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छोटे शीतकालीन सत्र पर विपक्ष का हमला, कहा- सदन में चर्चा से भागना चाहती है सरकार

आरजेडी के प्रधान महासचिव आलोक मेहता ने कहा कि सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य समेत अन्य विषयों पर चर्चा से बचना चाहती है. उन्होंने कहा कि पिछले 15 सालों में कोई काम नहीं हुआ है. यही वजह है कि शीतकीलीन सत्र को छोटा रखा गया है.

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Published : Nov 14, 2019, 6:30 PM IST

पटना: बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 22 नवंबर से शुरू होने जा रहा है. ये सत्र 28 नवंबर तक ही चलेगा. कम समय का सत्र होने के कारण सियासत तेज हो गई है. बिहार की बड़ी विपक्षी पार्टी आरजेडी ने इस पर आपत्ति जताई है. आरजेडी के प्रधान महासचिव आलोक मेहता ने कहा कि सरकार ने बचने के लिए सत्र छोटा कर दिया है. वहीं, बीजेपी ने भी इस पर पलटवार किया है.

आरजेडी का सरकार पर आरोप
आरजेडी के प्रधान महासचिव आलोक मेहता ने कहा कि सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य समेत अन्य विषयों पर चर्चा से बचना चाहती है. उन्होंने कहा कि पिछले 15 सालों में कोई काम नहीं हुआ है. यही वजह है कि शीतकालीन सत्र को छोटा रखा गया है. आलोक मेहता ने ये भी कहा कि विपक्ष का काम है सरकार की खामियों का विरोध करना. इसके लिए कभी-कभी सदन को वॉकआउट भी करना पड़ता है. लेकिन, इसका मतलब ये नहीं कि सत्र को छोटा कर दिया जाए.

ये भी पढ़ें:- PMCH अधीक्षक ने मांगी माफी, कहा- अगर कहीं चूक हुई है तो होगी कार्रवाई

BJP ने किया पलटवार
वहीं, बीजेपी ने भी विपक्ष के इस आरोप पर पलटवार किया है. बीजेपी प्रवक्ता अजीत कुमार चौधरी ने कहा कि सत्र के छोटा या बड़ा होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है. उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष के पास मुद्दे हैं तो सदन में रखने का काम करें. इसके लिए सत्र पर सवाल उठाना उचित नहीं है.

पेश है रिपोर्ट

कुछ यूं होगा शीतकालीन सत्र
बता दें कि बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 22 नवंबर से शुरू हो रहा है, जो 28 नवंबर तक चलेगा. पांच दिवसीय ये सत्र मुख्य रूप से 4 दिन का ही हो पाएगा. 22 नवंबर को शपथ ग्रहण या अन्य शोक प्रकाश आदि के काम होंगे. जिसके बाद 23 और 24 नवंबर को बैठक नहीं होगी. 25 नवंबर को गैर सरकारी सदस्यों का कार्य होगा. जबकि 26 और 27 नवंबर को राजकीय विधायक और अन्य राजकीय कार्य होंगे. सत्र के आखिरी दिन 28 नवंबर को वित्तीय वर्ष 2019 का द्वितीय अनुपूरक व्यय विवरणी पर सामान्य वाद विवाद होगा और उसके बाद सरकार का उत्तर और फिर विनियोग विधेयक पेश होगा.

पटना: बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 22 नवंबर से शुरू होने जा रहा है. ये सत्र 28 नवंबर तक ही चलेगा. कम समय का सत्र होने के कारण सियासत तेज हो गई है. बिहार की बड़ी विपक्षी पार्टी आरजेडी ने इस पर आपत्ति जताई है. आरजेडी के प्रधान महासचिव आलोक मेहता ने कहा कि सरकार ने बचने के लिए सत्र छोटा कर दिया है. वहीं, बीजेपी ने भी इस पर पलटवार किया है.

आरजेडी का सरकार पर आरोप
आरजेडी के प्रधान महासचिव आलोक मेहता ने कहा कि सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य समेत अन्य विषयों पर चर्चा से बचना चाहती है. उन्होंने कहा कि पिछले 15 सालों में कोई काम नहीं हुआ है. यही वजह है कि शीतकालीन सत्र को छोटा रखा गया है. आलोक मेहता ने ये भी कहा कि विपक्ष का काम है सरकार की खामियों का विरोध करना. इसके लिए कभी-कभी सदन को वॉकआउट भी करना पड़ता है. लेकिन, इसका मतलब ये नहीं कि सत्र को छोटा कर दिया जाए.

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BJP ने किया पलटवार
वहीं, बीजेपी ने भी विपक्ष के इस आरोप पर पलटवार किया है. बीजेपी प्रवक्ता अजीत कुमार चौधरी ने कहा कि सत्र के छोटा या बड़ा होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है. उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष के पास मुद्दे हैं तो सदन में रखने का काम करें. इसके लिए सत्र पर सवाल उठाना उचित नहीं है.

पेश है रिपोर्ट

कुछ यूं होगा शीतकालीन सत्र
बता दें कि बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 22 नवंबर से शुरू हो रहा है, जो 28 नवंबर तक चलेगा. पांच दिवसीय ये सत्र मुख्य रूप से 4 दिन का ही हो पाएगा. 22 नवंबर को शपथ ग्रहण या अन्य शोक प्रकाश आदि के काम होंगे. जिसके बाद 23 और 24 नवंबर को बैठक नहीं होगी. 25 नवंबर को गैर सरकारी सदस्यों का कार्य होगा. जबकि 26 और 27 नवंबर को राजकीय विधायक और अन्य राजकीय कार्य होंगे. सत्र के आखिरी दिन 28 नवंबर को वित्तीय वर्ष 2019 का द्वितीय अनुपूरक व्यय विवरणी पर सामान्य वाद विवाद होगा और उसके बाद सरकार का उत्तर और फिर विनियोग विधेयक पेश होगा.

Intro:बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 22 नवंबर से शुरू हो रहा है जो 28 नवंबर तक चलेगा पांच दिवसीय इस सत्र में मुख्य रूप से 4 दिन ही हो पाएगा। 22 नवंबर को शपथ ग्रहण या अन्य शोक प्रकाश आदि के काम होंगे। 23 और 24 नवंबर को बैठक नहीं होगी। 25 नवंबर को गैर सरकारी सदस्यों का कार्य होगा जबकि 26 और 27 नवंबर को राजकीय विधायक और अन्य राजकीय कार्य होंगे। सत्र के आखिरी दिन 28 नवंबर को वित्तीय वर्ष 2019 का द्वितीय अनुपूरक व्यय विवरणी पर सामान्य वाद विवाद होगा और उसके बाद सरकार का उत्तर और फिर विनियोग विधेयक पेश होगा।


Body:बिहार में मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल ने छोटा सत्र को लेकर सवाल उठाए हैं। राजद के प्रधान महासचिव और पूर्व मंत्री आलोक कुमार मेहता ने कहा कि सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य समेत अन्य विषयों पर चर्चा से बचना चाहती है क्योंकि उसने पिछले 15 साल में कोई काम किया ही नहीं और यही वजह है कि सत्र को छोटा रखा गया है। विपक्ष सरकार की खामियों को गिना कर अगर सत्र के दौरान वाकआउट करता है, हंगामा करता है तो यह तो जरूरी है लेकिन अगर इस डर से सत्र को छोटा रखा जाएगा तो फिर यह लोकतंत्र के लिए सही नहीं है।
इधर भारतीय जनता पार्टी ने विपक्ष के इस आरोप पर पलटवार किया है। बीजेपी नेता अजीत कुमार चौधरी ने कहा कि सत्र के छोटा या बड़ा होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। विपक्ष अपनी बात सत्र के दौरान अगर नहीं रख पाता है तो सत्र के बाद भी रख सकता है।


Conclusion:आलोक कुमार मेहता प्रधान महासचिव राष्ट्रीय जनता दल
अजीत कुमार चौधरी प्रदेश प्रवक्ता बीजेपी
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