिक्षकों की घोर कमी है और इस मुद्दे को लेकर वह लगातार विभिन्न प्लेटफार्म पर उठाते रहे हैं. विश्वविद्यालय के वीसी से भी शिक्षकों की कमी जल्द दूर करने को लेकर कई बार मुलाकात की है, लेकिन अब तक कोई ठोस निदान नहीं हुआ है. स्थापना दिवस समारोह के दिन शिक्षा मंत्री भी विश्वविद्यालय में पहुंचे, लेकिन वह विश्वविद्यालय के इंफ्रास्ट्रक्चर और पुराने दौर की बातों को दोहराकर निकल गए, जबकि शिक्षकों की कमी के मुद्दे पर कुछ नहीं बोले.

''विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी का हाल सिर्फ पटना विश्वविद्यालय की नहीं पूरे बिहार के सभी विश्वविद्यालय की यही स्थिति है. राज्य सरकार ने कई वर्षों से विश्वविद्यालय में नियमित शिक्षकों की बहाली नहीं की है और इसका नतीजा यह है कि प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में काफी गिरावट आ गई है.''- मनीष कुमार, अध्यक्ष, छात्र संघ

ये भी पढ़ें- सदन में उठा पटना यूनिवर्सिटी में शिक्षकों की कमी और नैक ग्रेडिंग का मुद्दा

मनीष कुमार ने कहा कि पहले यूपीएससी का रिजल्ट आता था तो उसमें पटना विश्वविद्यालय के छात्रों का एक जलवा रहा करता था, लेकिन अब यूपीएससी का रिजल्ट आ रहा है तो उसमें पटना विश्वविद्यालय के छात्र ढूंढने पर नहीं मिल रहे हैं और कहीं ना कहीं इसके लिए सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी सरकार जल्द दूर नहीं करती है तो विश्वविद्यालय के छात्र सड़कों पर उतरकर आंदोलन का रुख अख्तियार करेंगे.

''विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी एक गंभीर मुद्दा है और इसे दूर करने के लिए वह दिन रात लगे हुए हैं. राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के द्वारा विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति की जानी है, लेकिन जब तक यह नहीं होता है तब तक के लिए विश्वविद्यालय की तरफ से उन्होंने 206 गेस्ट फैकल्टी शिक्षकों के लिए विज्ञापन दिया है.''- डॉ. गिरीश कुमार चौधरी, कुलपति, पटना विश्वविद्यालय

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शिक्षकों की कमी के मुद्दे पर पटना विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश कुमार चौधरी ने कहा कि जब वह विश्वविद्यालय में रिसर्च की गुणवत्ता की बात करते हैं और खोई हुई गरिमा को वापस लाने की बात करते हैं तो ऐसे में शिक्षकों की कमी दूर करना उनके लिए एक प्रमुख मुद्दा है. विश्वविद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए फिलहाल वह गेस्ट फैकल्टी शिक्षकों के माध्यम से शिक्षकों की कमी को भरपाई करने का प्रयास कर रहे हैं और 206 गेस्ट फैकल्टी शिक्षक की नियुक्ति विश्वविद्यालय में आगामी 2 से 3 महीने में पूरी कर ली जाएगी और इसके लिए वह दिन रात लगे हुए हैं.

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