पटना: कोरोना काल में छात्रों की पढ़ाई सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी सफल नहीं हो पा रही है. कोरोना रूपी अदृश्य वायरस ने सरकार के डिजिटल इंडिया के दावों की हवा निकाल दी है. 1 साल से भी अधिक समय से स्कूल बंद है. पहले तो सरकार ने स्कूलों के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षा देने की कोशिश कर छात्रों को नुकसान से बचाने की कोशिश की. लेकिन ये कोशिश कामयाब नहीं हुई.
अब ऐसे में बिहार के शिक्षा विभाग के दफ्तर में एक सेल्फी प्वाइंट इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. कोरोना को लेकर बिहार में लॉकडाउन है. इस कारण बेहद कम अधिकारी और गिने-चुने कर्मचारियों के साथ काम हो रहा है. तब इस सेल्फी प्वाइंट के जरिए शिक्षा विभाग क्या संदेश देना चाहता है?
'लर्निंग आउटपुट बढ़ाना हमारा पहला उद्देश्य'
इधर, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने ईटीवी भारत को बताया इस सेल्फी प्वाइंट को लगाने का उद्देश्य सिर्फ इतना है कि लोग यह समझ सके कि शिक्षा विभाग बिहार में किस काम के लिए प्रयास कर रहा है. उन्होंने बताया कि हमारा उद्देश्य है कि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके. संजय कुमार ने कहा कि क्वालिटी एजुकेशन के जरिए बच्चों का लर्निंग आउटपुट बढ़ाना हमारा सबसे पहला उद्देश्य है. जो लोग शिक्षा विभाग के दफ्तर आते हैं. उन्हें इस सेल्फी प्वाइंट के पास फोटो खिंचवाने पर यह एहसास होगा कि हम किस उद्देश्य से यहां काम कर रहे हैं.
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शिक्षा विभाग के अपर मुख्य ने कहा कि सेल्फी प्वाइंट पर बच्ची ने एक प्लेट में जो लिखा है, वहीं, हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है. यानी चाइल्ड फर्स्ट और बच्चों को किस तरह से बेहतर शिक्षा मिले, उसके लिए ही हम दिन रात प्रयास कर रहे हैं.
कोरोना काल के चलते स्कूल कॉलेज बंद हैं. ऐसे में ऑनलाइन एजुकेशन का दौर है. कई देशों में कोरोना को देखते हुए ऑनलाइन एजुकेशन की व्यवस्था की गई है. लेकिन यहां सरकार भले ही दावे कर रही है कि छात्रों को इसके जरिये फायदा हो रहा है. लेकिन सुदूर वर्ती क्षेत्रों की हकीकत कुछ और ही है.
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'ऑनलाइन क्लास में कई तरह की दिक्कतें'
कोरोना काल में छात्रों के साथ कई तरह की दिक्कतें हैं. कहीं छात्रों के पास एंड्रायड मोबाइल फोन नहीं हो तो कहीं ऑनलाइन कक्षाओं के लिए पर्याप्त डाटा उपलब्ध नहीं है. इसके साथ साथ मोबाइल नेटवर्क के काम न करने और स्पीड न आने से भी ऑनलाइन क्लास बड़े शहरों के बड़े स्कूलों तक ही सीमित रह गयी. ऐसे में छात्रों की एक बड़ी संख्या तक ऑनलाइन पढ़ाई का लाभ नहीं पहुंच रहा है. अब देखने वाली बात यह होगी कि बिहार के शिक्षा विभाग में लगाई गई सेल्फी प्वाइंट बच्चों के शिक्षा को बेहतर करने या शिक्षा के क्षेत्र में साकारात्मक संदेश देने में कितना सफल हो पाता है.